अमेरिकी साम्राज्यवाद की साजिश को उजागर करें अपनी आज़ाद नज़र से – सईद नक़वी
हरनाम सिंह और विनीत तिवारी
भारत की आज़ादी का विधेयक पहले ब्रिटेन की संसद में पास हुआ था। ज़ाहिर है कि अंग्रेजी साम्राज्यवाद स्वतंत्रता आंदोलन की वजह से भारत को आज़ाद करने के लिए तो मजबूर हुआ लेकिन वो कभी नहीं चाहता था कि यहाँ पूँजीवाद की व्यवस्था खत्म होकर समाजवाद आ जाये। इसलिए जब पहली बार दुनिया में वोट के जरिये केरल में समाजवादी सरकार आई तो उसे गिराने के लिए सीआईए ने भी केरल की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन प्रायोजित करवाये। इस महामारी के दौरान पूरी तरह खोखली साबित हो चुकी पूँजीवादी व्यवस्था का वर्चस्व बनाये रखने के लिए अमेरीकी साम्राज्यवाद अब देशों के भीतर और देशों के बीच में लड़ाइयाँ जारी रखना चाहता है।
अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में बीस वर्षों तक अपनी फौजें लगाए रखीं और अमेरिका दावा करता है कि उसने वहाँ अरबों डॉलर का निवेश किया। वो निवेश कहाँ है? वहाँ अस्पताल, स्कूल या रोजगार ऐसे ठिकाने कहाँ हैं जिनसे कहा जा सके कि वो निवेश विकास के लिए था। जिस अशरफ गनी की सरकार को अफ़ग़ानिस्तान में बचाए रखने के लिए अमेरिका की देखा-देखी भारत सरकार भी आमादा थी, वो अशरफ गनी अपने देश की जनता को छोड़कर करीब एक सौ सत्तर करोड़ डॉलर लेकर भाग गया।

हरनाम सिंह और विनीत तिवारी