उन्नाव। न्याय न मिलने पर आत्मदाह करने का एक और मामला सामने आया है। उन्नाव में एसपी ऑफिस के अंदर एक युवक ने ज्वलनशील पदार्थ छिड़क कर खुद को आग लगा लिया। वह एसपी को शिकायत-पत्र देने गया था। अधिकारी के न मिलने के कारण उन्होंने एएसपी को भी पत्र देने का प्रयास किया था।
बुरी तरह जल चुके युवक को तत्काल लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहाँ शुक्रवार की देर रात उसकी मौत हो गई। आज उसका शव भूलेमऊ गाँव में उसके परिजनों को सौंपा जाएगा। पुरवा थाना प्रभारी सुरेश सिंह ने यह जानकारी दी।
जानकारी के अनुसार, पुरवा कोतवाली के भूलेमऊ गाँव निवासी श्रीचंद्र पासी (35) का, गाँव के ही कुछ लोगों से भूमि विवाद चल रहा था। विवाद के चलते मारपीट भी हुई थी, जिसमें मुकदमा भी लिखा गया था। मृतक के भाई का आरोप है कि वह न्याय के लिए अधिकारियों के यहाँ चक्कर लगाने को मजबूर थे। सुनवाई नहीं होने पर ही श्रीचंद ने यह रास्ता चुना।
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पीड़ित के भाई के अनुसार, ‘पुलिस उन्हें लगातार प्रताड़ित भी कर रही थी और जो मुकदमा लिखा गया था, उसमें सीओ पुरवा दीपक सिंह ने तीन लोगों का नाम भी हटा दिया था। सीओ आरोपियों की मदद कर रहे थे और उल्टा हमारे परिवार के खिलाफ भी मुकदमा लिख दिया गया था। जबकि हम लोग विरोधियों पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों के यहाँ चक्कर काट रहे थे।
बीते बुधवार को जिला अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़ित ने कहा था कि अगर मेरी मौत होती है तो उसके जिम्मेदार सीओ पुरवा होंगे।
पीड़ित के भाई ने यह भी आरोप लगाया कि मारपीट वाले मामले में सीओ ने एक तरफा कार्रवाई की थी। अधिकारियों के यहाँ कई बार प्रार्थना-पत्र देने के बाद भी जब श्रीचंद को न्याय नहीं मिला तो आहत होकर वह बुधवार को एसपी ऑफिस पहुँचा। शिकायत की सुनवाई नहीं होने पर परिसर में ही मौजूद एएसपी ऑफिस के बाहर उसने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा लिया।
घटना के बाद अफरातफरी मच गई। जिस समय यह घटना हुई थी उस समय एएसपी अखिलेश सिंह अपने ऑफिस में फरियादियों की शिकायत सुन रहे थे।
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एएसपी अखिलेश सिंह ने बताया कि इस प्रकरण के बाद बुधवार को ही आईजी तरुण गाबा मौके पर पहुँचे थे और घटना की जाँच की थी। अखिलेश ने बताया पीड़ित पक्ष की दो माँगें थीं, पहला विपक्षियों के खिलाफ कराए गए एफआईआर से तीन नाम क्यों हटाए गए? जबकि वह मुख्य आरोपी थे। दूसरी मांग में पीड़ित पक्ष का कहना है कि एक हफ्ते बाद हम लोगों के ऊपर फर्जी मुकदमा लिखा गया है।
एएसपी ने बताया कि इस मामले में फिर से जाँच होगी अगर मुकदमा फर्जी होगा तो उन्हें हटाया जाएगा। इसके साथ ही तीन लोगों के नाम एफआईआर से कैसे हटे, इसकी भी जाँच होगी। कहा कि पूरा मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। बुधवार की दोपहर में हुई इस घटना के बाद अपर पुलिस अधीक्षक अखिलेश सिंह और पुलिस क्षेत्र अधिकारी (नगर) आशुतोष कुमार ने जिला अस्पताल पहुंचकर पीड़ित का हालचाल जानने के बाद परिजनों को न्याय का भरोसा दिया था।