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ग्राउंड रिपोर्ट

13 फरवरी को दिल्ली में किसानों का मार्च, कूच करने की तैयारी में जुटे किसान

भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष और एसकेएम-एनपी के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चंडीगढ़ से फोन पर द हिंदू को बताया कि जिन नेताओं को चर्चा में शामिल होना चाहिए उन्हें गिरफ्तार करके केंद्र सरकार माहौल खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि “एक तरफ, सरकार कह रही है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। दूसरी तरफ, उन्होंने हमारे सैकड़ों नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है।

नई दिल्ली। 13 फरवरी को दिल्ली में किसानों का मार्च होने वाल है जिसके लिए पंजाब-हरियाणा के किसानों ने आज से ही दिल्ली कूच करने की तैयारी शुरु कर दी है।

मूल संयुक्त किसान मोर्चा से अलग हुए समूह, संयुक्त किसान मोर्चा-गैर राजनीतिक (एसकेएम-एनपी) से जुड़े लगभग एक लाख किसानों ने मंगलवार को दिल्ली में रैली की तैयारी शुरू कर दी है। किसान अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग कर रहे हैं। इस मांग पर किसानों की केंद्र सरकार के साथ गुरुवार को पहले दौर की बातचीत हुई जो विफल हो गई थी। जिसके बाद पड़ोसी राज्यों के किसान सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च की तैयारी में जुट गए हैं।

एसकेएम-एनपी नेता शिव कुमार कक्का को मध्य प्रदेश पुलिस ने रविवार को हिरासत में लिया। शिव कुमार कक्का आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी भी हैं। हालांकि उन्हें लगभग तीन घंटे के बाद रिहा कर दिया गया। किसान नेताओं ने द हिंदू को बताया कि वे उनकी हिरासत के विरोध में केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को होने वाली दूसरे दौर की चर्चा का बहिष्कार करने पर विचार कर रहे हैं।

सोमवार को पहले दौर की बातचीत में वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किसानों से कहा कि कई मंत्रालयों से सलाह के बगैर उनकी मांगें नहीं मानी जा सकतीं।

‘माहौल ख़राब करना’

भारतीय किसान यूनियन (एकता सिधूपुर) के अध्यक्ष और एसकेएम-एनपी के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चंडीगढ़ से फोन पर द हिंदू को बताया कि जिन नेताओं को चर्चा में शामिल होना चाहिए उन्हें गिरफ्तार करके केंद्र सरकार माहौल खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि “एक तरफ, सरकार कह रही है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। दूसरी तरफ, उन्होंने हमारे सैकड़ों नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसा करके केंद्र ने यह साफ कर दिया है कि वह किसानों के मुद्दों का निपटारा नहीं करना चाहती है।

श्री कक्का ने बताया कि जिस समय उनको गिरफ्तार किया गया उस समय वह चंडीगढ़ जा रहे थे। उन्होंने कहा कि “मैं सोमवार की चर्चा में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ जाने वाली ट्रेन में चढ़ने वाला था। मुझे गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मैं समझता हूं कि एसकेएम-एनपी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को भी जेल भेजा गया है। तीन घंटे बाद मुझे रिहा कर दिया गया। लेकिन मैं किसी भी कीमत पर विरोध-प्रदर्शन में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ जाऊंगा। केंद्र किसानों को गिरफ्तार करके माहौल खराब कर रहा है।”

केंद्र सरकार से किसानों की सात सूत्रीय मांग है, जिसमें एम.एस. स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूला के अनुसार एमएसपी की गारंटी, किसानों को कर्ज से मुक्ति, सभी कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया जाना, विश्व व्यापार संगठन के साथ सभी मुक्त व्यापार समझौतों और अन्य सौदों को रद्द करना, बिजली बोर्डों का निजीकरण नहीं करना, कृषि में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निगमीकरण पर रोक और किसानों के लिए पेंशन लागू करना।

एसकेएम, सीटीयू ने हड़ताल का आह्वान किया

मूल एसकेएम की भी यही मांगें हैं। मूल एसकेएम ने भी दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) के सहयोग से 16 फरवरी को ग्रामीण और औद्योगिक हड़ताल की घोषणा की है। रविवार को यहां एक संयुक्त बयान में, एसकेएम और यूनियनों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से यूरोपीय देशों के कृषक समुदाय और मजदूरों के बीच बढ़ते असंतोष से सबक सीखने और अपनी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया, जो भारत में तेजी से बढ़ रही हैं।

बयान में कहा गया है “एसकेएम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तावित नीति पर कड़ी आपत्ति जताई है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय निगमों समेत कॉर्पोरेट ताकतों को कृषि में फसल कटाई के बाद के कार्यों को संभालने, खाद्य उत्पादन और मूल्य वर्धित उपभोक्ता उत्पाद बाजार पर नियंत्रण करने और हावी होने की अनुमति दी गई है। कॉर्पोरेट कृषि, कृषि संकट का रामबाण इलाज नहीं है बल्कि इससे भारत में किसानों और मजदूरों की स्थिति  और बिगड़ जाएगी।

एसकेएम ने कहा कि 16 फरवरी को ग्रामीण बंद सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगा, जिसमें सभी कृषि गतिविधियां, मनरेगा योजना के तहत काम और अन्य ग्रामीण और कृषि कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा। ”एसकेएम ने कहा, सामान्य सार्वजनिक और निजी गाड़ियां नहीं चलेंगी। सब्जियों, दूसरे फसलों की आपूर्ति और खरीद भी नहीं होगी, गांव की सभी दुकानें, अनाज मंडियां, सब्जी मंडियां, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय, ग्रामीण, औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संस्थान और निजी क्षेत्र के उद्यमों को बंद रखने का अनुरोध किया गया है। हड़ताल के दौरान कस्बों की दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।“

हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाओं को नहीं रोका जाएगा। एसकेएम ने अपने बयान में कहा है कि “एम्बुलेंस, मृत्यु, शादी, मेडिकल स्टोर, न्यूज पेपर सप्लाई, बोर्ड परीक्षा के उम्मीदवारों और यात्रियों को हवाई अड्डे तक पहुंचाना सुनिश्चित करें।”

(‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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