Wednesday, June 25, 2025
Wednesday, June 25, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलवाराणसी : 'मेरी रातें मेरी सड़कें' कार्यकम में महिलाओं ने बराबरी के...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

वाराणसी : ‘मेरी रातें मेरी सड़कें’ कार्यकम में महिलाओं ने बराबरी के अधिकार का किया दावा

निर्भया गैंगरेप से अगर आज तक के सफर को देखा जाए तो हम पाएंगे कि बलात्कार, यौन हिंसा और महिला उत्पीड़न जैसे मामलों से निपटने में हमारी संवेदना का पतन हुआ है। वह दौर था जब पूरा समाज, मीडिया और विपक्ष एकजुट होकर सरकार से सवाल करता था और सरकारों को जनहित में कानून बनाने को मजबूर करता था। आज जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं मीडिया और पूरा सरकारी तंत्र सरकार के पक्ष में खड़ा हो जाता है। अब ऐसे मामलों में न्याय से पहले पीड़िता या अपराधी की पहचान को देखा जाने लगा है।

 आज दिनांक 16 दिसंबर 2024 की शाम ग्राम पंचायत  मिसिरपुर में ‘मेरी रातें, मेरी सड़कें’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें भारी संख्या में किशोरियों, महिलाएं तथा सहयोगी लोग शामिल हुए तथा देश में महिलाओं के उपर बढ़ती हिंसा के खिलाफ नारे और प्ले कार्ड के माध्यम से आवाज उठाई।

आज के ही दिन देश की राजधानी दिल्ली में हुए विभत्स निर्भया गैंगरेप को 12 साल हो गए। इन 12 सालों के आंकड़ो पर गौर करें तो महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बलात्कार जैसे मामलों में वृद्धि ही हुई है। हाथरस, उन्नाव, कठुआ, बिलकिस बानो, RG Kar से लेकर IIT-BHU तक ऐसी घटनाओं की लंबी लिस्ट है।  गृह मंत्रालय का आंकड़ा कहता है, 2012 में हर दिन 68 महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं होती थी, जो महज 6 साल बाद यानि 2018 में बढ़कर 91 हो गयीं। जबकि ये वो आंकड़े है जो रजिस्टर्ड है। संयुक्त राष्ट्र (वुमेन) के आंकड़ें कहते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली में भी 95 प्रतिशत महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

केंद्र में BJP की सरकार आने के बाद अब ऐसे मामलों पर अपराधियों पर कार्रवाई के बजाय पीड़िता और पीड़िता के साथ खड़े लोगों पर कार्रवाई की सिलसिलेवार घटनाएं देखी जा सकती हैं।  महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के तमाम दावे और वायदे झूठे साबित हुए हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों में ही महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश लगातार प्रथम स्थान पर बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार वृद्धि हो रही है।

यह भी पढ़ें –दिल्ली विश्वविद्यालय : नियुक्ति में NFS का खेल जारी है

NCRB, 2023 के आंकड़ों के अनुसार बनारस में हर छठवें दिन बलात्कार की घटना हो रही है। इन आंकड़ो के अनुसार ही वर्ष 2022 में बनारस में 18 वर्ष से कम उम्र के 46 बच्चे बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना हुई वहीं 61 महिलाओं के साथ रेप मामले आए हैं। बनारस में कभी BHU जैसे संस्थान के भीतर गैंगरेप की घटना हो जाती है तो कभी चौराहे पर टंगी किसी लड़की की लाश मिलती है। ‘बेटी बचाओ’ के नारे विज्ञापन से बाहर दिखाई नहीं देते। क्या महिला सुरक्षा का मुद्दा चुनावी जुमले तक सीमित हो चुका है? एक तरफ इन नारों की गूँज है दूसरी तरफ सुरक्षा के नाम पर लड़कियों को घर और हॉस्टल में कैद किया जा रहा है। IIT-BHU घटना के अपराधी जो BJP के पदाधिकारी भी थे, आज जमानत पर बाहर हैं जबकि पुलिस ने घटना के एक साल बाद भी इस मामले में पीड़िता के गवाहों के बयान तक नहीं कराया है। आपको शायद पता हो कि इन रेपिस्टों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे छात्रों के खिलाफ झूठे मुकदमें कराये गए तथा उन्हें विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया।

 देश की राजनीति महिला सुरक्षा एवं समान अधिकार, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे जरूरी मुद्दों के प्रति लगातार असंवेदनशील होती जा रही है। हर मुद्दे को मजहबी रंग देकर हमें हिंदू- मुस्लिम में बाँटनें और समाज में नफरत घोलने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि सच यह है कि कठुआ, उन्नाव, बिलकिस बानो, हाथरस, महिला पहलवान से लेकर IIT-BHU तक ऐसे तमाम मामले सामने आये जिसमें सरकार बलात्कारियों और अपराधियों को बचाती नजर आयी। हम लोगों ने R.G. Kar रेप मामले में सरकार और व्यवस्था की निष्क्रियता और असंवेदनशीलता को भी देखा है। आज हमारे 151 सांसद और विधायकों के खिलाफ महिला संबंधी अपराध के गंभीर मामले दर्ज हैं। जब चाय की दुकान से लेकर देश की संसद तक ऐसे अपराधी बैठे हों, फिर महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा कैसे सुनिश्चित होगी ये एक गंभीर प्रश्न है। आये दिन इन नेताओं के महिला विरोधी बयान सुने जा सकते हैं।

यह भी पढ़ें –पानी की ‘ब्यूटी’ का इस्तेमाल करने वाला सिनेमा पानी के प्रति ड्यूटी’ कब निभाएगा

कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ 7 दरिंदों ने सामूहिक बलात्कार किया। अफसोस कि कुछ स्थानीय लोगों और BJP के तीन मंत्रियों द्वारा रेपिस्टों के समर्थन में मार्च निकाला गया। बिलकिस बानो (गुजरात दंगे में बलात्कार पीड़िता) के बलात्करियों की रिहाई की गयी जिनका फूल मालाओं से स्वागत हुआ। क्या आपको ‘बुल्ली बाई सुल्ली डील’ की घटना याद है जब कुछ लोग एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये मुस्लिम महिलाओं की नीलामी कर रहे थे। आपको हाथरस की घटना तो याद होगी जिसमें 19 साल की दलित बच्ची के साथ बलात्कार और हत्त्या हुई थी। यूपी पुलिस ने पीड़िता के परिवार को जानकारी दिये बगैर उसकी लाश को रात के 2.30 बजे जला दिया। इस मामले पर बात करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई हुई। ये महज कुछ उदाहरण हैं। ऐसे मामलों में सरकार और पुलिस की ऐसी कार्रवाई एक आम नियम बन चुका है।

आज मेरी रातें, मेरी सड़कें कार्यक्रम में सभी एकजुट होकर ये ऐलान किए कि अब हम और ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त  नहीं करेंगे। महिलाओं के लिए सर्वाजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाना होगा जिसपर उनका बराबरी का हक है। आज कार्यक्रम दख़ल और विश्व ज्योति जन संचार समिति के तत्वाधान में आयोजित किया गया, सक्रिय रूप से आसना, शर्मिला,नीति,  नेहा, आकांक्षा, सूरज, कंचन, दीपक और विकास समेत अनेक लोग  शामिल हुए।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment