जौनपुर की धरोहरें केवल इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे एक जीवंत संस्कृति का प्रतीक भी हैं। अगर इन स्थलों को सहेजने और प्रचारित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, तो यह शहर न केवल अपनी पहचान बचा सकता है, बल्कि पर्यटन के माध्यम से विकास की नई कहानी भी लिख सकता है। जौनपुर शहर की पहचान जिन ऐतिहासिक धरोहरों से होती है, वे देखरेख के अभाव में लगातार खंडहर में तब्दील हो रही हैं। लगभग 600 साल पुरानी इस विरासत होने के बावजूद यह स्थान पर्यटन स्थल के रूप में अपनी कोई पहचान नहीं बना पाया है। पढ़िए आनंद देव की ग्राउंड रिपोर्ट
पुराने शहरों के नए विकास ने अनेक पुराने और हेरिटेज शहरों के स्वरूप को तहस-नहस कर दिया है। इसका एक बड़ा उदहारण बनारस है जो लगातार अपना पुराना स्वरूप खो रहा है। इसी तरह रिवरफ्रंट्स ने भी नदियों के स्वरूप और बहाव को कई विपरीतताओं से जोड़ दिया है। जौनपुर में गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण से भी कई सवाल उठने लगे हैं कि क्या इससे शहर का पर्यावरण सुरक्षित रह पायेगा? जौनपुर से वरिष्ठ पत्रकार आनंद देव गोमती रिवर फ्रंट को लेकर खतरे की उठती आशंकाओं की रिपोर्ट कर रहे हैं।
वाराणसी से गोरखपुर वाया आजमगढ़ जाते समय वाराणसी के बाद जौनपुर की सीमा के तकरीबन 4-5 किलोमीटर की दूर गोमती नदी पर बना हुआ सेतु नजर आ जाता है। यह स्थान जौनपुर जिले के चंदवक बाजार के समीप है। इसे चंदवक- गोमती नदी पुल के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ दो-दो समानांतर सेतु हैं। ठीक बगल में तीसरे सेतु का भी निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ दिखाई देता है।
हर काम का प्रशिक्षण नहीं लिया जाता, कुछ काम ऐसे होते हैं जो व्यक्ति स्थितियों को देखते-सुनते सीख लेता है। जौनपुर जिले के बेलापार गाँव के निवासी भानु प्रताप यादव ऐसे ही भगत परंपरा के आदमी है। जो गाय-भैंसों के बच्चे पैदा होते समय होने वाली परेशानियों का मिनटों में निपटारा करते हैं।
जौनपुर (उप्र)(भाषा)। जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) के राष्ट्रीय महासचिव एवं बाहुबली नेता पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके 12 समर्थकों के खिलाफ गलत तरीके से...
मेरे गाँव में अनेक ऐसे परिवार थे जिनके पास अपने परिजनों की तेरहवीं करने की स्थिति नहीं थी। लेकिन पुरोहितों के दबाव के आगे वे इतने मजबूर हो जाते थे कि उन्हें तेरही करनी पड़ती थी। पुरोहित पूर्वजन्म और पुनर्जन्म का भय दिखाता कि अगर ठीक से तेरही नहीं करोगे तो मृतक प्रेत बनकर भटकता रहेगा। महाजन इस ताक में रहता कि पुरोहित के कहने पर ये किसान-मजदूर कर्ज़ लेने उसी के पास आएंगे।