Wednesday, February 5, 2025
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साहूकारी के नाम पर बंधुआ मजदूर बनाने की कोशिश, मामला दर्ज

पालघर (भाषा)।  महाराष्ट्र के पालघर जिले के 19 वर्षीय एक युवक और उसके परिजनों पर सोलापुर में कथित तौर पर बंधुआ मजदूरी करने का...

दवा फैक्ट्री में आग से महाराष्ट्र में चार लोगों की मौत, सात घायल

मुंबई (भाषा)। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में शुक्रवार को एक दवा कंपनी में विस्फोट के बाद आग लगने की घटना में चार लोगों की...

पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र के छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा लेने में सबसे आगे

नई दिल्ली (भाषा)। पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र देश के उन शीर्ष राज्यों में शुमार हैं, जहां से सबसे अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए...

महाराष्ट्र के अकोला के एक गांव ने मराठा आरक्षण घोषित होने तक नेताओं का प्रवेश वर्जित किया

अकोला (भाषा)। महाराष्ट्र के अकोला जिले के चरणगांव के निवासियों ने रविवार को कहा कि जब तक मराठा समुदाय के लिए आरक्षण घोषित नहीं...

चमकते शहर की तलाश में उपेक्षित होते जा रहे हैं गांव

वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में वर्ष 2022 में भी लगातार छठी बार इंदौर को देश के सबसे साफ़ शहर के रूप में चुना गया है।...

महाराष्ट्र में कथित गौ तस्करी के आरोप में पीट-पीट कर एक व्यक्ति की हत्या

महाराष्ट्र। नासिक में कार से गौमांस ले जाने के संदेह पर कथित गौरक्षकों ने एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी। खबर के...

टूटी सीढ़ियों पर ख्वाबों के पंख लगाकर चल रहे हैं लोग

लाखों की संख्या में यहाँ लोग रहते हैं। हिन्दू, क्रिश्चियन के साथ अच्छी संख्या मे मुस्लिम आबादी भी यहाँ है। यहाँ के ज्यादातर लोग मध्यवर्गीय या निम्न मध्यवर्गीय समाज से हैं। यह वह समाज है जो एडजस्ट करने का हुनर पेट से लेकर ही पैदा होता है। पानी की सप्लाई लाइन बिछी हुई है पर पानी कभी-कभार ही आता है। जिसकी वजह से पानी यहाँ का सबसे बड़ा बिज़नस बना हुआ है। घरेलू कामों के लिए टैंकर से पानी का व्यापार चल रहा है तो प्यास बुझाने के लिए प्यूरीफाई पानी बोतलों में बंद कर बेंचा जा रहा है। शायद दुर्भाग्य ही है कि यहाँ के लोगों को अभी कोई ऐसा नेता नहीं मिला है जो इनके हित में संघर्ष कर सके।

महाराष्ट्र में भाजपा की जीत की कही-अनकही कहानी (डायरी,30 जून, 2022)

कल का दिन सियासत के लिहाज से यादगार दिन रहा। वैसे यह मेरे एक व्यक्तिगत कारण से भी महत्वपूर्ण था, लेकिन सियासती कारण अधिक...

क्या सुरक्षित नहीं हैं अंबेडकर आंदोलन से जुड़ी ऐतिहासिक चीजें और जगहें

क्या अम्बेडकरी समाज के लोग महाड़ के इन ऐतिहासिक स्थलों को एक बेहद महत्वपूर्ण स्मारक के तौर पर नहीं रख सकते? क्या महाराष्ट्र के अम्बेडकरी समाज के लोग सरकार से इन स्थलों को अच्छे स्मारकों के तौर पर विकसित करने के बात नहीं कर सकते। ये सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि इतिहास का महत्वपूर्ण अंश आपकी यादों से गायब करने के प्रयास किये जा रहे हैं इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है।

किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में विगत दशकों में चल रहे आंदोलन का एक सिलसिला

यह समय का पहिया घूमने जैसी बात है। दस साल हो रहे हैं जब 2009 में आई ग्रामीण विकास मंत्रालय एक मसविदा रिपोर्ट के 160 वें पन्‍ने पर भारत के आदिवासी इलाकों में कब्जाई जा रही ज़मीनों को धरती के इतिहास में 'कोलंबस के बाद की सबसे बड़ी लूट' बताया गया था। कमिटी ऑनस्‍टेट अग्रेरियन रिलेशंस एंड अनफिनिश्‍ड टास्‍क ऑफ लैंडरिफॉर्म्‍स शीर्षक से यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक विमर्श का हिस्‍सा नहीं बन पाई है, जिसने छत्‍तीसगढ़ और झारखण्‍ड के कुछ इलाकों में सरकारों और निजी कंपनियों (नाम समेत) की मिली भगत से हो रही ज़मीन की लूट से पैदा हो रहे गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर इशारा किया था।

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