Thursday, March 20, 2025
Thursday, March 20, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमराजनीतिजनता के खिलाफ साजिश करती योगी आदित्यनाथ की सरकार

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

जनता के खिलाफ साजिश करती योगी आदित्यनाथ की सरकार

संभल में हालिया महीनों की घटनाएँ एक डरावने माहौल का संकेत कर रही हैं। सरकार, न्यायालय व प्रशासन की मदद से हिन्दुत्ववादी ताकतों ने यहां फिलहाल तनाव व भय का माहौल तो निर्मित कर दिया है। कई मुस्लिम घर छोड़ कर चले गए हैं कि उन्हें मुकदमे में न फंसा दिया जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ही लोगों के खिलाफ साजिश कर रही है। न्यायालय पक्षपात कर रहा है या उपासना स्थल अधिनियम 1991 की भावना का सम्मान करने को तैयार नहीं है तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल की राजनीति का औजार बना हुआ है। संभल की घटनाओं के बहाने योगी सरकार के रवैये पर एक तब्सरा।

अयोध्या में भगवान आकर चले गए। उनके जन्म स्थान पर एक मंदिर बना था। जो ऐसा बताया गया कि तोड़ कर मस्जिद बनाया गया। उस मस्जिद को तोड़कर हिन्दुत्ववादी ताकतें एक मंदिर बनाने में सफल रहीं। इस पूरी प्रक्रिया में हिन्दुत्ववादी ताकतों का वर्चस्व देश में स्थापित हो गया और सत्ता उनके हाथ में आ गई। सम्भल में भगवान आने वाले हैं। वहां भी यही कहानी दोहराई जा रही है। क्योंकि हिन्दुत्ववादी ताकतों को अपना वर्चस्व कायम रखने का एक आसान व कारगर तरीका मिल गया है।

सम्भल में शाही जामा मस्जिद के मामले में 19 नवम्बर, 2024, को एक ही दिन में वाद दाखिल होना, न्यायालय द्वारा सर्वेक्षण हेतु अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त कर देना और शाम तक जिला प्रशासन द्वारा सर्वेक्षण करा भी देना भारत जैसे देश की धीमी न्याय व प्रशासनिक व्यवस्था के प्ररिप्रेक्ष्य में एक अनहोनी घटना थी। दूसरी बार सर्वेक्षण के समय 24 नवम्बर को मस्जिद के बाहर भीड़ इकट्ठा हो जाने से तथा उपजिलाधिकारी वंदना मिश्र के आग्रह पर हौज खाली कराने से पानी की तेज धार निकलने से, लोगों में यह संदेह पैदा हो जाना कि खुदाई की जानी है से, माहौल तनावपूर्ण बना। पुलिस ने लाठी चला दी। भगदड़ मची तो पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले व बाद में गोली चलाई जिससे पांच लोगों नईम, बिलाल, अयान, कैफ व रोमान की जानें चली गईं। आलम, वसीम, हसन व वसीउल्लाह के बेटे को भी गोली लगी जिसमें से आज कुछ जेल में व कुछ अस्पताल में हैं। पुलिस के गोलीचालन के बाद भीड़ की ओर से पथराव भी हुआ जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस जब सर्वेक्षण दल को सुरक्षित निकाल हिन्दू इलाके में ले गई तो ’जय श्री राम’ व ’हर हर महादेव’ के नारे लगे।

योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस में एक नई परम्परा शुरू हुई है। 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन में पुलिस की गोली से 23 मुस्लिम नवजवानों की जानें गईं किन्तु पुलिस ने साफ पल्ला झाड़ लिया और कहा कि आपस में गोलीबारी में लोग मरे। इसी तरह सम्भल में पुलिए का कथन यह है कि जो लोग 24 नवम्बर की घटना में मरे वे तुर्क व पठान के बीच हुई गोलीबारी में मरे। यह भी बताया गया कि पाकिस्तान व अन्य देशों के कारतूस घटना स्थल पर पाए गए और यह एक दंगा भड़काने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश थी।

35 वर्ष का नईम, जो मिठाई बनाने का काम करता था, 24 नवम्बर को बाजार से कुछ सामान लेने गया था। तभी अफरातफरी में उसे पुलिस की गोली लगी व अस्पताल पहुंचने तक वह खत्म हो गया। उसके भाई तस्लीम ने बताया कि पुलिस ने जबरदस्ती उससे एक शपथपत्र पर अंगूठा लगवा लिया है कि नईम पुलिस की गोली से नहीं बल्कि तुर्क-पठान झगड़े में मारा गया।

19 वर्षीय अयान ढाबे पर काम करता था। सुबह वह जब काम पर निकला तो मस्जिद के बाहर भीड़ लगी थी। भगदड़ में उसे भी गोली लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां वह रात 10 बजे खत्म हो गया। उसके भाई कामिल से भी पुलिस ने शपथ पत्र पर अंगूठा लगवा लिया है कि अयान तुर्क-पठान के बीच झगड़े में चली गोली से मरा न कि पुलिस की गोली से।

अयान के साथ ही वसीम को भी गोली लगी। वसीम अभी मुरादाबाद के निजी तीर्थांकर महावीर विश्वविद्यालय के अस्पताल में है। उसे रु. 3,08,090 के इलाज के खर्च का बिल पकड़ा दिया गया है और चूूंकि पुलिस ने पहले से ही अपने बचाव में शपथ पत्र तैयार कर रखे हैं कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई तो इलाज का खर्च वसीम के परिवार से वहन करने को कहा जा रहा है। यानी पहले तो पुलिस ने गोली चलाई और फिर घायल को अपना इलाज भी खुद कराना पड़े। जो मर गए उनके परिवार को तो समाजवादी पार्टी व जमीयत उलेमा हिन्द की ओर से रु. 5-5 लाख मिले। लेकिन घायलोें को तो कोई मदद नहीं मिली। वसीम को किसी से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है।

मोहम्मद तनवीर उन 80 अभागे लोगों में हैं जो जेल में हैं। उसका कसूर सिर्फ यह है कि वह पुलिस उपाधीक्षक अनुज चौ धरी के साथ एक वीडियो में दिखाई पड़े। उसके घर दबिश डाल कर पुलिस ने उसे जनवरी प्रथम सप्ताह में गिरफ्तार किया। 33 नामजद व 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। अतः जो भी सरकार के किसी भी कदम की अलोचना करेगा उसकी तो खैर नहीं। जो लोग पुलिस-प्रशासन के कहने के अनुसार नहीं चलते उन्हें धमकी दी जाती है कि उन्हें भी उपरोक्त मुकदमे में फंसा दिया जाएगा।

मात्र एक मामले में आलम को जो गोली लगी है उसमें, न्यायालय के माध्यम से पुलिस के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने हेतु एक वाद दायर किया गया है। लेकिन सम्भल की न्यायालय के अभी तक के रवैये से तो नहीं लगता कि न्यायालय से कोई उम्मीद की जा सकती है। शेष मामलों में तो किसी की हिम्मत भी नहीं कि वे पुलिस के खिलाफ कोई शिकायत दें। पुलिस उपाधीक्षक एक ऐसा व्यक्ति है जिसे पुलिस की वर्दी में गदा लेकर चलने में कोई दिक्कत नहीं है व वह जब मुसलमानों को नसीहत देता है कि होली के दिन वे घर के अंदर रहें तो मुख्यमंत्री भी यह कहते हुए उसका समर्थन करते हैं कि वह पहलवान की भाषा बोल रहा है।

योगी सरकार कहती है कि सम्भल में दंगा कराने की साजिश थी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ही लोगों के खिलाफ साजिश कर रही है। न्यायालय पक्षपात कर रहा है या उपासना स्थल अधिनियम 1991 की भावना का सम्मान करने को तैयार नहीं है तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल की राजनीति का औजार बना हुआ है। इसमें किसी को यह फर्क नहीं पड़ रहा कि भारत में बड़ी कोशिशों से बनाई गई गंगा-जमुनी तहजीब या साम्प्रदायिक सद्भावना को व्यापक लोगों के हित में कायम रखा जाए ताकि लोग शांति व सुरक्षा के माहौल में अपना जीवन व्यतीत कर सकें अथवा भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक अधिकार जैसे न्याय, स्वतंत्रता व बराबरी और बंधुत्व के मूल्य सुरक्षित रहें। सम्भल मुस्लिम बहुल इलाका है लेकिन साम्प्रदायिक सौहाद्र्य की मिसाल है। यहां का कोई साम्प्रदायिक हिंसा का इतिहास नहीं है। लेकिन सरकार, न्यायालय व प्रशासन की मदद से हिन्दुत्ववादी ताकतों ने यहां फिलहाल तनाव व भय का माहौल तो निर्मित कर दिया है। कई मुस्लिम घर छोड़ कर चले गए हैं कि उन्हें मुकदमे में न फंसा दिया जाए। धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को सोचना चाहिए कि धर्म के नाम पर न्याय होना चाहिए या अन्याय?

(साथ में सलीम खान)

 

संदीप पांडेय
संदीप पांडेय
संदीप पाण्डेय सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महासचिव हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here