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राम भरोसे चल रहे हैं बलिया जिले में आयुर्वेदिक अस्पताल, डॉक्टर गैरहाज़िर दवाएँ नदारद

बलिया। एक तरफ जहां आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति अपनाने के लिए केन्द्र और राज्य की सरकारें लोगों को जागरूक तो कर रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ देखा जाय तो जिले के आयुष विंग और आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाएं ही नहीं हैं। दवाओं के अभाव में यहां आने वालों मरीजों के हाथ निराशा ही […]

बलिया। एक तरफ जहां आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति अपनाने के लिए केन्द्र और राज्य की सरकारें लोगों को जागरूक तो कर रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ देखा जाय तो जिले के आयुष विंग और आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाएं ही नहीं हैं। दवाओं के अभाव में यहां आने वालों मरीजों के हाथ निराशा ही लग रही है।

शहर के आयुर्वेद अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मुखिया यादव ने बताया कि अस्पताल में दवाएं ही नहीं हैं। डॉक्टर ने जो दवा लिखी थी वह दवा अस्पताल में नहीं थी। बस गैस व बुखार का चूर्ण ही है। इसलिए डाॅक्टर की लिखी दवा  बाहर से लेनी पड़ी। अस्पताल से बाहर निकल रहे दूसरे मरीज भी बाहर से ही दवाएं खरीदते हुए नजर आए और पूछने पर बोले, अन्दर दवांए ही नही हैं तो क्या किया जाय, बाहर से तो लेना ही पड़ेगा।

सरकार की योजना के मुताबिक शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के आयुर्वेदिक अस्पतालों में लोगों को मुफ्त में इलाज के अलावा मुुुुफ्त में दवाएं दी जाएंगी। लेकिन यहां तो आने वाले लोगों को दवांए बाहर से ही लेनी पड़ रही हैं। नाम मात्र की ही दवाइयां अस्पताल में मौजूद है। ऐसे में वही व्यक्ति आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज करा सकता है जिसके पास ज्यादा पैसा हो। ऐसे में देखा जाय तो सरकारी अस्पतालों को लेकर सरकार के तमाम प्रकार के दावों की पोल यहाँ खुलती हुई दिख रही है।

देखा जाय तो बलिया जिले में 68 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं। इनमें चार यूनानी हैं। इनमें 45 डाॅक्टरों की तैनाती है। इनमें 43 आयुर्वेदिक और दो यूनानी विधि के डाॅक्टर हैं। इसका मतलब है कि शेष अस्पताल डॉक्टरविहीन हैं। इन्हीं डॉक्टरों से अदल-बदल कर उनमें ड्यूटी करते हैं। ऐसे में यह कल्पना करना कठिन नहीं है कि जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीजों का इलाज कितनी अच्छी तरह हो रहा है। शहर के जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में चिकित्सक तैनात हैं। इनके जिम्में प्रतिदिन 90-110 ओपीडी होती है। दूसरी तरफ डाॅक्टर जो दवाएं मरीजों को लिख रहे हैं वे दवाएं अस्पताल में मौजूद ही नहीं हैं। इसके चलते मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

इन ग्रामीण और शहरी अस्पतालों में मौजूद दवाओं की बात करें तो अस्पताल में 50 प्रकार की जरूरी दवाओं में से सिर्फ 10-12 प्रकार की ही दवाएं मौजूद हैं। अस्पताल में दवाएं न होने के कारण मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं अस्पताल में जांच की भी कोई सुविधा नहीं है। अस्पताल के प्रभारी का कहना है कि आयुर्वेद अस्पताल में पिछले दो माह से दवाओं की कमी चल रही है। 50 दवाओं में से 10-12 दवाओं से काम चलाया जा रहा है।

इस बारे में आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी बलिया ने बताया कि पिछले कुछ समय से दवाओं की कमी चल रही है। शासन को इस बात की सूचना देते हुए दवाओं की सूची बनाकर भेजी जा चुकी है। उम्मीद है जल्द ही दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी। उन्होंने आगे बताया कि शहर के अस्पताल के लिए 1 लाख 70 हजार जबकि ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों के लिए 1 लाख 5 हजार की दवा की मांग की गई है ।

बहरहाल, जो भी हो अभी यह देखना बाकी है कि आयुर्वेदिक अस्पतालों में आने वाले मरीजों की समस्याओं का समाधान कब होता है?

गाँव के लोग
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