Friday, November 8, 2024
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Bhadohi : बरसों के आंदोलन के बावजूद कोई सुनवाई नहीं, गाँव के डूब जाने का खतरा बढ़ा

भदोही जिले के भुर्रा गांव के लोग इस बात से चिंतित हैं कि गंगा नदी धीरे-धीरे जमीन का कटान कर रही है। पास का गांव हरिहरपुर डूब चुका है। उन्हें अपने गांव के अस्तित्व की भी चिंता है। शासन-प्रशासन ने वहां ठोकर बना दिया था, जिससे गांव वालों का कहना है कि कटान और भी तेजी से हो रहा है।

वाराणसी: भूजल का लेवल प्रभावित कर रहे RO वॉटर प्लांट, कमा रहे मुनाफा, विभागों के पास कोई डाटा ही नहीं

वाराणसी। गर्मी के मौसम में हुकुलगंज के आरडी वर्मा के घर में लगा सबमसिर्बल पम्प जमीन का पानी छोड़ देता है। ढाई सौ फीट...

हरियाणा ने बांटा दिल्ली ने तबाह किया लेकिन पाँच नदियों ने भरा यमुना का दामन

उत्तराखंड में अभी तक नदियों पर बन रहे सभी प्रोजेक्ट जल विद्युत परियोजनाएँ हैं और सिंचाई या पीने के पानी के लिए अभी तक इन योजनाओं का उपयोग नहीं किया गया है लेकिन मैदानी क्षेत्र शुरू होते ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली पानी को लेकर उसका बंटवारा शुरू करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय घुमक्कड़, जाने-माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता  विद्या भूषण रावत कई साल से भारत की नदियों की यात्रा कर रहे हैं। हाल ही में चंबल की यात्रा से लौटे रावत जी ने यह मार्मिक ग्राउंड रिपोर्ट लिखी है :

मुनाफ़े की गंगा में कॉर्पोरेट की बढ़ती ताकत से आजीविका विहीन होता बनारस का माँझी समुदाय

ऐसा ही आंदोलन सन दो हजार उन्नीस की पहली जनवरी से शुरू हुआ था, जब मांझी समुदाय ने पहली बार गंगा में क्रूज चलाने के विरोध में नावें किनारे से बांध दी और अस्सी से राजघाट तक अपील की कि कोई भी अपनी नाव नहीं चलाएगा। मांझी समुदाय की मांग थी कि क्रूज को पहले से तय किए गए रास्ते खिड़किया घाट से दशाश्वमेघ घाट तक ही चलाया जाए न कि अस्सी घाट तक। वैसे तो पूरा मांझी समुदाय क्रूज के संचालन से ही नाराज था लेकिन जब उद्घाटन हो गया तो उन लोगों ने क्रूज को तय रास्ते पर चलाए जाने की मांग रखी।

कर्मकांड के लोटे से बंधा संस्कार और बच्चों के जलते हुए पाँव

8 मई की दोपहर शुरू होने में अभी दो घंटे बाकी हैं लेकिन वातावरण में गर्मी काफी भर चुकी है। घाटों पर दिखनेवाले अधिकांश...

मछुआरों की उपेक्षा भी है नदी प्रदूषण का एक बड़ा और गम्भीर कारण

नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा अब गाँव से शहर की तरफ बढ़ने लगी है। 31 जुलाई दिन रविवार को शास्त्री घाट से निषाद राज...

छोटी-छोटी नदियां विलुप्त होने की कगार पर हैं

नदी एवं पर्यावरण संचेतना के लिए छठवीं नदी यात्रा अपनी प्रकृति और पर्यावरण की कविताओं के लिए प्रसिद्ध युवा कवि राकेश कबीर अपनी एक कविता...

वरुणा का हाल-अहवाल संकलित कर रही नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा

पाँचवीं नदी यात्रा गाँव के लोग सोशल एंड एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा वरुणा नदी किनारे से नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा 10 जुलाई, रविवार को सुबह...

वाराणसी को पहचान देने वाली ‘वरुणा’ और ‘असि’ की उखड़ती साँसें क्यों नहीं सुन पा रहे मोदी

वरुणा कॉरिडोर बनवाकर सपा सुप्रीमो अखिलेश ने साल 2016 में खूब सुर्खियां बटोरी थी। उस समय इस नदी को बचाने के लिए मुहिम चला रहे जनसरोकारीय संगठनों और स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी कि नदी साफ हो जाएगी। सत्ता बदली तो जैसे इस नदी के नसीब ही फूट गए। इसका भाग्य संवारने के लिए कोई दूसरा भगीरथ नहीं आया। अब जनवादी संगठन पदयात्रा निकाल रहे हैं और इस नदी के पुनरुद्धार के लिए मुहिम चला रहे हैं।

वाराणसी : गंगा के साथ हो रहे खिलवाड़ के खिलाफ खड़ा होना होगा

बनारस को निडर होकर गंगा के साथ हो रहे खिलवाड़ के खिलाफ खड़ा होना होगा और इस अभियान को रोजाना गतिविधियों और नयी सूझ के साथ जोड़ना होगा। बनारस सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों की ही नहीं, हमारी अंतर्राष्ट्रीयता की भी राजधानी है। साफ नदी जल और खोई हुई पहचान को वापस पाने के लिए हमें संघर्ष करना होगा।

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