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आखिर क्यों नहीं बन पा रही है दलित-पिछड़ों में राजनीतिक एकता

भारतीय समाज का ताना-बाना ही ऐसा बना हुआ है कि जातिवाद से मुक्ति दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती। हाँ, राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में वोट की राजनीति के लिए राजनैतिक दल और नेता भले ही इसे हटाने की बात करें लेकिन जमीनी स्तर पर इसमें कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। दो पक्षीय व्यवहार खुलकर किया जाता रहा है और यही वजह है कि ओबीसी, एससी और एसटी का  शोषित हो लगातार प्रताड़ित हो रहे हैं। 

क्रीमीलेयर मामला : पूरी भागीदारी मिली नहीं, उपजाति बंटवारे से वह भी छीन लेने की जुगत

कोर्ट राजनैतिक प्रभाव में आकर या दबाव के चलते ऐसे निर्णय ले रही है जो लगातार संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। आरक्षण को लेकर जो निर्णय अभी लिया गया है, उसमें  कोर्ट ने  बिना किसी डाटा के सबसे पहले ओबीसी में क्रीमीलेयर खोजा, फिर इडब्ल्यूएस की अवधारणा को लाया और बिना किसी सर्वेक्षण के ईडब्ल्यूएस  के नाम पर अपरकास्ट को 10 फीसदी आरक्षण दिया। मतलब 15 फीसदी वाले समुदाय को लगभग 70 फीसदी आरक्षण देकर संविधान की सामाजिक न्याय की अवधारणा को ध्वस्त कर दिया गया। पढ़िए, आरक्षण पर आए फैसले की पड़ताल करता मनीष शर्मा का यह लेख-

ड्रामा बनाकर रख दिया गया महिला आरक्षण बिल क्या मोदी सरकार के लिए खतरनाक होगा

पिछले कई वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक बदले नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक के साथ संसद के नए भवन के दोनों सदनों में...

भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक अन्याय के मुद्दे पर मोदी को घेरे विपक्ष!

2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में विपक्षी दलों द्वारा एकजुटता के लिए जो तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, डीएमके द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय सम्मलेन अघोषित रूप में उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी एकता का खास प्रयास हुआ है। और अगर ऐसा है तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद प्रभावी प्रयास है। क्योंकि इस एकजुटता का आधार सामाजिक न्याय का मुद्दा है जो तेजस्वी यादव के शब्दों में \\\'धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

दुनिया के सबसे बड़े अपात्र बने आरक्षण के पात्र!

जिस ईडब्ल्यूएस अर्थात सवर्ण आरक्षण को कभी संघ प्रशिक्षित प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया था कि चूंकि आरक्षण का...

ब्राह्मणों ने आरक्षण को अपनी गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बना दिया है

सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए नौकरियों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण के संवैधानिक संशोधन...

दिल्ली में ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों के एक कार्यक्रम में (डायरी 19 दिसंबर, 2021) 

दिल्ली पटना जैसा शहर नहीं है। पटना की बात अलग थी। एक तो यह कि पटना बहुत छोटा शहर है दिल्ली के मुकाबले और...

भारत के अकादमिक संस्थान अपने आप में NFS बनते जा रहे हैं

भारत विविधता व विषमता के लिहाज़ से दुनिया का सबसे अनूठा देश है। भारत का संविधान लागू होने के बाद इसे एक आधुनिक राष्ट्र...

दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021) 

बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...

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