Friday, November 8, 2024
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सामाजिक न्याय

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रावासों में पिछड़े वर्ग के छात्रों की सरकारी सुविधाओं का दमन कब तक?

दिल्ली विश्वविद्यालय में पहली बार आरक्षण को लेकर भेदभाव नहीं हो रहा है। बल्कि पिछड़े वर्ग को मिलने वाली हर सुविधाओं को लेकर भेदभाव किया जाता रहा है। फिलहाल यह मामला दिल्ली विवि में एडमिशन लेने वाले पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रावास में दिए जाने वाले मामले को लेकर है। उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को नजरंदाज कर उन्हें बाहर रहने को मजबूर किया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में समाजवादी, मार्क्सवादी, अम्बेडकरवादी एवं मनुवादी विचारधारा के प्रोफेसर पढ़ाते हैं। प्रोफेसर लोग मूलतः शिक्षक हैं। लेकिन ये सभी पिछड़े समाज के छात्रों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का क़त्ल खुलेआम कर रहे हैं।

किसान रहे ठनठनगोपाल : सरकारी खरीद और समर्थन मूल्य की कोई गारंटी नहीं

किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी फसल बेचने की सहूलियत देने के लिए कृषि उपज मंडियों का निर्माण किया गया था, जिसका उद्देश्य था कि घोषित समर्थन मूल्य से कम पर यहां किसानों के फसल की खरीदी नहीं होगी। लेकिन अब देश में ऐसी कोई भी मंडी नहीं है, जहां इस बात की गारंटी हो। अनाज व्यापारियों को मंडियों से ही खरीदने की बाध्यता खत्म कर दिए जाने के बाद अब ये मंडियां बीमार हो गई है। इस तरह किसानों को न तो खरीद की, न समर्थन मूल्य की और न ही वितरण व्यवस्था की कोई गारंटी प्राप्त है। किसान लगातार परेशान हैं और आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाने को मजबूर हैं।

खबर का असर : वाराणसी के सजोई गाँव की आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता समय से आने लगी

वाराणसी के हरहुआ ब्लाक के सजोई गाँव में मुसहर बस्ती में चलने वाले आंगनवाड़ी केंद्र की शिकायत हमारी रिपोर्ट में मुसहर समुदाय के लोगों ने की थी । इस आंगनवाडी केंद्र की संचालिका द्वारा समय से आंगनवाडी केंद्र न खोले जाने की बात कही थी । दिनांक 26 अगस्त को गाँव के लोग यूटयूब चैनल में अपर्णा ने आंगनवाडी कार्यकर्ता पुष्पा राजभर की गाँव वाले व बच्चों के प्रति की जा रही लापरवाही प्रमुखता से उठाया था, इस खबर का असर यह हुआ कि सितम्बर से संचालिका ने आगंवादी केंद्र समय पर खोल अपने काम को सही तरीके से कर रही हैं ।

आखिर क्यों नहीं बन पा रही है दलित-पिछड़ों में राजनीतिक एकता

भारतीय समाज का ताना-बाना ही ऐसा बना हुआ है कि जातिवाद से मुक्ति दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती। हाँ, राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में वोट की राजनीति के लिए राजनैतिक दल और नेता भले ही इसे हटाने की बात करें लेकिन जमीनी स्तर पर इसमें कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। दो पक्षीय व्यवहार खुलकर किया जाता रहा है और यही वजह है कि ओबीसी, एससी और एसटी का  शोषित हो लगातार प्रताड़ित हो रहे हैं। 

बिहार : महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार चला रही कई योजनाएं

वर्तमान में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और शोषण के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है, जिसके लिए सरकार की ओर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 24 घंटे महिला सुरक्षा हेल्पलाइन भी संचालित की जा रही है। इसके लिए स्कूल और कॉलेज में विशेष अभियान चला कर लड़कियों को जागरूक किया जा रहा है। किशोरियों को इसकी उपयोगिता और महत्ता के बारे में बताना चाहिए ताकि लड़कियां इसका उपयोग कर स्वयं को अनहोनी से बचा सकें।

मानस पटलनामा यानि मेरी स्मृतियों में बाबूजी रामनरेश यादव

जब उत्तर प्रदेश के राजनीतिक पटल पर रामनरेश यादव का अभ्युदय हुआ तो अभिजात्य वर्ग कुछ क्षणों के लिए भी उनको पचाने को तैयार...

इन्हें किसी बैसाखी की जरूरत नहीं

 पिछले पचास सालों में यह बदलाव तो आया ही है कि क्षेत्र कोई भी हो, आप उसमें साधिकार, सप्रमाण, सगर्व कुछ ऐसी महिलाओं के...

नई ज्योति हममें जला देने वाले!!

चन्द्रभूषण सिंह यादव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रति इस देश का पिछड़ा वर्ग हमेशा कृतज्ञता का अनुभव करता है । उन्होंने...

उस्लापुर की सगुना बाई

पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव के कारण महिला को हरदम कम ही आँका जाता है, बावजूद इसके समय आने पर और मौका मिलने पर बेहतर कर दिखाती हैं। कुली के रूप में उसलापुर में काम करने वाली सगुनाबाई की कहानी

उन्हें अपने से अधिक समाज की चिंता थी

कमलेश यादव डॉक्टर मनराज शास्त्री के न रहने की खबर स्तब्धकारी थी और वह भी कोरोना से । इलाज के लिए वे जौनपुर के...

जीवन के विकट संघर्षों ने सुजाता को सामने नहीं आने दिया

सुजाता पारमिता नहीं रहीं। यह खबर उद्वेलित कर देने वाली है क्योंकि उनकी खराब सेहत के बावजूद उनमें एक जीवटता थी जो उन्हें चलते...