आज EVM हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी के पवन कुमार भीलवाड़ा से लखनऊ पहुँचे। उन्होंने प्रेस क्लब लखनऊ में पत्रकार वार्ता के दौरान एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रदर्शन कर यह दिखाया कि VVPAT (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल ) की पर्ची को बदला भी सकता है और मतदाताओं के मत के साथ छल किया जा सकता है।
उन्होंने एक EVM पर प्रदर्शन कर दिखाया कि दो बार लगातार केला चिन्ह पर बटन दबाने पर दोनों बार काले शीशे वाली VVPAT मशीन में दिखा तो केला ही लेकिन प्रिंटर के अंदर एक पर्ची केले की छपी और दूसरी सेब की। यह मशीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के इंजीनियर और अमरीका से स्नातकोत्तर डिग्री करने वाले अहमदाबाद के राहुल चिमनभाई मेहता ने बनाई है। वे खुद EVM हटाओ सेना व राइट टू रिकॉल पार्टी से भी जुड़े हुए हैं।
यह मशीन दिखाती है कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता जैसे दावे झूठे हो सकते हैं। सच्चाई तो यह है कि यदि कोई चाहे तो EVM से आसानी से मत लूटे जा सकते हैं। यदि दूसरा मतदाता भी केले को ही मत देता है तो उसे भी 7 सेकेंड के लिए VVPAT में पहले वाले ही मतदाता की ही केले के निशान वाली पर्ची दिखाई पड़ेगी। रोशनी बुझने पर तीसरे मतदाता के आने से पहले ही प्रिंटर सेब छाप देगाा। यह न तो मतदाता को पता चलेगा न ही वहां मौजूद किसी अधिकारी को।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का कहना है, ‘EVM के प्रदर्शन का उद्देश्य भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए EVM संबंधी दावों की सच्चाई सामने लाना है। जो लोग VVPAT की 100 प्रतिशत पर्चियां गिनने की बात कर रहे हैं, वो भी समझ लें कि उसमें भी गड़बड़ी की सम्भावना है। VVPAT पर उतनी ही पर्चियाँ गिनी जाएंगी जितने EVM पर बटन दबे। लेकिन यह किसे मालूम कि किस निशान पर कितने मत पड़े?’
VVPAT की पर्ची जब तक मतदाता के हाथ में नहीं दी जाती और वह उसे सादे डिब्बे में नहीं डालता जिसका बिजली से कोई कनेक्शन न हो और फिर ये पर्चियां गिनी जाएं तभी इस बात की गारंटी है कि कोई गड़बड़ी नहीं होगी। लेकिन ऐसा करने से बहुत आसान है मतपत्र (बैलेट पेपर) से मतदान कर सीधे मतपत्र ही गिन लेना। पार्टी ने सवाल उठाया है ऐसे में EVM या VVPAT की क्या जरूरत है ?
राइट टू रिकॉल पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) दोनों ने ही मांग की है कि भारत में चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराए जाने चाहिए।