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भारत जोड़ो न्याय यात्रा : मेघालय पहुँचकर राहुल गांधी ने कहा, आरएसएस देश की जड़ों को कमज़ोर कर रही है 

पहमसियेम (मेघालय)। आज 23 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा का दसवां दिन है। यह यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई थी और आज मेघालय में असम-मेघालय सीमा पर राहुल गांधी यहाँ रहने वाले लोगों खासकर युवाओं से बातचीत करेंगे। रात बरनीहाट में रुके थे और आज आगे की यात्रा शुरू करने के  बाद […]

पहमसियेम (मेघालय)। आज 23 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा का दसवां दिन है। यह यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई थी और आज मेघालय में असम-मेघालय सीमा पर राहुल गांधी यहाँ रहने वाले लोगों खासकर युवाओं से बातचीत करेंगे। रात बरनीहाट में रुके थे और आज आगे की यात्रा शुरू करने के  बाद फिर से असम में प्रवेश करेंगे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश के आधार पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ भारत की अवधारणा की रक्षा के लिए शुरू की गई है।

गांधी ने यात्रा के असम से मेघालय में प्रवेश करने के बाद यहां एक जनसभा में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोगों के सौहार्द्र के साथ रहने और सभी समुदायों, भाषाओं तथा परंपराओं का सम्मान किए जाने की अवधारणा पर हमला किया जा रहा है। भारत की अवधारणा की रक्षा के लिए हम कन्याकुमारी में समुद्र से लेकर कश्मीर के पहाड़ों तक (2022-23 में) चले। हमने किसानों, मजदूरों और युवाओं की आवाज सुनी।

उन्होंने कहा कि उस ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बाद बहुत से लोग चाहते थे कि ‘हम पूर्वोत्तर, ओडिशा, छत्तीसगढ़, बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने वाले लोगों की आवाज भी बनें इसलिए हमने मणिपुर से महाराष्ट्र तक एक और यात्रा शुरू करने का फैसला किया।’’

कई लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि यात्रा मणिपुर से क्यों शुरू हुई,लोगों के मन उठे इस सवाल का जवाब है कि   आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ने मणिपुर को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है। यहाँ की शांति और लोगों के बीच जो प्राकृतिक सौहार्द्र था उस पर हमला किया गया।

पिछले 8 महीनों से यहाँ नफरत और हिंसा की राजनीति ने राज्य को टुकड़ों में बांट दिया है, जिसके कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और हजारों लोगों को अपनी संपत्ति गंवानी पड़ी है। यह त्रासदी है इसलिए हम शेष भारत को यह बताना चाहते हैं कि मणिपुर के लोग कितनी पीड़ा महसूस कर रहे हैं।

मैं इस बात से हैरान हूं कि भारत के प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। क्या मणिपुर भारत का राज्य नहीं है? क्या मणिपुर के लोग भारत का हिस्सा नहीं हैं?

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अगर प्रधानमंत्री मणिपुर में हिंसा रोकना चाहते तो वह तीन दिन में ऐसा कर सकते थे।

अगर उन्होंने भारतीय सेना से कहा होता कि मणिपुर में हिंसा रोकी जानी चाहिए तो मुझे विश्वास है कि भारतीय सेना कुछ ही दिनों में इसे रोक देती। सच तो यह है कि उन्हें मणिपुर में हिंसा खत्म करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। भारत सरकार मणिपुर को जलने देने और यहां के लोगों को पीड़ा में देखकर खुश है।

गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई राज्यों का दौरा किया है लेकिन उन्होंने मणिपुर जाने से इनकार कर दिया।

यात्रा मणिपुर से नगालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश होते हुए अब मेघालय में प्रवेश कर गई है।

कांग्रेस नेता ने सभा में कहा, ‘‘हम आपकी संस्कृति, भाषा और परंपराओं का सम्मान करते हैं और हमारा मानना है कि मेघालय का शासन मेघालय से होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल की आवाज को कुचला जा रहा है। आपकी परंपरा, इतिहास और जीवन शैली पर आरएसएस द्वारा हमला किया जा रहा है।’

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मेघालय सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया था और इस बयान के कुछ ही देर बाद उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ साझेदारी कर ली।

गांधी ने कहा कि मेघालय की खासी और गारो भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हैं और स्वायत्त परिषदों की शक्ति छीन ली गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम का परोक्ष जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ये कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हम भारत जोड़ो न्याय यात्रा में उठाना चाहते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका उद्देश्य आपसे बात करना और आपकी बात सुनना है। मैं यहां अपने ‘मन की बात’ बताने नहीं आया हूं बल्कि आपके ‘मन की बात’ सुनने आया हूं।’’

गांधी ने कहा कि वह दिल्ली में उनके ‘सिपाही’ हैं। दिल्ली  में आपको मुझसे जो भी जरूरत होगी, मैं हमेशा उसके लिए तैयार रहूंगा।’

इसके पहले 22 जनवरी को राहुल गांधी के मंदिर जाने की खबरों के बीच श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और पुलिस बल की भारी तैनाती है। सड़कों पर भी नाकेबंदी कर दी गई है। स्थानीय सांसद तथा विधायक के अलावा किसी भी कांग्रेसी  नेता को मंदिर स्थल से करीब 20 किलोमीटर दूर हैबरगांव से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई। मीडिया दल को भी हैबरगांव से आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई।

बहरहाल जो भी हो इस पूरे घटना से एक ही बात समझ में आती है कि बीजेपी हाईकमान के इशारे पर ही राहुल गांधी को असम के श्री श्री शंकर देव सत्र मंदिर में जाने से रोका गया। कुल मिलाकर देखा जाय तो बीजेपी का यह रवैया किसी तानाशाही से कम नहीं है।

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