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Loksabha मिर्ज़ापुर : सरकार की नीतियों के चलते व्यापारी समाज नाराज, चुनाव में उलटफेर की संभावना

चुनाव के इस माहौल में मिर्ज़ापुरवासियों के मन में गहरी ऊहापोह चल रही है। पिछले दो बार से इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करनेवाली अनुप्रिया पटेल दो बार केंद्र में मंत्री रही हैं लेकिन व्यवसायियों का कहना है कि उन्होंने उनके हित में कुछ नहीं किया। फिलहाल वे ऐसे प्रतिनिधि को जिताने के बारे में सोच रहे हैं जो उनके शहर को नई रौनक से भर दे।

यूं तो वातावरण में गर्मी बहुत है लेकिन इस चुनावी माहौल ने उस गर्मी को और बढ़ा दिया है। चुनाव के इस माहौल में किस ओर जा रहा जनादेश, क्या है लोगों की समस्याएँ? जनता अभी तक के अपने प्रतिनिधियों के कार्यों से कितना खुश है, खुश है भी या नही? इन्हीं सवालों के जवाब हम ढूढ़ने के लिए निकले हैं मिर्जापुर और लोगों से बातचीत कर जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके मन में क्या चल रहा है?

मिर्जापुर शहर के व्यवसायी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र कुमार अग्रहरि इस बार चुनाव में होनेवाले उलटफेर को लेकर बहुत मुखर थे। स्थानीय मुद्दे और उनके समाधान के सवाल पर बोले, ‘यहां से दो बार सांसद रही अनुप्रिया पटेल मोदी के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग की मंत्री रहीं, लेकिन देखा जाय तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्होंने स्थानीय लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया। दूसरी बार जीतकर गईं तो उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री बनीं लेकिन उद्योग के क्षेत्र में भी कोई काम इन्होंने नहीं किया। मिर्जापुर जाना जाता है पीतल और कालीन के व्यापार के लिए। यहां के पीतल उद्यमी छोटे लोग हैं। मुरादाबाद की तरह यहां पीतल का उद्योग नहीं है, लेकिन लघु कटीर उद्योग की तरह लोग यहां अपने घरेलू स्थानों पर पीतल का कारोबार कर रहे हैं। व्यापारियों की यह लगातार मांग रही है कि यहां के पीतल उद्योग को लघु कुटीर उद्योग का दर्जा दिया जाय, जिससे आए दिन प्रदूषण के नाम पर तो कभी दूसरी तरह की बातें कहकर पुलिस द्वारा लोगों का जो शोषण किया जा रहा है, उससे बचा जा सके। इसलिए हम लोगों ने पीतल को कुटीर उद्योग का दर्जा देने की बहुत मांग की। अनुप्रिया पटेल इस विभाग की मंत्री थीं, अगर वे चाहतीं तो हमारी समस्याओं का समाधान हो जाता। लेकिन मंत्रीजी ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया।’

शैलेंद्र कुमार अग्रहरि कहते हैं कि केंद्र में दो बार मंत्री रहने के बावजूद अनुप्रिया पटेल ने शहर के लिए कुछ भी नहीं किया

मिर्जापुर शहर जितना बड़ा है, उससे ज्यादा यहां पहाड़ और गांव हैं। शहर में कारोबार की लुंज-पुंज होती जा रही स्थिति का असर गाँवों पर भी पड़ रहा है। पहाड़ खोदे जा रहे हैं और जंगल काटे जा रहे हैं। ऐेसे में मिर्जापुर में लोग किस तरह का विकास और किस तरह का प्रतिनिधि चाहते हैं? इस सवाल पर शैलेन्द्र बोले, ‘अनुप्रिया पटेल शिक्षित हैं। एक राजनैतिक घराने से हैं लेकिन उन्होंने क्षेत्र की जनता के विकास के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपनी पार्टी को मजबूत करने का काम किया। अपने परिवार को मजबूत किया। अपने निजी हितों के लिए ही काम किया। इस बार हम उन्हें वोट के माध्यम से जवाब देंगे।’

पीतल के बर्तन के व्यापारी हरिओम सिंह अपना दुखड़ा सुनाते हुए बोले, ‘मैं पीतल के बर्तन का व्यापारी हूं। हम लोगों का व्यापार आज धरातल पर पहुंच गया है। व्यापार में आने वाली दिक्कतों को दूर करने लिए जब हम लोग अनुप्रिया पटेल से मिले और ज्ञापन दिया तो उनके प्रतिनिधि ने साफ-साफ कह दिया कि इस मामले में कुछ नहीं हो सकता। यहां पीतल का जो भी व्यापार चल रहा है, उसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। व्यापारी अपने खुद के दम पर व्यापार कर रहे हैं। सरकार की योजनाओं का शायद ही कोई व्यापारी लाभ ले रहा है। हमारे दादा जी बताते थे कि मिर्जापुर में पीतल का व्यापार दो सौ साल पुराना है। मिर्जापुर के व्यापार को यहां के व्यापारियों ने ही सजाया है। कुछ दिनों पहले यहां की सांसद द्वारा मिर्जापुर को ‘एक्सीलेंट एक्सपोर्ट हब’ बना दिया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि यहां का कोई भी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट नहीं होता। सरकार ने केवल अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए ऐसा किया। लेकिन देखा जाय तो आज यहां के बहुत से व्यापारी अपना कारोबार समेटकर दूसरे प्रांतों में व्यवसाय शुरू कर दिए हैं।’

वर्तमान सरकार से आप क्या उम्मींद पाले थे? इस सवाल के जवाब में हरिओम सिंह कहते हैं कि ‘1950 के दौर में जब सरकार बजट बनाने जाती थी तो व्यापारियों से मशविरा लेती थी कि हम किस तरह का बजट बनाएं जिससे कि आपका व्यापार और आगे बढ़े। बजट से 8-10 महीने पहले यह शुरू होता था। लेकिन धीरे-धीरे यह चीज बंद होने लगी। सरकार हम लोगों के लिए स्क्रैप बैंक खोले रहती थी। स्क्रैप बैंक से हम लोगों को ब्राश, रांगा, तांबा और जस्ता जैसी चीजें एक फिक्स रेट पर मिलती थीं। ब्राश भारत ही नहीं, भारत से लगे हुए देशों में भी सप्लाई होता था। आज हम पूरे भारत में सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। ब्राश स्वास्थ्य से संबंधित उत्पाद है। सरकार उसको प्रमोट नहीं कर रही है। सरकार केवल मंचों से अपनी पीठ थपथपा रही है। जमीन पर कुछ नहीं कर रही है।’

आनेवाली नई सरकार से आप क्या उम्मींद रखते हैं? सवाल पर हरिओम सिंह बोले, ‘आनेवाली नई सरकार से हम यही उम्मींद करते हैं कि यहां के उद्योग और व्यापार को बढ़ाने की बहुत जरूरत है। आनेवाली सरकार को यहां के उद्योग और व्यापार पर विषेश ध्यान देना होगा।’

मिर्जापुर के रहने वाले अरुण कुमार मिश्रा चुनावी माहौल के बारे में पूछे जाने पर बोले, ‘इस बार का चुनाव 2014 और 2019 से एकदम भिन्न है। भाजपा के हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे से अब लोग उब चुके है। भाजपा ने कोई उस तरह का काम ही नहीं किया जिसे वह भरोसे के साथ प्रचारित कर सके। इसलिए चुनाव में उसे मुद्दा बनाकर वोट नहीं मांग रही है। असल में आज लोग अपनी मूल समस्या पर ध्यान दे रहे हैं। जैसे किसी का बेटा घर में पढ़ाई करके बैठा हुआ है तो उसके दिमाग में रोजगार की ही बातें आ रही हैं और वह सरकार से रोजगार पर ही सवाल कर रहा है। आज चुनाव के समय में उसे हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा बेकार लग रहा है। महंगाई विकराल है। जनता उसे भी देख रही है। हिन्दुत्व का मुद्दा अब जनता को उबाऊ लगने लगा है। इस बार जनता के मन में ‘अपने घर में क्या पक रहा है और कैसे पक रहा है’ चल रहा है। इसलिए धर्म की राजनीति बहुत दिनों तक नहीं चल सकती। आप खुद देखिए कि इस बार स्वयं बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भी उतना जोश नहीं दिखायी दे रहा है जो 2014 और 2019 में दिखायी दिया था।

अरुण कुमार मिश्रा कहते हैं कि अब लोग अपनी थाली में देख रहे हैं कि क्या पक रहा है। पिता अपने बेरोजगार बेटे को देख रहा है। अब सांप्रदायिकता नहीं जीवन की बुनियादी समस्याएँ चुनाव का मुद्दा हैं।

मिर्जापुर का आर्थिक विकास कैसे होगा? सवाल के जवाब में अरुण कुमार मिश्रा कहते हैं ‘मिर्जापुर में जो बर्तन बनते थे वजन में वो भारी होते थे, सरकार ने नई टेक्नोलॉजी आने के बावजूद इस दिशा में कोई बदलाव लाने में रुचि नहीं ली। मिर्जापुर के लोगों को सबसे ज्यादा लाभ पीतल उद्योग से हो रहा था। गांवों से आकर लोग पीतल गलाने, आकार देने, मांजने का काम करते थे। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलता था। इस उद्योग पर ध्यान न देने की वजह से यह लगभग बंद होने की कगार पर है। इसमें सेल्स टेक्स उसके बाद जीएसटी की प्रमुख भूमिका रही। यह कुटीर उद्योग था इसलिए इस पर टैक्स नहीं लगना चाहिए था। इसके लिए यहां के किसी भी प्रतिनिधि ने कोई ठोस पहल नहीं की। नया कोई व्यवसाय यहां आया नहीं। कार्पेट के यहां के जो छोटे-छोटे निर्यातक थे, वे यहां से छोड़कर भदोही चले गए। यहां के खुदरा व्यापारी टीवी, फ्रीज की दुकानें खोलकर बैठे हैं। लोग ऑनलाइन मंगा ले रहे हैं। यही दर्द है यहां के लोगों का। यहां के मेडिकल कॉलेज का हाल तो यह है कि वहां पर हार्ट का कोई डॉक्टर ही नहीं है। गैस्ट्रो का डॉक्टर नहीं है। किडनी का डॉक्टर नहीं है।’

मिर्जापुर के होटल व्यवसायी संतोष कुमार गंगवार अपने व्यवसाय को लेकर काफी चिंतित दिखे। बोले, ‘होटल व्यवसाय पिछले दस सालों से अपने सबसे बुरे दौर में है। यही हाल रहा तो कुछ दिनों में एकदम से यह व्यवसाय ही यहां से खत्म हो जाएगा।’

 

होटल व्यवसाय में आने से पहले आपने क्या स्वप्न देखा था और इस कारोबार के फर्श पर पहुंचने के क्या कारण रहे? सवाल पर संतोष कुमार गंगवार बोले ’20 साल पहले मैंने फनसिटी क्लब एण्ड रिसॉर्ट नामक होटल शुरू किया। मेरा ही एकमात्र होटल था जिसमें स्विमिंग पूल था बाकी किसी के यहां यह नहीं था। इसलिए अधिकारियों से लेकर बड़े लोग हमारे ही होटल में अपना कार्यक्रम करवाते थे। दस साल पहले तक यह खूब चला। आज की तारीख में मिर्जापुर में कोई व्यवसाय नहीं रह गया है। जिसके पास पैसा है उसने लॉन और रेस्टोरेंट खोल दिया है। शहर में आसपास इस समय 150-200 लॉन हो गए हैं और करीब 100 के आसपास रेस्टोरेंट। लेकिन यहां पर कोई उस तरह का व्यवसाय न होने के कारण रेस्टोरेंट में जो खाने वाले हैं उनकी संख्या बहुत कम है। ग्राहकों के अभाव में धीरे-धीरे लोग इस व्यवसाय से मुख मोड़ रहे हैं। जब लोगों के पास पैसा होगा तो वो होटल, रेस्टोरेंट में आएंगे। यहां राजनीतिक उपेक्षा के कारण कोई नया उद्योग खड़ा नहीं हुआ। जो पुराना था, वह भी अंतिम सांसे ले रहा है।’

व्यापारी चन्द्रप्रकाश मिर्जापुर में हुए विकास के सवाल पर बोले, ‘पिछले दस सालों में यहां पर कोई विकास नहीं हुआ। ना ही ठीक ढंग का अस्पताल है, ना ही सड़क। जगह-जगह जो सड़के बनीं भी थी, वो भी खोद दी गई हैं।’

मिर्जापुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोकीनाथ पाण्डेय वर्तमान सरकार की उपलब्धियों पर बोले ‘आज रोजगार न होने के कारण लोगों की शादियाँ रुक जा रही हैं। यह सांस्कृतिक मसला न होकर आज आर्थिक मसला बन चुका है। इस सरकार से लोगों ने बहुत उम्मीदें पाल रखी थीं। इस सरकार से सबको धोखा मिला। लोगों की आकांक्षाएं सामूहिक विवाह की भेंट न चढे़। इस प्रकार का काम होना चाहिए था। मिर्जापुर का पीतल व्यवसाय आज दम तोड़ रहा है। सरकार ने इसे बचाने का कोई प्रयास नहीं किया।’

पत्रकार त्रिलोकी नाथ पांडेय कहते हैं लोगों की इच्छाओं को महंगाई ने दबा दिया है।

मिर्जापुर के ही मनीष सिंह कहते है, ‘मिर्जापुर जिले से बेहतर स्थिति में भदोही जिला है। भदोही में देखेंगे तो एक दो अच्छे प्राइवेट हास्पिटल मिल जाएंगे, लेकिन यहां तो वह भी नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिर्जापुर जिले में बहुत काम करने की जरूरत है। लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि पिछले दस सालों में इस क्षेत्र में यहां पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।’

मोदी की गारंटी के सवाल पर मनीष सिंह बोले, ‘मोदी जी यहां की गंगा काटन मिल को चालू करवाने की बात कहकर गए लेकिन यह मिल आज तक नहीं चालू हुई। एक करोड़ नौकरी की बात किए वो भी पूरा नहीं हुआ। कहीं भी काम लगना होता है तो उसके ठेकेदार लखनऊ से ही तय कर दिए जा रहे हैं। इस तरह से सब इस सरकार में हवा हवाई चल रहा है। उसी झाँसे में लोगों ने वोट दिया। इनकी सरकार बनी लेकिन अब मुश्किल है।’

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