संभल में हालिया महीनों की घटनाएँ एक डरावने माहौल का संकेत कर रही हैं। सरकार, न्यायालय व प्रशासन की मदद से हिन्दुत्ववादी ताकतों ने यहां फिलहाल तनाव व भय का माहौल तो निर्मित कर दिया है। कई मुस्लिम घर छोड़ कर चले गए हैं कि उन्हें मुकदमे में न फंसा दिया जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ही लोगों के खिलाफ साजिश कर रही है। न्यायालय पक्षपात कर रहा है या उपासना स्थल अधिनियम 1991 की भावना का सम्मान करने को तैयार नहीं है तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल की राजनीति का औजार बना हुआ है। संभल की घटनाओं के बहाने योगी सरकार के रवैये पर एक तब्सरा।
बीते 11 मार्च को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू किए जाने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया था। प. बंगाल, तमिलनाडु और केरल की राज्य सरकारों ने CAA को लागू किए जाने का विरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट, सीएए से जुड़ी लगभग 200 अधिक याचिकाओं की सुनवाई के लिए समहत हो गया है। कोर्ट, नागरिकता संशोधन नियमावली, 2024 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करेगा।
कूच बिहार/ सिलीगुड़ी/ पश्चिम बंगाल (भाषा)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का मुद्दा उठाने के...
हाल में पांच मुस्लिम बुद्धिजीवी, एस.वाय. कुरैशी, नजीब जंग, ज़मीरुद्दीन शाह, शाहिद सिद्दीकी और सईद शेरवानी ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत से मुलाकात...
राजनीतिक रूप से 'अराजनीतिक' सामाजिक आंदोलन का विश्लेषण आपको यह समझा सकता है कि उनमें से अधिकांश 'संघ परिवार' और इसके 'भारत के विचार' की मदद करने में समाप्त हो गए हैं। इन 'आंदोलनों' को जितनी देर तक धकेला जाएगा, भाजपा के लिए समाज के अंतर्निहित अंतर्विरोधों का फायदा उठाना उतना ही बेहतर होगा।