अल्पसंख्यकों पर दमन की घटनाएँ चिंताजनक स्तर पर बढ़ रही है। हाल के महीनों में, भारत के कई हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदायों विशेषकर मुस्लिम और ईसाई समुदाय के खिलाफ बढ़ते दमन और धार्मिक हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। शांति के उद्देश्य के लिए साझा संस्कृति मंच ने शांति मार्च आयोजित किया।
राष्ट्रीय ओबीसी दिवस/मण्डल दिवस पर सामाजिक न्याय आंदोलन ने मण्डल अधूरा क्यों, जातिगत जनगणना, मतदाता और नागरिकता तथा आरक्षण का सवाल विषय पर गोसाई बाजार आज़मगढ़ में गोष्ठी सम्पन्न हुई।
देश में शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिनियम वर्ष 2010 से लागू हुआ। ताकि हर गाँव, मोहल्ले, शहर और कस्बे के बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा मिले। लेकिन इस अधिनियम को दरकिनार करते हुए योगी सरकार ने 5000 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है। आश्चर्यजनक रूप से 2014 से 2024 तक मोदी सरकार ने 90,000 सरकारी स्कूलों को भारत भर में बंद कर दिया। सरकार के इस निर्णय ने समाज के वंचित तबके को शिक्षा और असमानता के दलदल में धँसने को मजबूर कर दिया है, जहाँ से सालों के संघर्ष के बाद यह समुदाय बाहर निकला था।
उड़ान ट्रस्ट इंडिया एवं नट समुदाय संघर्ष समिति, बेलवा वाराणसी ने सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर विक्रामपुर मुसहर बस्ती के निवासियों ने एसडीएम पिंडरा को ज्ञापन सौंपकर अपनी दीर्घकालिक मांगों को प्रशासन के समक्ष रखा है।
उड़ान ट्रस्ट इंडिया और नट समुदाय संघर्ष समिति बेलवा वाराणसी समाज उत्थान सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में विमुक्त घुमंतु खानाबदोश समुदाय के लिए महिला मुक्ति दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वयोवृद्ध बिरहा गायक बाला राजभर के एक साक्षात्कार से बौखलाए पूर्व एमएलसी और समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव अपने चेले सुरेन्द्र यादव और उनके गुंडों के साथ बाला जी के गाँव गए और उन्हें जातिसूचक गालियाँ दी और धमकाया। बाला जी के पुत्र रमेश प्रसाद राजभर ने फोन से इसकी सूचना दी। वह डरे हुये हैं। काशीनाथ का गैंग कभी भी उन पर हमला कर सकता है। इस घटना से बिरहा जगत में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि काशीनाथ यादव के व्यवहार से हम सभी आहत हैं। अगर उन्होंने गलत किया है तो उन्हें अविलंब बालाजी से माफी मांगनी चाहिए। इस घटना से अखिलेश यादव द्वारा चलाये जा रहे पीडीए आंदोलन को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में हुई अनियमितता की खबर कोई पहली खबर नहीं है बल्कि ऐसी खबरें सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार सामने आ रही हैं। एनएफएस हो या आरक्षण का मामला हो, इनसे संबंधित गड़बड़ियाँ जानबूझकर की जा रही हैं क्योंकि संस्थानों में ऊंचे पदों पर बैठे लोग सरकार की कठपुतलियाँ हैं। सरकार की मंशा ही है कि पिछड़े, अल्पसंख्यक और दलित समाज के युवा योग्य होने के बाद भी बेरोजगार रहें, वे मुख्यधारा में शामिल न हो सकें, इसके लिए उन्हें अयोग्य ठहराने का एक उपाय है कि गड़बड़ियाँ कर उन्हें वंचित कर दिया जाए।
भोजपुरी बिरहा के प्रसिद्ध गायक श्यामदेव प्रजापति नहीं रहे। पाँच फरवरी की भोर में हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई। वह न केवल इस दौर के एक महत्वपूर्ण गायक थे बल्कि अपने प्रयासों से बिरह की कई विभूतियों की विरासत को सँजोने में अग्रणी भी रहे हैं। उनके जीवन और गायकी को याद कर रहे हैं कवि रामचरण वियोगी।
आजमगढ़ के फुलपुर तहसील के इमली महुआ गांव के ग्रामीणों बताया कि दर्जनों दलित-पिछड़ा किसान परिवारों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित हुई अपनी सरकारी पट्टा की ज़मीन का मुआवज़ा नहीं दिया गया। सरकार ने दशकों पहले सरकारी पट्टे की ज़मीन लोगों को भूमिहीनता से निकालने के लिए दिया था।