सेना में अग्निपथ द्वारा एनपीएस लागू करने की कोशिश कर रही सरकार
लखनऊ। अगर किसी लड़की को शादी और तलाक के कागज़ पर एक साथ हस्ताक्षर करने को बाध्य किया जाय, तो उसका हौसला क्या रहेगा? ठीक इसी तरह की स्थिति संविदा पर सैनिकों की अग्निवीर के रूप में भर्ती की है। संघी इशारे पर अग्निवीरों की भर्ती का यह निर्णय युवाओं के साथ क्रूर मज़ाक है। यह देश की सुरक्षा व अस्मिता के लिए उचित नहीं है। सरकार से निवेदन है कि वह सस्ती वाहवाही हेतु देश की सुरक्षा, सेना के सम्मान और नौजवानों के भविष्य से इस प्रकार खिलवाड़ न करे। केन्द्र सरकार अग्निपथ के माध्यम से सेना में एनपीएस लागू करने की कोशिश में जुटी है।
चार साल की संविदा पर अग्निवीरों की नियुक्ति ग्रेच्युटी से बचने की कोशिश है, क्योंकि सेवा शर्तों के अनुसार 5 साल की सेवा पर ग्रेच्युटी देय होती है। घुमा-फिराकर सरकार का यह अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय है। इसके माध्यम से सेना के निजीकरण का रास्ता तैयार किया जा रहा है। यह निर्णय राष्ट्रविरोधी व सेना शौर्य का अपमान तो है ही, भारत की सैन्यशक्ति को महत्वहीन बनाने व देश को एक नए खतरे की ओर धकेलने की नापाक कोशिश भी है। यह युवा शक्ति का घोर अपमान है।
अब सिर्फ बची शिक्षक की नौकरी, उस पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, तो जो कंपनी बाग के अमरुदहिया में 10 साल से पन्नी बिछा के टीजीटी, पीजीटी, यूपीटेट, सीटेट की तैयारी कर रहे हैं उनका सेलेक्शन होगा कि इन अग्निवीरों का होगा?
चार साल बाद जिन 75% नौजवानों को आप फिर पैदल कर देंगे, वे समाज से किस प्रकार सामंजस्य स्थापित कर पाएंगे? सांसद, विधायक निर्वाचित हों, सिर्फ शपथ ले लें तो वह आजीवन पेंशन, यात्रा सुविधा, निःशुल्क चिकित्सा लाभ का पात्र हो जाता है। इसको देखते हुए अग्निवीरों के भूतपूर्व सैनिक का सम्मान, सुविधा नहीं देना युवाओं का अपमान है। सांसदों, विधायकों को जो बंगले दिए जाते हैं वो सब हटाकर एक बड़ी-सी बिल्डिंग बनानी चाहिए और उसमें एक 2/3 बीएचके फ्लैट सबको दे देना चाहिए। सांसदों विधायकों के रहन-सहन और आवास पर फालतू के इतने पैसे खर्च होते हैं। जनता के टैक्स के पैसे से ये सांसद, विधायक पूरा फॉर्म हाउस टाइप घर में रहते हैं और आजीवन पेंशन, स्वास्थ्य चिकित्सा, यात्रा सुविधा का लाभ लेते हैं।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ऐसी मक्कार सरकार देश में चल रही है जो कि पूरे भारतवर्ष को प्राइवेट कंपनी बनाने में लगी है और सरकार के रक्षामंत्री, प्रधानमंत्री की मुनीमी में लगे हैं। रक्षामंत्री का चरित्र पुरानी फिल्मों के चरित्र अभिनेता कन्हैयालाल जैसा रह गया है, जो हर फिल्म में सुखी लाला का ही किरदार निभाते रहे। और फिल्म के ठाकुर बने विलेन की चमचागिरी में ही मस्त रहते थे। केंद्र सरकार ने सेना का ठेकेदारीकरण कर एक नया पद सृजित किया है जिसका नाम अग्निवीर है। साढ़े 17 साल में भर्ती होकर साढ़े 21 में रिटायर। उसके बाद सरकार कह रही जाओ सीधे आईएएस की तैयारी करो। 17 से 22 वर्ष की उम्र ही तो उच्च शिक्षा ग्रहण करने व प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने की होती है। जो व्यक्ति सेना में 4 साल नौकरी करेगा, उसके बाद किसी काम का नहीं रह जायेगाI सेना से विदाई, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, यूपीएसएसएससी आदि बस का काम नहीं। अब सिर्फ बची शिक्षक की नौकरी, उस पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, तो जो कंपनी बाग के अमरुदहिया में 10 साल से पन्नी बिछा के टीजीटी, पीजीटी, यूपीटेट, सीटेट की तैयारी कर रहे हैं उनका सेलेक्शन होगा कि इन अग्निवीरों का होगा?
फौज फौजियों से ही बनती है ना कि सेनानायक से। जब ऐसे ही अग्निवीर सेना में भर्ती होंगे तो युद्ध में ब्रिगेडियर और जनरल को अपने कंधों पर लगे क्रॉस शोल्ड बैंटम और अशोक स्तम्भ फेंककर लड़ाई लड़नी होगी। सरकार देश की सुरक्षा के साथ बहुत ही खतरनाक फैसला लेकर खिलवाड़ व मजाक कर रही है।
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सेना का एक जवान 17 साल की नौकरी से रिटायर होता है, लांस नायक, नायक 22 साल में और हवलदार 24 साल में, सूबेदार 28 साल में बनता है। इतने सालों में सेना में तमाम प्रकार के वेपंन्स ट्रेनिंग, फील्ड क्राफ्ट, ट्रैक्टिस, एंबुश के बारे में जानकारी दी जाती है। बिल्कुल परफेक्ट होने पर ही युद्ध में भेजा जाता है। अभी अग्निवीर 6 महीने की ट्रेनिंग लेकर सीमा पर जाएंगे I आधे शहीद हो जाएंगे, जो बच जाएंगे भाग आएंगे और जो इन 4 सालों में परफेक्ट हो जाएंगे वह सेना से निकाले जाने के बाद कहीं और नौकरी न मिलने पर गलत राह पर चलने को मजबूर हो जाएंगे। आरएसएस व भाजपा के रणनीतिकार 2024 के चुनावी लाभ की मंशा से झाँसा देने के लिए अग्निपथ व अग्निवीर का इस तरह प्रचार कर करा रहे हैं, जैसे युवाओं को बहुत बड़ी सौगात देने जा रहे हैं।
चौ. लौटनराम निषाद भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।