Tuesday, October 15, 2024
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ग्राउंड रिपोर्ट

पूर्वांचल और पूर्वी अवध की नहरों में पानी नहीं, धान की फसल संकट में

पूर्वांचल के लगभग हर जिले में नहरें सूखी हुई हैं। धान की फसल निजी सिंचाई के साधनों से संभाली जा रही है। यही हाल पूर्वी अवध का भी है। नहरों में बालू जमा है तो माइनरों में घासें उगी हुई हैं। स्थानीय किसानों से बात करने पर पता चला कि उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नेताओं के यहाँ जाइए तो वे इस आधार पर हमसे मिलते हैं हैं कि हम उनके वोटर हैं कि नहीं। नहर विभाग से आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता।

 

पूर्वांचल और पूर्वी अवध क्षेत्र सूखे का शिकार हो चुका है। इस मानसून में हुई छिटपुट बारिश के अलावा खेती के लिए पानी मिलना मुश्किल हो गया है और इसका सीधा असर धान की खेती पर पड़ रहा है। सुल्तानपुर, फैजाबाद और अंबेडकरनगर जिले के कई इलाकों में नहरें और माइनर पूरी तरह सूखे और घासफूस से पटे हुये हैं। शारदा कैनाल के अलावा बाकी सभी छोटी नहरें और माइनर बिना पानी के हैं। अयोध्या जिले के समदा (गोशाईगंज) इलाके से गुजरने वाली बड़ी नहर भी बिलकुल सूखी हुई मिली। यह घाघरा का कछारी इलाका है। धान की पैदावार को लेकर किसानों की उम्मीद बुझती जा रही है।

सुल्तानपुर जिले के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित कमिया बहाउद्दीनपुर गाँव से एक माइनर गुजरती है लेकिन उसमें पानी ही नहीं मिला। इस गाँव के किसानों ने बताया कि नहर के पानी से सिंचाई की उम्मीद हम लोगों ने छोड़ दी है। नहर विभाग को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि हमारे खेतों को पानी मिल रहा है या नहीं। यहाँ तक कि माइनर गाद और घासफूस से भर जाती है लेकिन उसकी सफाई भी नहीं करते हैं।

कमिया बाज़ार से गुजरती माइनर जिसमें पानी कभी-कभी ही आता है। ज़्यादातर यह सूखी रहती है।

एक ग्रामीण ने बताया कि ‘पिछले साल हमलोगों ने चंदा लगाकर सफाई कारवाई थी। नहर विभाग के लोग कभी यहाँ नहीं आते। यह उनका हमेशा का रवैया है। जब हम अपने विधायक से इस काम से मिलते हैं तब वह हमें केवल आश्वासन देते हैं। वह तो मिलते भी उन्हीं से हैं जो उनके वोटर होते हैं। यह सब उनके प्रतिनिधि तय करते हैं कि हम अपनी बात कह पाएंगे कि बैरंग लौटेंगे।’

कामिया बहाउद्दीनपुर गाँव के रामसहाय यादव

यहीं के रामसहाय यादव नामक बुजुर्ग ने बताया कि ‘नहर के पानी का कोई भरोसा नहीं है। हमलोग पंपिंगसेट से सिंचाई करते हैं। इस नहर में कभी दो दिन पानी आता है तो बाकी दिन सूखा रहता है। नहर में घास जमी हुई है। कभी सफाई नहीं होती। हमलोगों ने चंदा लगाकर सफाई कारवाई लेकिन जब पानी ही नहीं आएगा तब क्या फाइदा होगा। हमारे विधायक राजेश गौतम कभी इस इलाके में आते हैं तो जो कहा जाता है उसको सुनते भी नहीं हैं। बाज़ार में रुकते हैं तो उनके समर्थक उन्हें माला पहनने और फोटो खिंचाने में लग जाते हैं और विधायक जी उसी में मगन होकर चले जाते हैं। उनको लगता है कि यहाँ किसी की कोई समस्या नहीं है।’

अंबेडकर नगर जिले के कटेहरी ब्लॉक के कई गाँवों के किसान कहते हैं कि पहले की तरह बारिश अब नहीं हो रही है। पूरा का पूरा मौसम सूखा रहता है। ऐसे में नहरों और माइनरों में पानी भी न हो तो हम क्या खेती करेंगे। अब खेती करना एक मजबूरी बन गई है। हम सरकार और नहर विभाग से चाहते हैं कि वह समय पर नहरों में पानी छोड़े ताकि हम अच्छी उपज पा सकें।

सोनगाँव घटना के एक किसान ने कहा कि ‘सरकार कहती हैं कि हम किसानों की उपज दुगुनी करेंगे लेकिन कहाँ से दुगुनी आय होगी जब पानी ही मुहाल होगा। हमें हमेशा लॉलीपाप दिया जाता है लेकिन हमारी स्थिति यह है कि हम महंगी दर पर खेती कर रहे हैं और धीरे-धीरे कर्ज़ में डूबते जा रहे हैं।

गोशाईगंज अयोध्या के समदा गाँव से गुजरती नहर। इसमें फ़िलहाल पानी नहीं है। यह इलाका घाघरा का कछारी इलाक़ा है।

अयोध्या जिले के समदा इलाके में बड़ी नहर के सूखने के संबंध में एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि ‘इस साल इस नहर में पानी ही नहीं आया। यह जो यहाँ-वहाँ पानी आप देख रहे हैं वह बारिश का पानी है। धान लगाने का मौसम बीत गया लेकिन नहर में पानी नहीं आया। किसी तरह लोगों ने निजी प्रयास से सिंचाई की व्यवस्था करके धान लगाया है। ट्यूबवेल से पानी बहुत महंगा पड़ता है। हमलोग बार-बार नहर विभाग तक अपनी समस्या पहुँचाते है इसके बावजूद हमारी कोई सुनवाई नहीं होती।’

इस पूरे इलाके में लोग इसी तरह की छोटी-छोटी लेकिन बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनके सामने आजीविका का प्रश्न पहाड़ की तरह खड़ा है। छोटी और मध्यम आकार के काश्त वाले किसान अपने खेतों में मजदूर होकर रह गए हैं लेकिन पानी के संकट से उन्हें अपेक्षित उपज नहीं मिल पाती है।

 

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