पटना। सर्दी के मौसम में बिहार की राजनीतिक गलियारे से उठने वाली गर्म बयार से न सिर्फ उत्तर भारत की राजनीति गरमा जा रही है, वरन देश के राजनैतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में शामिल होने की अटकलों के बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह का आज राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर से मुलाकात के बाद अटकलों का का बाजार तेज हो गया है।
राजनीतिक गलियारे में इस मुलाकात के अपने-अपने निहितार्थ लगाए जा रहे हैं। वहीं, इस मुलाकात के बाबत पूर्व केन्द्रीय मंत्री राधा मोहन ने कहा कि वह अपने लोकसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण में आयोजित एक समारोह में शामिल होनेे का आमंत्रण देने के लिए राजभवन गए थे।
जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपनी पार्टी के दोबारा गठजोड़ करने की अटकलों के बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह ने शनिवार को राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर से मुलाकात की।
हालांकि, पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने स्पष्ट किया कि वह अपने लोकसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण में आयोजित एक समारोह में शामिल होने का आमंत्रण देने के लिए राजभवन गए थे। उन्होंने बिहार की राजनीतिक स्थिति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हर साल मेरे निर्वाचन क्षेत्र में ‘कृषि मेला’ (कृषि उत्सव) आयोजित किया जाता है। मैं इसके लिए राज्यपाल को आमंत्रित करने आया था।’
दोपहर में होने वाली पार्टी के सांसदों और राज्य विधायकों की बैठक के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘ये ऐसे सवाल हैं जिसे आपको राज्य इकाई के प्रभारी के आने पर उनसे पूछने चाहिए। मैं एक सांसद के रूप में बैठक में भाग लेने के लिए आया हूं जिसमें लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा होगी।’
बिहार में सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन’ तनाव में दिख रहा है, ऐसे मजबूत संकेत हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल सकते हैं और भाजपा नीत ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ (एनडीए) में लौट सकते हैं।
यह तनाव उस समय खुलकर सामने आ गया जब नीतीश कुमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजभवन में आयोजित एक ‘हाई-टी’ कार्यक्रम में भाग लिया, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्र तेजस्वी यादव इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
बहरहाल, जो भी हो बिहार की राजनीति में उठापटक का दौर चल रहा है। नीतीश कुमार राजनीतिक अखाडे़ के एक मजे हुए पहलवान हैं। एनडीए में जाने से पहले वे एक नहीं हजार बार सोचेंगे। यही नहीं पार्टी के अन्य पदाधिकारियों से भी राय मशविरा लेंगे। एक मुख्यमंत्री के रूप में वे आज जिस प्रकार से स्वतन्त्र होकर काम कर रहे हैं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए)से हाथ मिलाते ही उनकी सारी स्वतंत्रता खत्म हो जायेगी। इस बात को वे भली भांति जानते हैं। इसके वे पहले भुक्तभोगी भी रह चुके हैं ।