वरिष्ठ विचारक-लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता राम पुनियानी की हाल ही में अगोरा प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक’हिंसा-सांप्रदायिकता : मिथक और यथार्थ’ इस अर्थ में एक अनूठी पुस्तक है कि हालिया दशकों में आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों द्वारा संविधान और इतिहास के साथ ही मुसलमानों के खिलाफ फैलाई गई झूठी अवधारणाओं का पर्दाफाश करती है। यह बहुत छोटे-छोटे अध्यायों वाली ऐसी किताब है जो गहन शोध के साथ लिखी गई है। बिलकुल साधारण पाठक भी इसे बड़े मजे में दिनभर में पढ़ सकते हैं और मेरा दावा है कि इससे उनकी बौद्धिक समझ व्यापक बनेगी। इसी किताब पर आज बातचीत कर रहे हैं स्वयं प्रोफेसर राम पुनियानी और गाँव के लोग के संपादक रामजी यादव ।
इधर बीच
ग्राउंड रिपोर्ट
यह किताब आरएसएस के हर झूठ को बेनक़ाब करती है
वरिष्ठ विचारक-लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता राम पुनियानी की हाल ही में अगोरा प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक’हिंसा-सांप्रदायिकता : मिथक और यथार्थ’ इस अर्थ में एक अनूठी पुस्तक है कि हालिया दशकों में आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों द्वारा संविधान और इतिहास के साथ ही मुसलमानों के खिलाफ फैलाई गई झूठी अवधारणाओं का पर्दाफाश करती है। यह […]


गाँव के लोग
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