Tuesday, October 14, 2025
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क्या राहुल गांधी के सामाजिक न्याय की बात देश में लोकतान्त्रिक क्रांति का सबब बनेगी

राहुल गाँधी की निखरती इस छवि के कारण पूरी यात्रा में उन्हें देखने-सुनने वालों की भीड़ कदम-कदम पर बढ़ती जा रही है। सामाजिक बदलाव के लिए वे जिस तरह लोगों को ललकार रहे हैं, क्या उसका प्रभाव लोगों पर पड़ेगा ?

अपने नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से क्यों बेपरवाह है कांग्रेस

जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता चरम पर है, वहीं काँग्रेसी, पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का आला कमान इस खबर से बेपरवाह है। ऐसे में उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि को खंगाला जाये तो ये वही दो प्रतिशत लोग हैं, जिनका देश की संपदा-संसाधनों, उद्योग-धंधों, मीडिया, उच्च शिक्षण संस्थाओं, न्यायपालिका, शासन-प्रशासन सहित समस्त स्रोतों पर एकाधिकार है

इंडिया के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध है ‘इस बार 400 पार’ का दावा जबकि सामाजिक न्याय के मुद्दे पर हार सकती है भाजपा

अबकी बार 400 पार का' जो नारा उछाला, उसका समर्थन करते हुए अमित शाह से लेकर भाजपा के बाकी कनिष्ठ-वरिष्ठ नेताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 और राजग 400 से अधिक सीटें मिलेंगी और देश, विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा। मोदी के दावे के बाद मीडिया में सर्वेक्षणों की बाढ़ भी आ गई, जिसमें उनके दावे को सही ठहराने का बलिष्ठ प्रयास हुआ। दरअसल मोदी ने 400 पार के ज़रिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ा है। भाजपा के लिए 2024 में 200 सीटें पाना भी मुश्किल है। उनके दावे को खारिज़ करने वालों का मानना है कि चूंकि मोदी ने राजसत्ता का बेइंतहा दुरुपयोग किया है और हारने पर उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, इसलिए जीतने के लिए उद्भ्रांत होकर एक मनोवज्ञानिक युद्ध छेड़ा है।

क्या आडवाणी को सामाजिक न्याय की राजनीति को चुनौती देने का इनाम है भारतरत्न

मोदी सरकार ने इस वर्ष सामाजिक न्याय के महान योद्धा कर्पूरी ठाकुर के बाद भाजपा के वयोवृद्ध नेता और रामरथ के सारथी लालकृष्ण आडवाणी...

कांग्रेस, राहुल गांधी की सामाजिक न्यायवादी छवि को सामने लाने का दम नहीं दिखा पायी

कांग्रेस देश की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी है, जिसके नेतृत्व में स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई लड़कर ब्रितानी हुकूमत से देश को आज़ादी मिली। यूं तो...

कानपुर : ‘बुद्ध कथा’ कार्यक्रम में हमले के खिलाफ न्याय के लिए तेज हुआ संघर्ष

पुलिस द्वारा जांच के लिए गए संयुक्त कमिश्नर आनंद प्रकाश ने घटना को लेकर ब्राह्मण समाज द्वारा लगाए गए आरोप 'पिछले साल आयोजित कथा में ब्राह्मण की मूर्ति पर कालिख पोतने और उसे जूतों की मामला पहनाने की वजह से ब्राह्मण समाज आक्रोशित था' को पूरी तरह से निराधार बताया है।

पेरियार : गांव और शहर की वर्णाश्रम व्यवस्था के खिलाफ

गांवों के बारे में अपने विचार को, ‘गांव’ शब्‍द को, गांव और शहर के बीच के फर्क और दोनों में फर्क बताने वाले तरीकों को दिमाग में रखकर आप सुधार के नाम पर जो कुछ भी करेंगे, उससे आने वाला बदलाव उतना ही होगा जैसा ‘पारायर’ और ‘चकिलियार’ जातियों के नाम बदलकर ‘हरिजन’ और ‘आदि द्रविड़ार’ करने से आया है। सच्‍चा बदलाव कभी नहीं आएगा जिससे ‘पारायर’ दूसरे मनुष्‍यों के बराबर हो जाते। हो सकता है कि ‘ग्राम्‍य सुधार कार्यों की मार्फत एक गांव अच्‍छा गांव’ बन जाए, लेकिन गांव के लोगों को कभी भी शहरी लोगों जैसे अहसास या अधिकार नहीं मिल पाएगा। पेरियार का प्रसिद्ध भाषण।

लाभार्थी समुदाय के बरक्स किसान-मजदूर मोर्चा मजबूत ताकत बन सकता है

हिन्दी भाषी प्रदेशों के हाल में संपन्न हुए चुनावों के नतीजों में मंडल पर कमंडल की राजनीति भारी सिद्ध हुई है। भारतीय जनता पार्टी...

एमके स्टालिन द्वारा वीपी सिंह का मूर्ति अनावरण, एक गुमनाम नायक का सम्मान

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को मनुस्ट्रीम मीडिया के पहले पन्ने पर देखना एक सुखद आश्चर्य था। हालांकि, आज के समय में वे उन्हें कभी...

शांति, सद्भाव, सशक्त लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के संकल्प के साथ शुरू हुई पदयात्रा

समाज में शांति सद्भाव की स्थापना लोकतंत्र की मजबूती और सामाजिक न्याय का माहौल स्थापित करने के लिए संघर्ष का संकल्प लेते हुए दस...

भाजपा शासित राज्यों में नहीं थम रहे दलितों-आदिवासियों-मुस्लिमों पर अत्याचार

मीडिया के पूरी तरह गोदी मीडिया बन जाने के बाद उसका काम केवल सत्ता के जूते चमकाना भर रह गया है। वह लगातार चीख-चीख...

कुप्रथा डायन की सूली पर एक और औरत का क़त्ल, क्रूरता ऐसी की ऑंखें भी निकाल ली

बिहार। अरवल में कुछ दबंगों द्वारा एक दलित महिला को पहले लाठी-डंडे से पीटा गया। दबंगों का मन मारने पीटने से नहीं भरा तब...

नवउदारवाद और सामाजिक न्याय के बीच संघर्ष में कुचले गए सामाजिक स्वप्न

जब कभी इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा तो सबसे दिलचस्प अध्याय वह होगा जिसमें आर्थिक उदारवाद के स्वरूप और सामाजिक न्याय के आंदोलन...

बहु-विकल्पीय राजनीति की प्रयोगशाला में बदलता उत्तर प्रदेश और फोटोनिक विखंडन का शिकार होता विपक्ष

वाराणसी। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव का परिणाम भाजपा को सबसे आगे रखने वाला परिणाम बनकर भले ही आया हो पर यह चुनाव उत्तर प्रदेश...

सताये गए लोगों की लंबी चीख है फिल्म ‘जय भीम’ 

फिल्म भीम स्टार वैल्यू के कारण चर्चा में आई। तमिल फिल्मों के चर्चित अभिनेता सूर्या शिवकुमार फिल्म के केंद्र में हैं जिन्होंने वकील चंद्रू की भूमिका निभाई है। गौरतलब है कि चंद्रू मद्रास हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे। यह उनके जीवन के उन प्रारम्भिक दिनों की एक सच्ची घटना पर आधारित है, जब वे वकालत करते थे।

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