Friday, December 26, 2025
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वंदे मातरम् : पहले परहेज अब मौका देख विवाद खड़ा कर रही संघी ताकतें

सांप्रदायिक धारा अब पूरा वंदे मातरम् गाना लाने की मांग कर रही है, उसने यह गाना कभी नहीं गाया था। यह मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठकों में गाया जाता था। वंदे मातरम् का नारा अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वालों ने लगाया था। चूंकि RSS आज़ादी के आंदोलन से दूर रहा और अंग्रेजों की 'बांटो और राज करो' की नीति को जारी रखने में उनकी मदद की, इसलिए उन्होंने यह गाना नहीं गाया और न ही यह नारा लगाया।

सांप्रदायिक राष्ट्रवाद और ‘कर्तव्यों-अधिकारों’ की अवधारणा

जैसे-जैसे भारत में हिंदू राष्ट्रवाद बढ़ रहा है, हमारे राष्ट्रीय आंदोलन और संविधान में मौजूद 'अधिकारों' की अवधारणा को हिंदुत्व की राजनीति द्वारा धीरे-धीरे कमज़ोर किया जाना है। यहीं से नॉन-बायोलॉजिकल नरेंद्र मोदी अधिकारों को कमज़ोर करने और कर्तव्यों को हाईलाइट करने के लक्ष्य को हासिल करने की यात्रा शुरू करते हैं। लॉर्ड मैकाले द्वारा शुरू किए गए डंपिंग एजुकेशन सिस्टम की मांग इसी दिशा में एक छोटी सी कोशिश थी। अब 26 नवंबर को संविधान दिवस पर इसे और साफ़तौर पर कहें तो, 'हाल ही में संविधान दिवस (26 नवंबर, 2025) पर भारतीय नागरिकों को लिखे एक लेटर में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों के लिए अपने आधारभूत कर्तव्यों को पूरा करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि इन ड्यूटीज़ को पूरा करना एक मज़बूत डेमोक्रेसी और 2047 के लिए उनके 'विकसित भारत' विज़न की दिशा में देश की तरक्की की नींव है।

क्या मंदिर बना कर देश के जख्मों को भरा जा सकता है?

मोदी का रामराज्य, रहीम के अनुयायियों से नफ़रत पर आधारित है। वह न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। अयोध्या मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय 'लोकविश्वास' पर आधारित था, जिसे इस अंधाधुंध प्रचार के जरिए गढ़ा गया था कि भगवान राम का जन्म ठीक उसी स्थान पर हुआ था जहाँ बाबरी मस्जिद थी। यह इस तथ्य के बावजूद कि सन 1885 में अपने निर्णय में अदालत ने कहा था कि वह ज़मीन सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पति है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का अयोध्या मामले में फैसला क़ानून पर नहीं बल्कि भगवान द्वारा सपने में उन्हें दिए गए निर्देशों पर आधारित था क्योंकि इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण राममंदिर को तोड़ कर किया गया था।

क्या मन में धोती और चुटिया धारण कर मैकाले को समझा जा सकता है

मोदी और उनके जैसे लोग सोचते हैं कि मैकाले/अंग्रेजों का लाया हुआ कल्चर सीधी लाइन में चला। दिलचस्प बात यह है कि वे खुद भाषा या धर्म पर आधारित यूरोपियन स्टाइल के राष्ट्रवाद के पक्ष में हैं। भारत में जो हुआ वह कहीं ज़्यादा मुश्किल था, जहाँ इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत ने मॉडर्न लिबरल वैल्यूज़ को लाने में मदद की और समाज के सभी वर्गों जैसे दलितों और महिलाओं के लिए ज्ञान के रास्ते खोले, जो शिक्षा से दूर थे, जहाँ गुरुकुल जैसी शिक्षा सिर्फ़ ऊँची जाति के पुरुषों तक ही सीमित थी।

अमेरिका में हिंदुत्व के बढ़ते विरोध के चलते आरएसएस कर रहा है पैरवी 

अमरीका में भी हिंदुत्व चिंता का विषय है। अनेक रिपोर्टों  में हिन्दुत्ववादियों की उनके एजेंडा से जुड़ी गतिविधियों को उजागर किया गया है। रपट में बताया गया है कि किस तरह हिन्दू राष्ट्रवादी समूह अमरीका में हिन्दू धर्म के संकीर्ण और राजनीति पर आधारित संस्करण को बढ़ावा दे रहे हैं।  इसके अलावा, हिन्दुत्ववादी, ऊंची जातियों के वर्चस्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पैरोकार हैं और अन्य धर्मों के प्रति असहिष्णुता का भाव रखते हैं। अमरीका में हिंदुत्व के बढ़ते विरोध के चलते ही शायद आरएसएस को अपनी छवि सुधारने के लिए लॉबियिंग फर्म की सेवाएं लेने की ज़रुरत पड़ी है।

INDIA की ‘लोकतंत्र बचाओ रैली’ आज, रामलीला मैदान में एकजुट होंगे विपक्षी नेता 

इस रैली में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, चंपई सोरेन, शरद पवार, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी, डी राजा, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, तिरुचि शिवा, डेरेक ओ'ब्रायन समेत अन्य लोग शामिल होंगे।

कांग्रेस ने आयकर नोटिस के खिलाफ पूरे देश में किया प्रदर्शन

लोकसभा के चुनाव की तैयारियाँ शुरू हैं, लेकिन भाजपा की अंगुली पर चलने वाली संस्थाएं विपक्षी पार्टियों को किसी न किसी मुद्दे पर निशाना बनाते हुए कटघरे में खड़ा कर रही है जबकि सत्ता में बैठी बीजेपी दूध की धुली नहीं है। 

लोकसभा चुनाव 2024 : अबकी बार किसकी चुनावी नैया के खेवनहार बनेंगे निषाद

राम की नैया पार लगाने वाले निषाद और केंवट पिछले कई चुनावों से भाजपा के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन इस बार भाजपा सरकार से निषाद नाराज चल रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में निषाद किसके खेवनहार बनेंगे, यह तो 4 जून को आने वाले नतीजों से ही मालूम होगा।

प्रियंका गांधी ने भाजपा को घेरा, देश को कर्ज में डुबोने का लगाया आरोप

आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ था। पिछले 10 वर्ष में अकेले मोदी जी ने इसे बढ़ाकर 205 लाख करोड़ पहुंचा दिया। इनकी सरकार ने बीते 10 साल में लगभग 150 लाख करोड़ कर्ज लिया है।

लोकसभा चुनाव : राजस्थान में पहले चरण के मतदान के लिए 100 वर्ष से अधिक आयु के 8900 से अधिक मतदाता

प्रथम चरण के 12 लोकसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक मतदाता जयपुर में 22,87,350 हैं, जबकि दौसा लोकसभा क्षेत्र में सबसे कम 18,99,304 मतदाता हैं।

लोकसभा चुनाव : भाजपा से टिकट कटने के बाद सपा या कांग्रेस में जाएंगे वरुण गांधी ?

वरुण गांधी कोविड-19 के संकट,  तीन कृषि कानूनों, खीरी में थार से किसानों को कुचले जाने, बेरोजगारी और अग्निवीर जैसे तमाम मुद्दों पर मुखर होकर सवाल उठाते रहे हैं। 
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