वाराणसी। जिले के सरकारी अस्पतालों में डेंगू और वायरल फीवर के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। इस बीमारी से सम्बंधित वॉर्ड फुल हो गए हैं। स्वास्थ विभाग के अनुसार, जिले में अब तक डेंगू के 99 मरीज मिले हैं। जिला मलेरिया अधिकारी एससी पांडेय ने बताया कि बीते मंगलवार की देर रात सारनाथ, छित्तूपुर और लंका क्षेत्र के तीन मरीजों में डेंगू पुष्टि हुई है। वहीं, वाराणसी में सभी अस्पतालों के वॉर्ड फुल चल रहे हैं, जिस कारण कई मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ रुख कर ले रहे हैं। जिले में 5100 घरों में सर्वे करके 1230 घरों में एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया। दूसरी तरफ, बुखार होने पर लोग तुरंत पपीता के पत्ते के जूस का सेवन कर रहे हैं, ताकि प्लेटलेटस कम न होने पाए।
हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों के बाहर जनऔषधि केंद्रों पर दवा लेने वालों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं। 2-2 घंटा बाद केंद्र से दवा मिल पा रही है। BHU समेत सभी जन औषधि केंद्रों की हालत यही है। वहीं, अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मांग 7-8 गुना बढ़ गई है। BHU में ही अपने भाई का इलाज कराने आए सुशील वर्मा ने बताया कि लगभग एक सप्ताह से छोटे भाई को देर शाम सिरदर्द और बुखार हो जा रहा है। इधर-उधर से दवा लेकर काम चल रहा था, लेकिन बीती रात उसको तेज सिरदर्द की शिकायत बढ़ गई। सुबह छह बजे BHU इमरजेंसी लेकर आया तो चिकित्सकों ने पर्ची बनवाने को कहा। पर्ची काउंटर पर भीड़ देखकर मैं अपने भाई को लेकर BHU के पास ही एक प्राइवेट अस्पताल में पहुँच गया। थोड़े पैसे ज्यादा खर्च हुए लेकिन लेकिन भाई को बारह-साढ़े बारह बजे तक आराम मिल गया। फिर भी प्लेटलेट के लिए IMA जाना होगा।
मंडलीय और जिला अस्पताल को मिलाकर रोजाना 35 यूनिट प्लेटलेट्स की खपत है। वहीं, लहुराबीर स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर रेाज प्लेटलेट्स भेजने का दबाव बढ़ता जा रहा है। यहां पर प्रतिदिन, 45 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग आ रही है। BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर CHC-PHC तक में इलाज के लिए मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। वायरल फीवर के केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं।
कबीरचौरा स्थित शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पलात के एसआईसी एसपी सिंह ने बताया कि यहाँ आने वाले डेंगू मरीजों के लिए कुल 10 बेड हैं। उन्हें 24 घंटे इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए रखा जा रहा हैं। उसके बाद जनरल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जा रहा है। स्थिति गंभीर होने पर मरीजों को BHU के लिए रेफर कर दिया जा रहा है। मंडलीय अस्पलात में इलाज की समस्या होने पर प्राइवेट अस्पतालों की ओर जा रहे लोगों के सवाल पर एसपी सिंह ने कहा कि घबराए हुए लोगों के लिए हम क्या कर सकते हैं। मंडलीय अस्पलात में जो व्यवस्थाएं हमें दी गईं हैं उनसे मरीजों का अच्छी तरह ट्रीटमेंट कर रहे हैं।
जिला अस्पताल के सीएमएस दिग्विजय सिंह ने बताया कि यहाँ डेंगू मरीजों के लिए कुल 16 बेड बनाए गए हैं, जिस पर मच्छरदानी लगाए गए हैं। इसके अलावा 40 बेड अलग से रख गए हैं, जो शिफ्ट मरीजों के लिए हैं। यहाँ भी उनका ट्रीटमेंट चलता है। चिकित्साकर्मियों को निर्देशित किया गया है कि डेंगू मरीजों का सम्बंधित हर जाँच समय से कराएं। रिपोर्ट के बाद बीमारी कोई भी निकले, तुरंत उसका ट्रीटमेंट शुरू करें। हमारी तरफ से भरपूर कोशिश है कि जिला अस्पताल से मरीजों को रेफर न होना पड़े। गम्भीर स्थिति होने पर ही मरीजों को रेफर किया जाता है।
क्या है वायरल फीवर
वायरल बुखार बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा फैलता है, अगर इसके लक्षणों को इग्नोर किया तो समस्या बढ़ सकती है। वायरल बुखार या फीवर होने पर पूरे शरीर में दर्द के साथ थकान, खांसी, जोड़ों में दर्द, दस्त, स्किन पर रैशेज, सर्दी लगना, गले में दर्द, सिर दर्द और आंखों में जलन की शिकायत के साथ 5 से 6 दिन तक तेज बुखार रहता है।
क्या हैं डेंगू के लक्षण
डेंगू बुखार के लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं और 10 दिनों तक रहते हैं, इसमें अचानक तेज बुखार (105 डिग्री), तेज सिरदर्द, आँखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द, थकान, जी मिचलाना, उल्टी आना, दस्त होना, त्वचा पर लाल चकत्ते, जो बुखार आने के दो से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं, हल्का रक्तस्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना)। कभी-कभी, डेंगू बुखार के लक्षण हल्के होते हैं। यह फ्लू या अन्य वायरल संक्रमण के लक्षण भी हो सकते हैं।
ग्रामीण इलाकों के तुलना में शहरी क्षेत्रों में डेंगू का अधिक प्रभाव देखने का मिल रहा है। जहां कॉलोनियों में लार्वा मिल रहा है, वहीं संक्रमित भी मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहरी और ग्रामीण इलाकों में कुल 137 हॉट स्पॉट बनाए गए हैं। इसमें उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जहां पिछले साल सर्वाधिक मरीज मिले थे।
यही मौसम होता है जब वायरल, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं, तब नगर निगम और प्रशासन बचाव के लिए पहले से ही छिड़काव कर मोहल्ले और गलियों की साफ-सफाई कर दे तो अस्पतालों में इन बीमारियों के इलाज के लिए अफरा-तफरी नहीं होगी।