गाजीपुर। भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। भारतीय संविधान द्वारा देश के नागरिकों को सात मूलभूत अधिकार दिए गए हैं, जिसके दायरे में रहते हुए लोगों को अपने जीवन का निर्वाह करना पड़ता है। मूलभूत अधिकारों में समानता का अधिकार,शोषण के विरुद्ध अधिकार,धार्मिक स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा, संपत्ति और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है। इनमें से धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था से जुड़ी स्वतंत्रता के हनन की घटनायें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। ताजा मामला संविधान निर्माता और भारत रत्न से सम्मानित बाबा भीमराव अम्बेडकर की बार- बार तोड़ी जाती प्रतिमा और उनके विचारों से प्रभावित लोगों लोगों का है।
ताजा मामला बीते दो दिन पहले गाजीपुर जिले के जखनियाँ के भुडकुडा के सोफीपुर गाँव का है। गाँव मेँ लगी बाबा भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को कुछ अराजक तत्वों ने तोड़ दी। प्रतिमा मेँ से अंबेडकर की हाथ की उँगली गायब हो गयी । गाँव के लोगों को जैसे ही इसका समाचार मिला, वैसे ही बड़ी संख्या में भीड़ जुट गई। घटना की सूचना जैसे ही जिला प्रशासन को हुई उसने तुरंत कोतवाल तारावती यादव को मौके पर फोर्स के साथ भेजा। कुछ समय बाद मौके पर उपजिलाधिकारी कमलेश सिंह पहुंचे और उन्होंने प्रतिमा की दुबारा मरम्मत कराई जाएगी, कहकर लोगों को शांत कराया।
कुछ समय पहले गाजीपुर जिले के ही दाउदपुर गाँव मेँ स्थित पार्क मेँ लगी डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को कुछ अराजक तत्वों ने तोड़ दिया। सूचना पर बड़ी संख्या मेँ ग्रामीण एकत्र हो गए और शासन और प्रशासन विरोधी नारे लगाने लगे। पुलिस ने रात मेँ ही प्रतिमा को ठीक कराया तब जाकर ग्रामीण मानें।
बाबा अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने का यह कोई नया मामला नहीं है। आए दिन ऐसी खबरें अखबारों की सुर्खिया बनती रहती हैं। लेकिन सरकारें इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। पूर्वाञ्चल के ही आजमगढ़ जिले मे 10 मार्च को अंबेडकर की प्रतिमा को कुछ अराजक तत्वों ने तोड़ दी । आजमगढ़ के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के राजापट्टी गाँव में हुई इस वारदात के बाद लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश था। इससे पहले मेरठ के मवाना मेँ ग्राम पंचायत की जमींन पर बनी हुई अंबेडकर की प्रतिमा को अराजक तत्वों द्वारा तोड़ दी गयी, जिसके चलते वहाँ काफी तनाव की स्थिति बन गयी । क्रोधित गाँव वाले ने स्थानीय रोड को जाम कर दिया। स्थानीय अधिकारियों द्वारा समझाने बुझाने पर किसी तरह ग्रामीण माने।
प्रतिमा खंडित करने का एक मामला बीते कुछ समय पूर्व एटा जिले के जलेसर थाना के गोला कुआं मोहल्ला का है जहां शरारती तत्वों ने बाबा अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
सिद्धार्थ नगर जिले के डुमरियागंज थाने के गौहनीय गाँव हुई ऐसी वारदात के बाद क्रोधित ग्रामीणों ने न सिर्फ दोषियों को गिरफ़्तार करने की मांग की बल्कि खंडित प्रतिमा को बदलने की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए।
कुछ समय पूर्व प्रयागराज में इसी प्रकार से बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने का मामला सामने आया था ।
ऐसा ही एक मामला मऊ जिले का भी है। मऊ के जमदरा गाँव के मार्ग किनारे लगी डॉ अंबेडकर की प्रतिमा को अराजक तत्वों द्वारा रात में तोड़ दिया। प्रतिमा से हाथ,नाक और जैकेट वाला हिस्सा गायब था । आक्रोशित ग्रामीणों ने पहसा-लखनी मार्ग को जाम कर दिया। आनन- फानन मेँ पहुंचे पुलिस अफसरों ने किसी तरह लोगों को समझा बुझाकर मामले को शांत कराया।
प्रतिमा खंडित करने का एक ऐसा ही मामला जौनपुर जिले के गजना गाँव की दलित बस्ती में भी हुआ था। रात में ही बाबा अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ दिया गया था, जिसे गाँव के लोगों ने सुबह देखा और नारेबाजी करने लगे मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों ने किसी तरह लोगों को समझा बुझाकर मामले को शांत कराया था।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जैसे महान पुरुष की प्रतिमा को लक्ष्य करके उसे तोड़ने के पीछे के रहस्य से पर्दा उठाते हुए गाजीपुर जिले के सपा नेता और जिला पंचायत सदस्य कमलेश यादव कहते हैं- इन मूर्तियों को तोड़ने के पीछे निश्चित रूप से ब्रामहनवादी ताकते हैं, जिन्हें बाबा अंबेडकर जी के विचारों से डर लगता है। चूंकि वे पाखंडवाद के खिलाफ थे। ब्रामहनवादी पाखण्ड और परम्पराओं का सदैव विरोध किया। उनकी इच्छा थी युवा मंदिरों के बजाय स्कूल जाय । कोई कितना भी प्रयास कर ले लेकिन अंबेडकर जी की मूर्तियों को तो तोड़ कर उसे हानि पहुंचा सकता है लेकिन उनके विचार जो दिल में बैठ गए हैं उन्हें कोई कैसे निकाल सकता है।
जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक लौटन राम निषाद कहते हैं – बीजेपी कि सरकार के आने के बाद पिछड़ों और दलितों की स्थिति में और गिरावट आयी है। बीजेपी में कहने को कई पिछड़े नेता हैं दरअसल वे सब- के- सब रबर स्टाम्प हैं। रही बात अंबेडकर की प्रतिमा को खंडित करने का तो सरकार की मिली भगत के बगैर इस तरह की घटनाएँ नहीं हो सकती और यहाँ तो घटना बार-बार हो रही हैं ।
बहरहाल, लौटन राम निषाद की बातों में दम तो है ही क्योंकि एक नजर इन घटनाओं पर दौड़ाया जाय तो यही बात समझ में आती है कि अब तक जितनी भी घटनाएँ हुई, उसमें से शायद ही किसी को क़ुसूरवार मानते हुए सजा मिली हो।