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सौ साल की यात्रा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टियां बिखर क्यों गईं

एक समय था जब कम्युनिस्ट पार्टियों का राजनीति में इतना बोलबाला था कि सत्ता में बैठी सरकार को निर्णय लेने से पहले सोचना होता था क्योंकि इनका उन दबाव होता था। इनका एक सुनहरा काल था, जब मजदूरों, किसानों  के लिए आवाज़ उठाते थे। लाल झंडा देखकर बड़े-बड़े पूँजीपतियों के पसीने छूट जाते थे। पश्चिम बंगाल  में 35 वर्ष  शासन किये।अब केवल केरल में इनकी सत्ता बची हुई है। पार्टी के अंदर भी खालीपन आ चुका है, इनकी अनेक गलतियों के कारण भी अगली लाइन अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाई। स्थिति सुधरने में बरसों लगेंगे, वह तब जब इसके लिए ज़मीनी स्तर पर लगातार ठोस काम करें। 

Newsclick का मुकदमा: संपादक प्रबीर पुरकायस्‍थ के दशकों पुराने साथी अमित चक्रवर्ती ने दी सरकारी गवाह बनने की अर्जी

बीते अक्‍टूबर में गैरकानूनी गतिविधि निवारक अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत चक्रवर्ती और संपादक प्रबीर पुरकायस्‍थ को गिरफ्तार किया था और चालीस से ज्‍यादा जगहों पर छापे मारकर अलग-अलग पत्रकारों से पूछताछ की गई थी

विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में परनीत ने ‘स्वर्ण’ जीतकर लहराया भारत का परचम

भारतीय तीरंदाजों ने हासिल किए सात पदक बैंकॉक (भाषा)। अठारह वर्षीय तीरंदाज परनीत कौर ने गुरुवार को यहां एशियाई चैंपियनशिप में शीर्ष भारतीय कम्पाउंड तीरंदाज ज्योति...

भारत में भूजल स्तर लगातार खतरे की तरफ बढ़ रहा है

जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, वैसे ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार होने लगता है। जल स्रोत सूखने लगते...

धरी की धरी रह गई नरेंद्र मोदी की अंतरिक्ष में अमर होने की तमन्ना (डायरी, 8 अगस्त, 2022) 

अंतरिक्ष में कचरा सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हालांकि मैं कोई वैज्ञानिक नहीं हूं जो इससे जुड़े अन्य वैज्ञानिक सवालों के बारे...

सियासत, समाज और इश्क, डायरी (24 मई, 2022)

 सियासत के मामले में मेरी एक राय यथावत है कि सियासत करनेवाले कभी सीधी रेखा का अनुगमन नहीं करते। सियासत ऐसे की भी नहीं...

गलवान में झंडा-झंडा(डायरी 5 जनवरी, 2022) 

पत्रकारिता के अनुभवों में जो एक अनुभव शामिल नहीं है, वह ‘युद्ध पत्रकारिता’ है। मैंने आपदाओं की रिपोर्टिंग की है, सरकारों के बनने-बिगड़ने की...

अलविदा 2021! (डायरी 31 दिसंबर, 2021)

मैं तो अरुणाचल प्रदेश को देख रहा हूं, जिसके ऊपर चीन की निगाह है। इसी तरह मेघालय और मिजोरम भी है। नगालैंड भी इन्हीं राज्यों में से एक है। तो मामला यह है कि पूर्वोत्तर के प्रांत चीन के निशाने पर हैं और भारतीय हुकूमतों को उन इलाकाें में अपनी फौज को बनाए रखने के लिए बाध्य रहना पड़ा है। परंतु, इस परिस्थिति के बीचों-बीच पूर्वोत्तर के आम अवाम हैं जो अमन चाहते हैं।

क्या नेहरू की समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विरासत अराजकता के वर्तमान दौर का मुकाबला कर पाएगी?

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 133 वीं जयंती पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं और अपने-अपने तरीके से उनको श्रद्धांजलि...

उफ्फ! एक दशक बाद अब आसाम में एक और भजनपुरा डायरी (24 सितंबर 2021)

बाजदफा यह सोचता हूं कि क्या किसी एक मुल्क में एक ही मजहब को मानने वाले लोग हो सकते हैं? यदि हां तो क्या...

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