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भाजपा शासन के ग्यारह वर्ष : संविधान और धर्मनिरपेक्षता का लगातार दमन
सवेरा -
पिछले 11 वर्षों से केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों पर नियंत्रण रखते हुए, ये ताकतें संविधान के तीन स्तंभों..धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और संघवाद को कमज़ोर करने और उसकी जगह समाज के एक अंधकारमय, मध्ययुगीन दृष्टिकोण पर आधारित एक फ़ासीवादी हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के लिए जी-जान से जुटी हैं।
जनता के खिलाफ साजिश करती योगी आदित्यनाथ की सरकार
संभल में हालिया महीनों की घटनाएँ एक डरावने माहौल का संकेत कर रही हैं। सरकार, न्यायालय व प्रशासन की मदद से हिन्दुत्ववादी ताकतों ने यहां फिलहाल तनाव व भय का माहौल तो निर्मित कर दिया है। कई मुस्लिम घर छोड़ कर चले गए हैं कि उन्हें मुकदमे में न फंसा दिया जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ही लोगों के खिलाफ साजिश कर रही है। न्यायालय पक्षपात कर रहा है या उपासना स्थल अधिनियम 1991 की भावना का सम्मान करने को तैयार नहीं है तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल की राजनीति का औजार बना हुआ है। संभल की घटनाओं के बहाने योगी सरकार के रवैये पर एक तब्सरा।
प. बंगाल : सीएए, एनआरसी और समान नागरिक संहिता को स्वीकार नहीं करेंगे, सीएम ममता बनर्जी ने कहा
बीते 11 मार्च को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू किए जाने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया था। प. बंगाल, तमिलनाडु और केरल की राज्य सरकारों ने CAA को लागू किए जाने का विरोध किया है।
सीएए संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार, 19 मार्च को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट, सीएए से जुड़ी लगभग 200 अधिक याचिकाओं की सुनवाई के लिए समहत हो गया है। कोर्ट, नागरिकता संशोधन नियमावली, 2024 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करेगा।
चुनाव से कुछ हफ्ते पहले सीएए 2019 लागू करना असंवैधानिक : पीयूसीएल
चुनाव से ठीक पहले सीएए को लागू करना कही से भी उचित नहीं जान पड़ता। जबकि इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2 सौ से अधिक याचिकांए लंबित हैं।
चुनाव से पहले सीएए लागू, दिल्ली, लखनऊ और बरेली समेत कई जिलों में पुलिस ने किया फ्लैग मार्च
लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना आने से कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सीएए कानून को पूरे देश में लागू कर दिया है।
लोकसभा चुनाव से पहले ‘सीएए’ को लेकर ममता ने भाजपा को घेरा, बीएसएफ पर लगाया गम्भीर आरोप
कूच बिहार/ सिलीगुड़ी/ पश्चिम बंगाल (भाषा)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का मुद्दा उठाने के...
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने BJP पर किया कटाक्ष, कहा- नागरिकता का आधार नहीं हो सकता धर्म
नई दिल्ली (भाषा)। जिस देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता निहित है, वहां धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। उक्त बातें कांग्रेस...
मोदी सरकार का आखिरी पांसा महिला आरक्षण बिल
अंततः वोट बंटोरने और सत्ता में बने रहकर 'अपनों' को रेवड़ियाँ बांटने के लिये आखरी पांसा भी फेंक दिया गया है।
मनुस्मृति को देश के...
भागवत की मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाक़ात और मस्जिद यात्रा
हाल में पांच मुस्लिम बुद्धिजीवी, एस.वाय. कुरैशी, नजीब जंग, ज़मीरुद्दीन शाह, शाहिद सिद्दीकी और सईद शेरवानी ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत से मुलाकात...
लोकतंत्र की रक्षा के लिए भारत को संस्थागत स्वायत्तता जरूरी है
राजनीतिक रूप से 'अराजनीतिक' सामाजिक आंदोलन का विश्लेषण आपको यह समझा सकता है कि उनमें से अधिकांश 'संघ परिवार' और इसके 'भारत के विचार' की मदद करने में समाप्त हो गए हैं। इन 'आंदोलनों' को जितनी देर तक धकेला जाएगा, भाजपा के लिए समाज के अंतर्निहित अंतर्विरोधों का फायदा उठाना उतना ही बेहतर होगा।
बुल्लीबाई ऐप के बहाने महिलाओं पर कसता शिकंजा
13 जनवरी 2022 को इप्टा की महिला साथियों ने बुल्लीबाई ऐप के बहाने महिलाओं पर कसता शिकंजा विषय पर ज़ूम प्लेटफॉर्म पर चर्चा की।...
जूम करके देखिए सियासती पैंतरेबाजी (डायरी 12 जनवरी, 2022)
सियासत वाकई कमाल की चीज है। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इसके पैंतरे बड़े कमाल के होते हैं। और आप यदि...
विधानसभा चुनाव 2022 में कैसे हो हेट पॉलिटिक्स की काट
2022 के पूर्वार्द्ध में चुनाव आयोग के अनुसार निष्पक्ष, प्रलोभनमुक्त व कोविड के बचाव की फुलप्रूफ तैयारियों के साथ 5 राज्यों- पंजाब, गोवा, मणिपुर,...
सरकार जनता से डरी हुई है इसलिए आंदोलनों को बेरहमी से कुचल देना चाहती है
बनारस में जातिगत जनगणना और किसान आन्दोलन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक चिंतक प्रेम प्रकाश सिंह यादव बहुत दिनों से...
इस उपन्यास का कल्पनालोक समझने के लिए अपने दौर की समझ जरूरी है
लेख का दूसरा और अंतिम हिस्सा
बहुत सारे आलोचक जार्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 में अतीत का वर्णन देखते हैं। बीसवीं शताब्दी के पहले...
किसान आंदोलन देश की टूटती हुई उम्मीदों को बचाने का आंदोलन है
उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच कई दशकों तक काम करने के अनुभवों ने रामजनम की राजनीतिक समझ को अलग ढंग से विकसित किया...