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भीड़ जुटाकर हो रही हैं रैलियां फिर विश्वविद्यालय बंद क्यों?
अभी कल ही 25 अक्टूबर को माननीय प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी, उत्तर प्रदेश में लाखों की भीड़ जुटाकर रैली को संबोधित किया...
अपनी रीढ़ मजबूत करें प्रकाश झा (डायरी 26 अक्टूबर 2021)
अभिव्यक्ति के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकारों में रखा गया है। इस अधिकार के कारण ही देश में साहित्य, मीडिया, थियेटर व सिनेमा...
अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला: शूटिंग के दौरान हिंसा और उत्पात
राष्ट्रीय सेक्युलर मंच ने विगत 24 अक्तूबर को भोपाल में एक वेब सीरीज की शूटिंग के दौरान बजरंग दल के लोगों द्वारा हिंसा और...
बॉलीवुड में ऐतिहासिक सिनेमा हमेशा संदिग्ध विषय रहा है
इतिहास में बीते हुए समय में घटित घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखने वाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार इतिहास में सार्वजनिक घटनाओं का विवरण होता है। इसमें व्यक्तिगत जीवन से सम्बंधित घटनाओं का उल्लेख नहीं होता। इसमें वर्णित घटनाओं में क्रमबद्धता होती है तथा इतिहासकार सच्चे वैज्ञानिक की तरह घटनाओं को जैसी घटित हुई है उनकी सम्पूर्णता में प्रस्तुत करते हैं।
सिनेमा : पुरुषों के पेटूपन और भकोसने की आदत ने औरतों को नारकीय जीवन दिया है!
अपर्णा -
ये विडंबना है कि हर स्त्री को जीवन में दो बार घर के खान-पान और कानूनों को सीखना और समझना पड़ता है क्योंकि उसे इस कर्तव्यबोध से परिचित कराया जाता है कि हर किसी को खुश रखना उसकी जिम्मेदारी है। आप और हम ये समझ सकते हैं कि मायके में किसी सब्जी में लहसुन और हींग जरूरी है तो ससुराल में उस उसी सब्जी में हींग और लहसुन नहीं, बल्कि अजवाइन और जीरा डाला जाएगा। स्त्री का अपना कुछ है ही नहीं, घर के पुरुषों को जो पसंद है उसके हिसाब से खाना-नाश्ता बनेगा, कभी स्त्री की पसंद का खाना-नाश्ता घर के पुरुष नहीं करेंगे। यही है मलयालम में आई फिल्म द ग्रेट इंडियन किचन की कहानी।
बॉलीवुड में महिला केन्द्रित सिनेमा और समाज
बॉलीवुड सिनेमा का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है और महिलाओं के मुद्दों को लेकर समय-समय पर महत्वपूर्ण फ़िल्में भी बनी हैं। एक...