Friday, December 27, 2024
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तालिबान, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं के मानवाधिकार

किसी भी देश में धार्मिक कट्टरता का पहला निशाना वहां की महिलायें होती हैं। अफगानिस्तान हो या ईरान या भारत ही क्यों न हो। आज के समय में धार्मिक परम्पराओं का राजनैतिक उपयोग कर राज्य सत्ता समाज पर लादती है और यह सभी परम्पराएं समाज को 100 साल पीछे ले जाती हैं क्योंकि ये सभी परम्पराएँ घीसी-पिटी, दमनकारी व मानसिक गुलामी का झंडा उठाये रहती हैं। हिन्दू राष्ट्रवादियों और तालिबान की नीतियां और कार्यक्रमों में परिमाण या स्तर का फर्क हो सकता है मगर दोनों में मूलभूत समानताएं हैं।

भोपाल गैस त्रासदी : विकास के नाम पर खोले गए कारखाने हमेशा पर्यावरण और जनसाधारण को खत्म करते हैं

भोपाल गैस त्रासदी में मौत के खौफनाक मंजर के बाद आज भी उस त्रासदी से गुजरे हुए लोग जब अपने अनुभव साझा करते हैं, तो उनके चेहरे पर वही डर और दुःख के साथ आवाज़ में वही दर्द मिलता है, जिस मंज़र से आज से 40 वर्ष पहले गुजरे थे। तब से लेकर आज तक वह कारखाना बंद है, लेकिन हर रोज ज़िंदा बचे लोग उस रात हुए हादसे को याद कर तकलीफ से भर जाते हैं। सवाल यह उठता है कि कारखाना बंद हो चुका है लेकिन त्रासदी से पीड़ित लोग आज भी न्याय की उम्मीद में कब तक भटकते रहेंगे?

भोपाल गैस कांड : मानवीयता कभी खत्म नहीं हुई, पीड़ित लोगों के संघर्ष के साथ हैं ये लोग

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर 1984 को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण लगभग दस हजार लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे को आज 40 वर्ष हो जाने के बाद भी बचे हुए लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर देखा जा रहा है। हादसे के बाद भोपाल की जो स्थिति थी, उसे संभालने के लिए अनेक संस्थाओं और व्यक्तियों ने लगातार गैस पीड़ितों के लिए काम किया।

75 की दहलीज पर हमारा संविधान

भारत एक अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहा है, जहां संविधान के नाम पर सत्ता में चुने गए और पद ग्रहण करने वाले लोग ऐसी नीतियों का पालन कर रहे हैं, जिससे धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संघवाद के स्तंभों पर टिका संविधान का बुनियादी ढांचा धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है।

संविधान दिवस : देश में संविधान की किताब तो है लेकिन लोग पढ़ नहीं रहे हैं

ऐसे समय में जबकि हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए चैम्पियन संविधान विरोधी मोदी भारत के संविधान की जगह मनु लॉ को स्थापित करने में सर्वशक्ति लगाते दिख रहे हैं। आंबेडकर के संविधान में आस्था रखने बुद्धिजीवियों/ एक्टिविस्टों के ऊपर संविधान के उद्देश्यों को सफल बनाने की विशेष जिम्मेवारी आन पड़ी है। यह जिम्मेवारी इसलिए और आन पड़ी है क्योंकि संविधान में गहरी आस्था जताने वाले खुद सामाजिक न्यायवादी दल तक मोदी सरकार की संविधान विरोधी साजिशों से आँखें मूंदे हुए हैं। बहरहाल संविधान समर्थक जागरूक लोग अगर संविधान के उद्देश्यों को सफल बनाना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले संविधान के उद्देश्यों की पूर्ति लायक एजेंडा तय करना पड़ेगा।

केंद्र सरकार ने जातिगत सर्वे का हलफनामा कुछ ही घंटे बाद लिया वापस

नई दिल्ली/ पटना। केंद्र सरकार ने बिहार में जातिगत सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीते सोमवार सुबह दाखिल किया हलफनामा कुछ घंटे बाद...

आपकी डिजिटल हो चुकी खसरा-खतौनी लुटने वाली है, संभल जाइए

भाजपा शासित राज्‍यों की सरकारें खसरा-खतौनी-घरौनी के डिजिटलीकरण और 16 अंकों की आईडी के माध्‍यम से जनता में चारा फेंक चुकी हैं बर्तोल्त ब्रेख्त ने...

भोपाल गैस त्रासदी – एक रात के ज़ख्म अब दूसरी पीढ़ियों में टीस रहे हैं

इतिहास की सबसे बड़ी रासायनिक औद्योगिक त्रासदी के रूप में दर्ज भोपाल गैस त्रासदी के जख्म ऊपरी तौर पर आज भले ही गायब हो...

समाजसेवियों ने की गांधी विद्या संस्थान को मुक्त कर सर्व सेवा संघ को सौंपने की माँग

बोले समाजसेवी - गांधी विद्या संस्थान को दूसरी संस्था को सौंपना विधि विरुद्ध वाराणसी। बीते मंगलवार यानी 16 मई को कमिश्नर कौशलराज शर्मा के निर्देश...

महिला पहलवानों के पक्ष में बनारस की लड़कियों का ‘दख़ल’

दिल्ली पहुँचीं लड़कियों ने पीड़ित खिलाड़ियों से बातचीत कर दिया समर्थन वाराणसी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे कुश्ती खिलाड़ियों के समर्थन में...

वर्धा यूनिवर्सिटी में लड़की से छेड़खानी, प्रबंधन बना लापरवाह

प्रशासन ने मानहानि और सुसाइड की धमकी देकर पीड़िता से ही लिखवाया माफ़ीनामा लड़कियों और स्त्रियों पर होने वाले यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराध को...