Sunday, May 19, 2024
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अंबाला पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर रासुका लगाया

13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन को कुचलने के लिए हरियाणा पुलिस ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए हैं। कल 22 फरवरी को अंबाला पुलिस ने किसान संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों और आंदोलनकारियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत कार्रवाई शुरू की है।

13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन को कुचलने के लिए हरियाणा पुलिस ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए हैं। कल 22 फरवरी को अंबाला पुलिस ने किसान संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों और आंदोलनकारियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 के तहत कार्रवाई शुरू की है।

22 फरवरी को जारी एक प्रेस नोट में लिखा है कि ‘दिनांक 13 फरवरी 2024 से किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर शंभू बार्डर पर लगे लगे बैरिकेड्स को तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं और पुलिस प्रशासन पर पत्थरबाजी एवं हुड़दंगबाजी करके कानून व्यवस्था बिगाड़ने की प्रतिदिन कोशिश की जा रही है। इस दौरान उपद्रवियों द्वारा सरकारी और प्राइवेट संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया जा चुका है। इस आंदोलन के दौरान लगभग 30 पुलिस कर्मचारियों को चोटें आईं , 1 पुलिस कर्मचारी का ब्रेन हैमरेज़ व दो पुलिस कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है।

‘इस आंदोलन में कई किसान नेता सक्रिय भूमिका में हैं और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। लगातार सोशल मीडिया जैसे फेसबुक , व्हाट्सएप , इंसतगराम, टेलीग्राम इत्यादि के माध्यम से भड़काऊ और उकसानेवाले भाषण देकर प्रचार किया जा रहा है। इससे सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने हेतु लगातार पोस्ट डाली जा रही है। व इस आंदोलन में लगातार भाषणबाजी करके आंदोलनकारियों को प्रशासन के विरुद्ध भड़काया जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों , सरकार के विरुद्ध गलत शब्दों का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है। आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों द्वारा भयंकर उत्पात मचाया जा रहा है।

आपराधिक गतिविधियों को रोकने व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 2(3) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एन एस ए एक्ट) के तहत किसान संगठनों के पदाधिकारियों को नज़रबंद करने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा अमल में लाई जा रही है ताकि आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था को कायम रखा जा सके व सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने न पाये।’

इसके एक दिन पहले 21 फरवरी को पुलिस द्वारा की गई फायरिंग के दौरान खनौरी बार्डर पर एक युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई। राजनीतिक पार्टियों और किसान संगठनों सहित अनेक जनसंगठनों द्वारा इस घटना की निंदा की गई।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति

किसानों पर दमन के खिलाफ और लंबित मांगों को लेकर एसकेएम व्यापक राष्ट्रीय लामबंदी का आह्वान करता है

एसकेएम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्य के गृहमंत्री अनिल विज के इस्तीफ़े, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज करने, किसानों की हत्या,  क्रूर दमन और ट्रैक्टरों को हुए नुकसान की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने की मांग करता है-

एसकेएम शोक संतप्त परिवार को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये और क्षतिग्रस्त 100 ट्रैक्टरों के मरम्मत के खर्च का मांग करता है-

23 फरवरी को पुतला दहन, मशाल जुलूस के साथ काला दिवस/आक्रोश दिवस का आह्वान

एसकेएम आम सभा ने शहीद युवा किसान शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि दी, पूर्व एसकेएम सदस्य संगठनों के साथ समन्वय और किसान संघर्ष को तेज करने के लिए मुद्दा आधारित एकता विकसित करने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया-

14 मार्च 2024 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल किसान मजदूर महापंचायत

विश्व व्यापार संगठन छोड़ने की मांग को लेकर 26 फरवरी को ट्रैक्टर परेड

एसकेएम आम सभा ने आज अपनी लंबित मांगों को लेकर और किसानों के संघर्ष के दमन के खिलाफ पूरे भारत में कई कार्यक्रमों के साथ किसानों की एक विशाल लामबंदी आयोजित करने का फैसला किया।

आम सभा ने शहीद शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि दी,  जिनकी कल पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी, जब हरियाणा पुलिस ने अवैध रूप से सीमा पार किया और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई। पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर किसानों के कई ट्रैक्टरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।

एसकेएम ने किसान आंदोलन को अलग-थलग करने और विभाजित करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर गंभीर दमन करने, पंजाब के लोगों के बीच अलगाव पैदा करने और इस विभाजन का चुनावी लाभ उठाने की कोशिश करने की साजिश रचने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीधे तौर पर दोषी ठहराया। एसकेएम ने अमित शाह और हरियाणा के मुख्य मंत्री और राज्य के गृह मंत्री, मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों की हत्या और चोट और विरोध स्थल पर कई ट्रैक्टर को नुकसान पहुंचाने के लिए पंजाब सरकार से उनके और हरयाणा पुलिस के खिलाफ धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की। एसकेएम ने गोलीबारी और ट्रैक्टरों को हुए नुकसान की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने की मांग की। इसमें पंजाब सरकार से हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की गई है।

एसकेएम ने शोक संतप्त परिवार को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये और क्षतिग्रस्त 100 ट्रैक्टरों की मरम्मत के खर्च की भी मांग की

एसकेएम आम सभा ने किसानों की मांगों को हासिल करने, मुद्दा आधारित एकता विकसित करने और एसकेएम का हिस्सा रहे सभी किसान संगठनों को एकजुट करने के उद्देश्य से संयुक्त कार्य योजना बनाने के लिए सभी पूर्व एसकेएम सदस्यों के साथ परामर्श करने के लिए एक छह सदस्यीय समिति बनाने का निर्णय लिया। सदस्यों में हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल, युद्धवीर सिंह, दर्शन पाल और रमिंदर पटियाला शामिल हैं।

एसकेएम ने 23 फरवरी 2024 को पुतले दहन, मशाल जुलूस और विरोध प्रदर्शन करके दमन के खिलाफ काला दिवस/आक्रोश दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया। केंद्रीय श्रमिक संगठनों, स्वतंत्र/क्षेत्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच ने पहले ही 23 फरवरी को काला दिवस का आह्वान किया था और जिला, स्थानीय और ग्राम स्तर पर विरोध को सफल बनाने के लिए किसान और मजदूर समन्वय स्थापित करेंगे।

एसकेएम ने 26 फरवरी 2024 को डब्ल्यूटीओ छोड़ो दिवस के रूप में मनाने का भी आह्वान किया, जिस दिन डब्ल्यूटीओ सम्मेलन अबू दाबी में शुरू होने जा रहा है। डब्ल्यूटीओ भारत सरकार को किसानों को एमएसपी न देने के साथ-साथ धन के रूप में लाभ के सीधे हस्तांतरण का तर्क देकर पीडीएस को वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार है। दोनों प्रस्ताव किसानों, गरीबों और भारत की खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं। एसकेएम ने देश के किसानों से अपील किया है कि वे डब्ल्यूटीओ छोड़ने की मांग को लेकर सामूहिक बैठकें आयोजित करें और सरकार की नीति का विरोध करने के लिए यातायात को अवरुद्ध किए बिना राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर मार्च करें और अपने ट्रैक्टरों को खड़ा करें।

एसकेएम संघर्ष को तेज करने के लिए 14 मार्च को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल किसान मजदूर महापंचायत आयोजित करेगा। इस महापंचायत में एसकेएम केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच, अन्य मजदूर संगठनों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, छोटे व्यापारियों सहित सभी वर्गों से एकजुटता में भाग लेने की अपील करता है। इस विशाल रैली से पहले एसकेएम राज्य इकाइयों से केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच के साथ समन्वय स्थापित करके किसानों के संघर्ष पर दमन रोकने और मांगों के समर्थन में पदयात्रा और राज्य राजधानी में राजभवन के समक्ष रैलियां आयोजित करने का आह्वान करता है।

आज किसान भवन में संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब के 100 से अधिक सदस्य प्रतिनिधि शामिल हुए।

जारीकर्ता

मीडिया सेल, संयुक्त किसान मोर्चा।

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