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सासाराम साहित्य फेस्टिवल संपन्न

भारतीय लेखक संघ के तत्वावधान में लालगंज (सासाराम) के मैत्री भवन में सासाराम साहित्य फेस्टिवल का आयोजन किया गया। मार्क्सवादी चिंतन में नामवर सिंह का योगदान विषय पर डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने विस्तृत व्याख्यान दिया। व्याख्यान के क्रम में उन्होंने कहा कि वर्किंग क्लास सुपरस्ट्रक्चर बना सकते हैं, सत्ता चला सकता हैं। भारत में […]

भारतीय लेखक संघ के तत्वावधान में लालगंज (सासाराम) के मैत्री भवन में सासाराम साहित्य फेस्टिवल का आयोजन किया गया। मार्क्सवादी चिंतन में नामवर सिंह का योगदान विषय पर डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने विस्तृत व्याख्यान दिया। व्याख्यान के क्रम में उन्होंने कहा कि वर्किंग क्लास सुपरस्ट्रक्चर बना सकते हैं, सत्ता चला सकता हैं। भारत में भी लेनिन जैसे बड़े चिंतक हैं। नामवर सिंह का मार्क्सवाद के क्षेत्र में साहित्य भी एक कंपोनेंट है, अद्भुत योगदान है। इतिहास और आलोचना उनकी बेस्ट पुस्तक है; जबकि उन्हें कविता के नए प्रतिमान पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

कार्यक्रम को संबोधित करते वक्ता

हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता पर डॉ. रामकृष्ण यादव ने व्याख्यान देते हुए कहा कि उदंत मार्तंड से पहले 1818 ई. में दिग्दर्शन पत्रिका का प्रकाशन हुआ था किंतु इसे बहुत कम लोग जानते हैं। भारतेंदु की कविवचनसुधा से लेकर राजेंद्र यादव के हंस तक की चर्चा करते हुए कहा कि सरस्वती पत्रिका के बाद राजेंद्र यादव का हंस ने बहुत सारे लेखकों को पैदा किया। गीतांजलि श्री उनमें से एक हैं। रेत की समाधि पर बुकर का मिलना हिंदी के लिए सुखकर है। पहले सत्र के समाप्ति के बाद दूसरे सत्र कहानी, कविता व गजल का रहा, इसके पूर्व डॉ. ललन प्रसाद सिंह का अंग्रेजी उपन्यास अ ब्लूम्ड वुमेन, डॉ. हरेराम सिंह का कविता-संग्रह रात के आखरी पहर तक तथा डॉ. रामकृष्ण यादव की पुस्तक हिंदी पत्रकारिता: सिद्धांत एवम् स्वरूपराजेंद्र यादव: जीवन और साहित्य का लोकार्पण हुआ। शुरुआत वैभव सिंह की अंग्रेजी कविता चाइल्ड लेबर से हुई। चर्चित कवि हरेराम सिंह ने स्त्री: संताप की कहानी , राकेश श्रीवास्तव ने कवि और शराबी सुरेंद्र सिंह ने जाति की दीवार, राम विभूति सिंह की चाँदनी है रात, डॉ. अमल सिंह भिक्षुक की गाँव मेरा शहर हो गया‘, ललन ललित ने कैसे दिन बीते गुर्बत के, श्रीकंत स्वामी की एक रुपये की लौटरी राजश्री ने बीत जाती है जिंदगी, ललन प्र.सिंह साँवली वह बाला, का काव्य पाठ किया।

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प्रशासनिक अधिकारियों का मनोगत चित्रण करता है सिनेमा

चर्चित कवि कुमार बिन्दु ने सासाराम साहित्य फेस्टिवल में औरत तथा मौसम बदल गया है कविता का पाठ किया। स्वागत भाषण एडवोकेट रामसिंघासन सिंह ने किया। इस आयोजन में अंग्रेजी कहानीकार रामविभूति सिंह ने कहा कि सासाराम साहित्य के क्षेत्र में बिहार का हृदय है और डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने साहित्य की डमरु बचाई है। इस अवसर पर इन्होंने यह भी बताया कि क्लास कन्फ्लीट से समाज बदलता है। इस मौके पर इनके अलावा पूर्व मंत्री उ.प्र., राकेश मौर्य, सुरेंद्र कुमार, अनिल कश्यप, मनोज कुमार, ओम प्रकाश सिंह, जितेंद्र सिंह, रामानंद साह, राम सिंहासन सिंह,राहुल पटेल, हरिशंकर सिंह, सुकेश कुमार व हिंमांशु आदि उपस्थित थे।

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