दिल्ली नगर निगम वाले तो अपने हैं। जब कोई ऊपर से आदेश देता है कि उसे धन चाहिए तो वे लोग दबिश बढ़ाते हैं और हर रेहड़ी वाला कुछ ना कुछ दे देता है तो सब मैनेज हो जाता है। और यह भी कोई परेशानी है। आप ही बताइए कि छह महीने में कोई नौजवान पूरी तरह सैनिक कैसे बन सकेगा। सरकार तो उसको सीधे मौत के मुंह में भेज रही है।

सरकार से लेकर कारपोरेट तक नौजवानों को बेवकूफ बना रहे हैं अैर मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि बिना पर्याप्त अभ्यास व प्रशिक्षण के अग्निवीर नौजवान बतौर सैनिक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कैसे करेंगे और इससे भी महत्वपूर्ण यह कि वे अपने प्राणों की रक्षा कैसे करेंगे?

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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