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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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क्या सेठ अंबानी की दावत में शामिल होने से अखिलेश यादव छोटे और न शामिल होने से राहुल गांधी बड़े नेता बन गए हैं

अनंत अंबानी की शादी में राजनेताओं के शामिल होने को लेकर भारत में भीषण मॉरल पुलिसिंग जारी है। जनवादी सोच का कोई भी व्यक्ति इसे धनबल का नंगा और अश्लील प्रदर्शन ही कहेगा। लेकिन शादी में विपक्ष के अनेक नेताओं के शामिल होने और राहुल गांधी के न शामिल होने को लेकर जिस तरह की बहसें चल रही हैं उससे अंदाज़ा होता है कि देश की जनता अभी भी हर मुद्दा ज़मीन पर नहीं इमोशनल संसार में सुलझाने में अधिक रुचि लेती है। लोकतंत्र के सबसे कठिन दौर में जब सघन राजनीतिक बहसों, आंदोलनों और संघर्षों के जरिये नेताओं को परखने की जरूरत है तब एक शादी के बहाने खड़ी की गई बहसों के जलजले ने बता दिया कि अभी यह दौर कुछ और चलेगा। इन स्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं युवा लेखक मुलायम सिंह।

इसे कहते हैं क्रोनी कैपिटलिज्म!

क्रोनी कैपिटलिज्म (परजीवी पूंजीवाद) में कॉरपोरेट किस तरह फल–फूल रहे हैं और प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण छत्तीसगढ़ में कोयले...

अमित शाह और नरेंद्र मोदी के रिश्ते तथा मलिक का बयान(डायरी, 4 जनवरी 2022)

इन दो-तीन दिनों में जिंदगी ने नया अनुभव दिया है। अनुभव सकारात्मक नहीं हैं। लेकिन अब अनुभव हैं तो हैं। आदमी हमेशा सुख की...

कृषि कानून के खिलाफ लड़ी जायेगी आरपार की लड़ाई

हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार के खिलाफ है। हमारी लड़ाई अडानी, अम्बानी के हाथों देश सौंपने की साजिश के खिलाफ है। अब देश फैसला करे कि अडानी, अम्बानी क्या देश चलायेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के लागू होने से देशभर में मण्डियां और एफसीआई के गोदाम बंद हो जायेंगे। अनाज और सब्जियों की खरीद एवं बिक्री की नीतियां पूंजीपति घराने तय करेंगे।

सरकार जनता से डरी हुई है इसलिए आंदोलनों को बेरहमी से कुचल देना चाहती है

बनारस में जातिगत जनगणना और किसान आन्दोलन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक चिंतक प्रेम प्रकाश सिंह यादव बहुत दिनों से...

किसानों के साहस और जज़्बे की हद नहीं

 किसान को पिज्जा खाते, जींस पहने हुए या एसी में देखकर दलाल और कोर्पोरटी किस्म के लोगों से सहन नहीं होता और उन्हें वे किसान मानने से इंकार करते हैं लेकिन अमिताभ बच्चन किसान हो सकता है भले उन्हें किसानी का क भी न आए। ऐसे दलाल लोग के साथ सरकार भी चाहती है कि देश की कृषि व्यवस्था कॉर्पोरेट के हाथ मे चले जाये और कृषि के यह तीन कानून इसी व्यवस्था को मजबूत करने की साजिश है।

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