वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के यूजी और पीजी की पढ़ाई कर रहे छात्र इन दिनों छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का फार्म भरने के लिए परेशान नजर आए। कारण फार्म भरने की समय सीमा 10 जनवरी बीत चुकी है और खराब सर्वर के कारण 20 प्रतिशत ही छात्र ही फार्म भर पाए हैं। छात्र जनसेवा केन्द्रों का चक्कर लगाते परेशान हो रहे हैं। फोरम भरने की समय सीमा भी बीत चुकी है। ऐसे में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का फार्म का न भर पाने से उनके अन्दर काफी निराशा है।
दिनभर में सिर्फ एक या दो फार्म ही भरे जाने से अब 10 जनवरी लास्ट डेट तक जनसेवा केंद्र संचालकों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। काफी प्रयास के बावजूद खराब सर्वर के कारण छात्र-छात्राएं आवेदन नहीं कर सके हैं। योजना के तहत छात्र छात्राओं से आवेदन कराने के लिए विभाग ने सारिणी जारी की है। पिछले दो महीने से आवेदन प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इसके बाद भी अभी तक 20 फीसदी से कम छात्र-छात्राएं ही आवेदन कर सके पाए हैं।
सर्वर की क्या है परेशानी
छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए पंजीकरण कराने के बाद आवेदन पूर्ण करने से लेकर आय, जाति प्रमाणपत्र के मिलान और आधार कार्ड व बैंक खाता मैपिंग तक खराब सर्वर दिक्कतें पैदा कर रहा है। जिससे फार्म अपलोड नहीं हो पा रहा है और इस वजह से सबमिट नही हो रहा है।
प्रमाणपत्र व आवेदन क्रमांक सही होने के बावजूद पोर्टल क्रमांक को गलत बता रहा है। पहले यूजी, पीजी और एलएलबी के छात्रों की आय-जाति प्रमाण पत्र के कारण देर लगी। अब आधार कार्ड, एनपीसीआई और छात्रवृत्ति का सर्वर काम नहीं कर रहा है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी जीआर प्रजापति ने बताया कि सर्वर डाउन होने की शिकायत मिल रही है। शासन को इस बात से अवगत कराया गया है। वही छात्रों ने सर्वर की ख़राबी सही कर लास्ट डेट बढ़ाने की माँग की है। ताकि कोई भी छात्र छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति से वंचित ना रह पाए।
छात्र-छात्राएं क्या कहते हैं-
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के एमएसडब्ल्यू के छत्र और बाबतपुर निवासी विकास कुमार कहते हैं कि। स्कालरशिप का मेरा फार्म तो किसी प्रकार से भर गया लेकिन मेरे कई मित्रों का फार्म अभी भी सर्वर खराब होने के कारण नहीं भर पाया है। हालांकि फार्म भरने की तारीख 14 जनवरी तक बढ़ा दी गई है लेकिन सर्वर का यही हाल रहा तो मुझे नहीं लगता कि 14 तारीख तक सभी का फार्म भर पाएगा।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से ग्रेजुएशन कर रही चन्दौली जिले की खुशबू यादव कहती हैं मैं तो काफी दिनों से स्कालरशिप का फार्म भरने के लिए जनसेवा केन्द्र का चक्कर लगा रही हूं लेकिन अभी तक मेरा फार्म नहीं भरा जा सका है। सर्वर की दिक्कत के चलते मुझे कई कई घंटे घर से बारह रहना पड़ता है। मेरे साथ की पढ़ने वाली कई लड़कियां भी फार्म भरने के लिए परेशान हैं । उनका भी अभी तक फार्म सर्वर की समस्या के चलते नहीं भरा पाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन को पहले सर्वर की समस्या को ठीक कराना होगा नहीं तो डेट चाहे जितनी बढ़ा दी जाय उससे समस्या का समाधान हल होने वाला नहीं है।
गाजीपुर जिले के रहने वाले महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से एमएसडब्ल्यू कर रहे छात्र अविनाश यादव कहते डेढ़ हफ्ते तक साइबर का चक्कर लगाने के बाद मेरा फार्म कल जाकर शाम को क्लीयर हुआ। मेरे कितने दोस्त तो अभी भी फार्म नहीं भर पाए हैं। शुक्र है कि फार्म भरने की डेट बढ़ गई है। लेकिन मेरा बस इतना ही कहना है विश्वविद्यालय प्रशासन को कोई फार्म निकालने से पहले सर्वर की समस्या को पहले ही ठीक कर ले तो बाद में आने वाली समस्याओं से दो-चार तो नहीं न होना पड़ेगा। हर साल इस तरह की समस्या आती है और विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ नहीं करता।
छात्र-छात्राओं का कहना है कि इसी काम के लिए भटकते रहने पर हम पढ़ाई कब करेंगे। कार्यालय के चक्कर लगाते रहने पर कक्षाएं बाधित होने के कारण पढ़ाई से पीछे हो जाते हैं। इस वजह से घर और क्लास दोनों जगह हमें डांट सुन्नी पड़ती है।
साइबर केंद्र चलाने वाले अभिषेक सिंह कहते हैं जब से विद्यापीठ का फार्म निकलने के बाद लगभग दो महीने से अब तक बहुत ही कम छात्रों का फार्म भरा गया। जो छात्र या छात्राएं फार्म भरवाने के लिए यहां आ रहे हैं। उनके फार्म भरने की प्रक्रिया के दौरान सर्वर बैंक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर जाकर रूक जा रहे हैं। काफी लड़के-लड़कियां यहां से बिना फार्म भरवाए ही चले गए। अभी हमारे यहां पचासों छात्र-छात्राओं का फार्म पड़ा हुआ है। यही नहीं फार्म भरने के लिए अनेक लछात्र-छात्राओं के फोन आए हैं। मैंने उनसे सर्वर स्लो होने की बात पहले ही बता दी है।
जानकारी के मुताबिक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी से पांच जिलों के कुल 377 कालेज सम्बद्ध है । इन कालेजों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से देखा गया है कि जब भी छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आनलाइन फार्म निकलता है सर्वर की समस्या की समस्या शुरू हो जाती है।
बहरहाल जो भी हो विश्वविद्यालय प्रशासन को इन समस्याओं का निराकरण गंभीरता के साथ करना चाहिए जिससे हजारों छात्रों का नुकसान होने से बच जाय।