भाजपा की सरकारों में वंचित वर्गों के लोगों की हत्या और उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अति-पिछड़ी और अति-दलित जातियों के लोगों के साथ मुसलमानों की हत्या और उत्पीड़न की लंबी फेहरिस्त है। रोजी-रोटी के जुगाड़ में हमेशा व्यवस्त रहने वाली इन जातियों के लोग असुरक्षित महसूस करने लगे हैं और उनके बीच भी अब सुरक्षा का सवाल प्रमुख मुद्दा बन गया है। अब यही देख लीजिए।
उत्तर प्रदेश में अति-पिछड़ी जातियों में शुमार पवनी जाति कुम्हार के लोगों की इतनी संख्या में हत्याएं और उत्पीड़न हुआ है कि वे सुरक्षा और न्याय के लिए विधानसभा का घेराव करने को मजबूर हो गए हैं। केवल दो सालों में ही 14 वारदातों में 18 से लोगों की हत्या हो चुकी है। शायद यह पहली बार है कि कुम्हार समुदाय के लोग हत्या और उत्पीड़न के सवाल पर विधानसभा का घेराव करने जा रहे हैं। ऐसे ही कुछ हालात धोबी समुदाय के लोगों की भी सामने आई है। पासी समुदाय के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। लोहार समुदाय के लोग भी ऐसी
स्थिति झेल रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
रिहाई मंच ने किया 26 नवंबर को कुम्हारों के विधानसभा घेराव का समर्थन
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ‘उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में वंचित समुदायों (एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिला) के लोगों की लगातार हत्या हो रही है। जाति के आधार पर लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन के हिरासत में लोगों की हत्या हो रही है। वर्तमान योगी सरकार के दौरान 60 से ज्यादा कुम्हारों की हत्या की जा चुकी है। पिछले दो सालों में ही 14 घटनाओं में 18 कुम्हारों की हत्या की जा चुकी है जिसमें हिरासत में हत्या और फर्जी पुलिस एनकाउंटर में हत्या जैसे संगीन मामले शामिल हैं।
प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) और कुम्हार समुदाय ने आगामी 26 नवम्बर को सुबह 11 बजे से लखनऊ में कुम्हारों की हत्या और उत्पीड़न के मामले पर विधानसभा घेराव का आह्वान किया है। यह आह्वान पीड़तों को न्याय दिलाने का आह्वान है। रिहाई मंच हमेशा पीड़ितों और न्याय के साथ खड़ा रहा है।
रिहाई मंच प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) और कुम्हार समुदाय द्वारा आगामी 26 नवम्बर को होने वाले विधानसभा घेराव कार्यक्रम का समर्थन करता है और लोगों से अपील करता है कि लोग भारी से भारी संख्या में इस घेराव में शामिल होकर पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश करें।’
शिवदास प्रजापति स्वतंत्र पत्रकार हैं।