Sunday, September 8, 2024
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महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रहा स्वयं सहायता समूह

राजस्थान के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे हैं। इसमें बीकानेर जिला स्थित लूणकरणसर ब्लॉक का बिंझरवाड़ी गांव भी शामिल है, जहां सफलतापूर्वक स्वयं सहायता समूह संचालित की जा रही है। इसमें गांव के गरीब परिवारों को जहां आर्थिक सहायता मिल रही है, वहीं गांव के हर परिवार का भी विकास हो रहा है।

लड़कों की तरह क्यों नहीं पढ़ सकतीं लड़कियां ?

मुजफ्फरपुर (बिहार)। क्या लड़की होना पाप है? कोई गुनाह है? आखिर क्यों लड़की को यह बार-बार एहसास दिलाया जाता है कि वह एक लड़की...

आदिवासी समाज में भी बढ़ रहा है लैंगिक भेदभाव

 सदियों से आदिवासी समाज भले ही आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हुआ है, लेकिन सामाजिक रूप से वह हमेशा सभ्य समाज की परिकल्पना को...

लैंगिक भेदभाव झेल रहीं गांव की लड़कियां

मुजफ्फरपुर (बिहार)। लैंगिक असमानता हमारे रूढ़िवादी व पुरुषवादी समाज की एक बड़ी और गंभीर बीमारी है। सदियों से यह संकीर्ण सोच हमारे समाज व...

घोर स्त्री विरोधी और रूढ़िवादी परम्पराओं का समर्थक प्रकाशन है गीता प्रेस

'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ से लेकर 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो....' तक भारतीय संस्कृति और साहित्य में ढोल-नगाड़ों के साथ काफी 'लाउड’...

कन्या जन्म पर माँओं को दुःखी होने पर विवश करती पितृसत्ता

अक्सर कहा जाता है कि बेटी पैदा होती है तो माँयें चिंतित हो जाती हैं। हम यह कभी नहीं सोचते कि बेटी या ट्रांसजेंडर...

सरकारी योजनाओं के बावजूद आर्थिक कठिनाइयों का सामना करतीं विधवाएं

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस (23 जून) पर विशेष जालोर (राजस्थान)। आज़ादी के सात दशकों बाद भी देश में कुछ जातियां, समुदाय और वर्ग ऐसे हैं, जो...

कुप्रथा डायन की सूली पर एक और औरत का क़त्ल, क्रूरता ऐसी की ऑंखें भी निकाल ली

बिहार। अरवल में कुछ दबंगों द्वारा एक दलित महिला को पहले लाठी-डंडे से पीटा गया। दबंगों का मन मारने पीटने से नहीं भरा तब...

कामुक ही नहीं हिंसक भी हो चुकी है अश्लील आर्केस्ट्रा की उत्सवी अवधारणा

यौन कुंठा में अराजक तत्व के लिए कठपुतली बन रही हैं नाचने वाली लड़कियां यह शादियों का मौसम चल रहा है। गांव-देहात में अभी...

लैंगिक समानता बनाम मर्दानगी का बोझ

'जेंडर' एक सामाजिक-सांस्कृतिक शब्द है, जो समाज में 'पुरुषों' और 'महिलाओं' के कार्यों और व्यवहारों को परिभाषित करता हैं। यह एक ऐसा मानव निर्मित...

हमारे यहाँ लड़कियां बारात में नहीं जाती हैं..

अपवाद छोड़ दें तो स्त्रियों को यदि जिम्मेदारीपूर्ण काम दिए जाएँ और किसी निर्णय लेने में शामिल किया जाए तो वे उस काम को बहुत ही बेहतर तरीके से ख़ुशी-ख़ुशी पूरा करती हैं। लेकिन अक्सर घर-परिवार-समाज में उन्हें इंसान का नहीं, बल्कि एक स्त्री का दर्जा दिया जाता है।  हमेशा उन्हें घर के अंदर शारीरिक मेहनत वाले काम ही सौंपे जाते हैं।  बात-बेबात कमअक्ल और बाहर की दुनिया से अनभिज्ञ समझा ही नहीं जाता, बल्कि इस बात का गाहे-बगाहे ताना भी दिया जाता है।

महिलाओं के शब्द (डायरी 9 जून, 2022)

यदि भारत के ब्राह्मणवादी दार्शनिकों, जिनकी मान्यताएं अवैज्ञानिक रही हैं, को छोड़ दें तो लगभग सभी ने यह कहा है कि सृष्टि के निर्माण...

चुनाव में महिलाओं की भागीदारी महज जुमला है!

https://www.youtube.com/watch?v=Gyqb2WaWciM चुनाव में महिलाओं की भागीदारी महज जुमला है! ताहिर हसन विद्याभूषण रावत रामजी यादव

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