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लखनऊ: पुलिसिया प्रताड़ना से आजिज आकर आशीष ने की आत्महत्या, दो दरोगा लाइन हाजिर

लखनऊ। जिले के रहीमाबाद थाना अंतर्गत एक प्रतियोगी छात्र आशीष कुमार रावत (22) ने रविवार दोपहर में खुदकुशी कर ली। उसका शव कमरे में पंखे से लटकटा मिला। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। मौके से दो पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में आशीष ने […]

लखनऊ। जिले के रहीमाबाद थाना अंतर्गत एक प्रतियोगी छात्र आशीष कुमार रावत (22) ने रविवार दोपहर में खुदकुशी कर ली। उसका शव कमरे में पंखे से लटकटा मिला। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। मौके से दो पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में आशीष ने रहीमाबाद थाने पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है। आशीष के सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस की किरकिरी होती देख पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने रात 8.30 बजे दोनों दरोगा व सिपाही को लाइनहाजिर कर दिया। साथ ही इन सबके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू करा दी।

आशीष का सुसाइड नोट

माल के गदहों निवासी आशीष ने दुकान में रखे एक सीमेंट कंपनी के एस्टीमेट बुक के दो पन्नों पर सुसाइड नोट लिखा है। इसमें लिखा कि नंदू विश्वकर्मा, अरविंद, श्याम किशोर ने साजिश रचकर हम दोनों भाइयों आशीष कुमार और मनीष उर्फ मयंक पर अपने मजदूरों के जरिये झूठा केस दर्ज कराया है। रहीमाबाद थाने के दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने मिलकर झूठी एफआईआर दर्ज की। हमने इनसे कहा कि हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनको चेक कर लो। धोखे से हम भाइयों को थाने पर बुलाकर सादे कागज व आधार कार्ड पर दस्तखत करा लिए। मैं खुदकुशी करने जा रहा हूं। रहीमाबाद थाना पूरा भ्रष्ट है।

चार्जशीट दाखिल होने के बाद से डिप्रेशन में था आशीष

माँ सुशीला के मुताबिक, केस में चार्जशीट लगने के बाद आशीष डिप्रेशन में चला गया। उसे हर वक्त यही चिंता सताती रहती कि इसकी वजह से उसे सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत होगी। वह अक्सर कमरे में गुमसुम बैठा रहता या रोता रहता था।

एफआईआर की कॉपी

आशीष की माँ सुशीला ने थाने में तहरीर देकर दरोगा राजमणि पाल व लल्लन प्रसाद पाल और सिपाही मोहित शर्मा के साथ ही बकतौरीपुर निवासी नंदू विश्वकर्मा व श्यामलाल के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। एसीपी वीरेंद्र विक्रम ने बताया कि सुशीला की तहरीर पर जांच की जा रही है।

8 दिसंबर 2018 की घटना

सुशीला के मुताबिक 8 दिसंबर 2018 को आशीष पिता महादेव के साथ नंदू विश्वकर्मा की दुकान पर ट्रॉली खरीदने गया था। वहां पर किसी बात पर नंदू से कहासुनी हो गई। इस पर नंदू के मजदूरों ने आशीष के सिर पर सरिया से वार कर घायल कर दिया था। पिता महादेव ने नंदू व उसके मजदूरों पर माल थाने एससी/ एसटी एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज कराया था। इस मुकदमे में समझौते के लिए नंदू लगातार आशीष व उसके पिता पर दबाव बना रहा था।

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सुशीला का आरोप है कि समझौता नहीं करने पर नंदू ने शिवपुरी निवासी अपने मित्र श्यामलाल से रहीमाबाद थाने में 28 सितंबर, 2022 को एक तहरीर दिलाई। इसमें श्यामलाल ने बताया कि वह महादेव के घर में स्थित मोरंग बालू व गिट्टी की दुकान में सामान खरीदने गया था। वहां खरीदारी के दौरान आशीष व उसके भाई मयंक ने मारपीट की। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। तब दरोगा राजमणि पाल ने दुकान व घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने के बाद मामले को रफादफा करने की बात कही थी।

सुशीला का आरोप है कि दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने आशीष व मयंक पर दर्ज केस में अंतिम रिपोर्ट लगाने की बात कही। इसके लिए तीनों ने 50 हजार रुपये की मांग की। कहा कि, रुपये दे दो, मुकदमे को खत्म कर दूंगा। रुपये देने से इनकार करने पर धमकी देने लगे। इसके बाद दूसरे पक्ष से मिलकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी।

एडीसीपी पश्चिमी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने कहा कि तीनों पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है। हालांकि, दोनों आरोपित दरोगा आशीष के केस में विवेचक नहीं हैं।

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