कोल्हापुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने बुधवार को दावा किया कि संसद में पेश श्वेत पत्र में आदर्श हाउसिंग घोटाले का जिक्र एक तरह से ‘धमकी’ थी, जिसके कारण अशोक चव्हाण को कांग्रेस छोड़नी पड़ी। पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल हुए चव्हाण ने हालांकि ऐसे दावों से इनकार किया है।
वह आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में आरोपी हैं, जिसमें दक्षिण मुंबई में 31 मंजिला इमारत का निर्माण कथित तौर पर अपेक्षित अनुमति और मंजूरी प्राप्त किए बिना रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व वाली भूमि पर किया गया था। इस कथित घोटाले के कारण 2010 में चव्हाण को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
चव्हाण के कांग्रेस छोड़ने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा यह घटनाक्रम सभी के लिए आश्चर्यजनक था, लेकिन वह व्यक्तिगत रूप से आश्चर्यचकित नहीं थे।
राकांपा-(शरदचंद्र पवार) प्रमुख ने दावा किया, ‘इसका कारण यह है कि भाजपा ने अपने पिछले 10 वर्षों के प्रदर्शन और विपक्ष के बारे में अपनी राय पर एक श्वेत पत्र पेश किया था। उस श्वेत पत्र में, आदर्श सोसायटी और अशोक चव्हाण का उल्लेख था। उस उल्लेख के बाद हमने यह माना कि यह एक तरह की धमकी हो सकती है, जिसका यह परिणाम (चव्हाण का कांग्रेस छोड़ना) है।
पवार ने अपने खेमे के कांग्रेस में विलय की खबरों को खारिज कर दिया और कहा, ‘हमारी पार्टी और कांग्रेस एक साथ काम करते हैं। हम, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस अब अलग नहीं हैं। ज्यादातर समय, हम एक साथ बैठते हैं और चर्चा करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विलय की जरूरत है।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में चंडीगढ़ महापौर का चुनाव सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण था।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को अपने फैसले में 30 जनवरी के चुनाव परिणाम को पलटते हुए पराजित आप-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का नया महापौर घोषित कर दिया।
पवार ने दावा किया, ‘चंडीगढ़ महापौर चुनाव, जिसमें पहले आठ वोटों को अवैध घोषित किया गया था, सत्ता के दुरुपयोग का एक सटीक उदाहरण है। यह दर्शाता है कि सत्ता में बैठे लोग किसी भी तरह से विपक्ष को किनारे करने की कोशिश कर रहे हैं।’
निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को ‘असली’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के रूप में मान्यता देने संबंधी सवाल पर, शरद पवार ने कहा कि उन्होंने पार्टी की स्थापना की, लेकिन पार्टी और उसका चिह्न (घड़ी) उनसे छीन लिया गया और दूसरों को दे दिया गया।
आयोग के फैसलों में कथित विसंगतियों के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि आम चुनाव नजदीक हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद वे मांग करेंगे कि सभी राजनीतिक दल एक साथ आएं और इस मुद्दे पर चर्चा करें। शरद पवार ने कहा, ‘हमने अपनी आशंकाओं के संबंध में निर्वाचन आयोग को पहले ही एक पत्र भेज दिया है।’
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि पत्र में आयोग के मौजूदा कामकाज में कुछ सुधारों का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, माकपा के डी. राजा, टीएमसी और समाजवादी पार्टी के नेता इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं।’