बलिया पुलिस और इंटेलीजेंस विभाग की सक्रियता से जिले के वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता अजीब पशोपेश में हैं कि क्या उनकी जान को सचमुच किसी से खतरा है। बलिया की जनता के हक की आवाज बने पत्रकार संतोष कुमार सिंह और उनके साथी सशंकित हैं। उनका कहना है कि मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव बनाकर प्रशासन उनकी निगरानी कर रहा है।
13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन को कुचलने के लिए हरियाणा पुलिस ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए हैं। कल 22 फरवरी को अंबाला पुलिस ने किसान संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों और आंदोलनकारियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत कार्रवाई शुरू की है।
किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
मोदी सरकार ने जानबूझ कर माहौल खराब किया है। वे किसानों के मुद्दों पर झूठ बोलते हैं और लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करते हैं कि वह सच्चे और ईमानदार हैं।
भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष और एसकेएम-एनपी के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चंडीगढ़ से फोन पर द हिंदू को बताया कि जिन नेताओं को चर्चा में शामिल होना चाहिए उन्हें गिरफ्तार करके केंद्र सरकार माहौल खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि “एक तरफ, सरकार कह रही है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। दूसरी तरफ, उन्होंने हमारे सैकड़ों नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है।
पिंडरा तहसील पर संयुक्त किसान मोर्चा, वाराणसी ने वादाखिलाफी प्रतिकार दिवस मनाया। राष्ट्रपति को सभा का संबोधित ज्ञापन सौंपा। सभा को रामजनम, अफलातून, लक्ष्मण...