रायबरेली। जिले के चकवापुर गांव की रहने वाली एक महिला ने छेड़छाड़ और दुष्कर्म की शिकायत पर पुलिसिया कार्रवाई न होने पर पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में जहर खा लिया। आनन फानन में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां महिला की हालत बिगड़ने पर लखनऊ रिफर किया गया है।
ज्ञात हो कि जहर खाने वाली महिला लालगंज कोतवाल क्षेत्र के चकवापुर गांव की रहने वाली है। महिला का आरोप है कि गांव के श्यामू सिंह ने उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला द्वारा जनवरी महीने में लालगंज पुलिस को दिए गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि पिछले सात साल से श्यामू सिंह दुष्कर्म कर रहा है।
पीड़िता के अनुसार युवक उसका वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल कर रहा है। इस संबंध में पीड़िता ने कई बार पुलिस से इस बात की शिकायत की, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। पुलिस ने उसका मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। ऐसे में महिला ने पुलिस अधिक्षक से मिलकर उनके सामने अपनी बात रखने का फैसला किया, लेकिन वहां भी उसे कोई ठोस आश्वासन नही मिला। इससे निराश होकर महिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय से बाहर आई और पुलिस अधिक्षक के कार्यालय परिसर में ही जहर खा ली। वहां उपस्थित पुलिस कर्मियों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां हालत बिगड़ने पर पीड़िता को लखनऊ भेजा गया है।
योगी जी का ‘उत्तम प्रदेश’!
रायबरेली में एक रेप पीड़िता कई दिनों से FIR दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर लगा रही थी। हर बार की तरह योगी जी की पुलिस अपराधी का कवच बनकर खड़ी थी।
आज पीड़िता ने SP ऑफिस में जहर खा लिया। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
रेप जैसे जघन्य अपराध पर भी FIR ना… pic.twitter.com/QTLKgRMVoU
— UP Congress (@INCUttarPradesh) February 22, 2024
इस बारे में पुलिस अधिक्षक नवीन सिंह ने बताया पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और महिला को लखनऊ में भर्ती कराया गया है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब कोई भी पीड़ित पक्ष अपनी बात को लेकर थाने में शिकायत करने के लिए जाता है तो उसकी बात थाने में अनसुनी करने की कोशिश की जाती है। क्या सरकार की तरफ से इस तरह के मामलों को दर्ज न करने का फरमान जारी हुआ है? क्या सरकार अपनी छवि को बचाए रखने के लिए इस तरह के मामलों को सामने नहीं आने देना चाहती? हमारे आसपास न जाने कितने ऐसे मामले होते हैं जो समाज के भय से घर के अन्दर ही दबा दिए जा रहे हैं। उसके बावजूद भी प्रदेश के साथ ही देश में केस दर्ज दर्ज न करने जैसे मामलों में वृद्धि एक चिंता का विषय है।
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ का नारा दे कर बेटियों के हक की बात करते हैं तो दूसरी तरफ आए दिन उनके साथ हो रही हत्या और बलात्कार जैसी घटनाओं पर कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नारा सिर्फ चुनावी जुमला के अलावा कुछ और प्रतीत नहीं हो रहा है।
पुलिस द्वारा तत्काल रिपोर्ट दर्ज न करना और थाने पर बार बार जाना या अधिकारियों की ड्योढ़ी पर न्याय पाने के लिए भटकना और अंत में न्याय न मिलने की स्थिति में जहर खा लेना या फिर आत्महत्या जैसे कदम उठाना, इस बात का प्रमाण है कि देश में कानून का राज नहीं है। हत्या और बलात्कार के मामलों में एक तरफ पीड़ित न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खाता फिर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकार ऐसे मामले को दबाने में लगी हुई है ।