
संतोष कुमार सोनकर ने मोट्यारिन का अर्थ बताया है। इसके मुताबिक यह शब्द गोटुल (कहीं कहीं घाेटुल भी पढ़ा है) परंपरा से जुड़ा है। यह एक सामुदायिक संस्थान के जैसा है, जहां गोंड समुदाय के युवक-युवतियों को सामुदायिक रीति-रिवाजों, शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है। यह एक ऐसा संस्थान है जहां युवक-युवती अपनी पसंद के आधार पर एक-दूसरे के साथ रहते हैं और बाद में सहमति होने पर वैवाहिक संबंध भी बनाते हैं। तो मोट्यारिन गोटुल की वह नायिका होती है, जो युवतियों को शिक्षा देती है।
कविता है–
यह कविता हिंसा के बजाय अहिंसा को महत्व देती है। इसलिए वह हथियारों को छीन लेने की बात कहती हैं। वह कहती हैं कि जो मक्तेदार हैं, अतिक्रमणकारी हैं, उनके हाथ से हथियार छीन लेंगे। लेकिन वह उनका हथियार उनके उपर चलाने का आह्वान नहीं करती हैं। इसके बदले वह कहती हैं कि वह सूरज अपने गोटुल की युवतियों के पल्लू में बांध देंगी।


नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।