Saturday, April 20, 2024
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ट्रांसजेंडरों ने कहा- हम नहीं हैं थर्ड जेंडर

बनारस में प्रिज्मैटिक फाउंडेशन की ओर से ‘इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी’ का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी (31 मार्च) के अवसर पर प्रिज्मैटिक फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। मैदागिन स्थित पराड़कर भवन सभागार में शहर के ट्रांस नागरिक और एलजीबीटी समुदाय के लोगों ने अपनी पहचान और सम्मान के लिए […]

बनारस में प्रिज्मैटिक फाउंडेशन की ओर से ‘इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी’ का आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी (31 मार्च) के अवसर पर प्रिज्मैटिक फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। मैदागिन स्थित पराड़कर भवन सभागार में शहर के ट्रांस नागरिक और एलजीबीटी समुदाय के लोगों ने अपनी पहचान और सम्मान के लिए यह आयोजन किया।

ट्रांसजेडंर डे क्या है? समझाते हुए एलजीबीटी समुदाय के लिए लम्बे समय से काम कर रही नीति ने बताया कि इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी (International Transgender Day of Visibility – TDOV) प्रतिवर्ष 31 मार्च को दुनियाभर में ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सोच से मनाया जा रहा है। साथ ही समाज में इस समुदाय के योगदान को सम्मान पूर्वक याद करते हुए हम आज के कार्यक्रम में जश्न भी मना रहें हैं। इस दिवस की स्थापना 2009 में मिशिगन यूएस में हुआ था।

एना ने कहा की एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिनका जेंडर, समाज द्वारा दिए गए जेंडर से भिन्न होता है। उनकी जेंडर अभिव्यक्ति भिन्न हो सकती है या नहीं भी हो सकती है। इस प्रकार, एक ट्रांसपुरुष (ट्रांसमैन) वह होता है, जिसे जन्म के समय स्त्री जेंडर पहचान दे दी जाती है। लेकिन वह स्वयं की पहचान पुरुष जेंडर से करते हैं। इसी तरह, एक ट्रांसमहिला (ट्रांसवुमन) वह होती है जिसे जन्म के समय पुरुष जेंडर दिया गया होता है लेकिन वह स्वयं की पहचान महिला जेंडर से करती है।

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वर्तमान समय में समाज में स्थिति को साझा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवांगी ने कहा की एक अध्ययन के अनुसार LGBTQ के 50% से ज्यादा लोग हर प्रकार के इलाज के दौरान किसी न किसी रूप में भेदभाव का अनुभव करते। Indian Journal for Psychological Medicine के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 31% ट्रांसजेंडर आत्महत्या करके अपना जीवन खत्म कर लेते हैं और उनमें से 50% अपने 20 साल की उम्र के पहले कम से कम एक न एक बार आत्महत्या करने की कोशिश किये रहते हैं।

शहनाज गुरु ने कहा कि तमाम बुरे हालात के साथ साथ ट्रांस नागरिकों के हीत में हो रहे कामो की भी एक सूची है। 2019 में ट्रांस नागरिकों के तमाम मानवीय अधिकार सुनिश्चित करते हुए भारत की संसद ने ट्रांस नागरिक अधिकार 2019 को बनाया है। इस ऐक्ट के माध्यम से इनके शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, रोजगार की उपलब्धता के साथ साथ भेदभाव और हिंसा से बचाव सुनिश्चित करते हुए एक नागरिक के तौर पर मर्यादा और सम्मान भी मिले इसका वादा किया गया है।

विक्की ने कहा कि ट्रांस नागरिक पहचान पत्र, आयुष्मान कार्ड, मुस्कान शिक्षा स्कॉलरशिप योजना, गरिमा योजना आदि इनके हित में चल रही कल्याणकारी योजनाओ की जानकारी भी कार्यक्रम के दौरान दी गयी।

कार्यक्रम के दौरान नीति के द्वारा वीडियो दिखलाकर कई मनोरंजक गतिविधि की गयी। रचनात्मक क्रिया और खेलों के आयोजन के साथ ट्रांस नागरिक सिर्फ नाच-गाना बधाई की ही बात नहीं करते हैं, इसके अतिरिक्त उनकी भी भावनायें हैं। उन्हें भी ख़ुशी होती है। दुःख का एहसास एक किसी अन्य सामान्य इंसान की तरह ही होता है, ये जताया गया।

कार्यक्रम का संचालन शिवांगी ने किया। सभा में आए लोगों का स्वागत एना ने और धन्यवाद ज्ञापन रणधीर ने किया। कार्यक्रम के दौरान अनेक एलजीबीटी समुदाय के लोग और ट्रांस नागरिक मौजूद रहे।

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