Sunday, September 8, 2024
Sunday, September 8, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमअर्थव्यवस्थासरकारी रेट पर धान की खरीद सुनिश्चित करे सरकार- आईपीएफ

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

सरकारी रेट पर धान की खरीद सुनिश्चित करे सरकार- आईपीएफ

आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट मांग करता है कि धान/गेहूं की खरीद में हो रहे भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच कराई जाए। वर्तमान में धान खरीददारी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जाए और सरकार किसानों से सरकारी रेट पर खरीदारी सुनिश्चित करे। साथ ही आईपीएफ सभी किसान संगठनों से भी अपील कर है कि वे धान की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार का विरोध करें, ताकि किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी मूल्य मिल सके।

उत्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हुआ है। हमारी यह मांग है कि सरकारी खरीद में हुई धांधली की न्यायिक जांच हो और सरकार सरकारी रेट पर धान की खरीदारी को सुनिश्चित करे। उपर्युक्त बातें ‘आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट’ राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय ने प्रेस को जारी बयान में कही है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का प्रत्येक किसान के धान को सरकारी रेट पर खरीदने का दावा झूठा है क्योंकि यह खरीदारी किसान से सीधे न करके उसके नाम पर धान मिलों/बिचौलियों के माध्यम से की जा रही है जो इसे किसान से बहुत कम दाम पर खरीदते हैं। इसकी पुष्टि किसी भी किसान से की जा सकती है। ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि सरकारी धान क्रय केंद्रों पर किसान को तरह-तरह की आपत्तियाँ लगाकर तथा खरीद में विलंब करके इतना परेशान कर दिया जाता है कि वह इसे बिचौलियों या धान मिलों को बेचने के लिए मजबूर हो जाता है। इसी कारण कुछ जगह पर किसानों ने परेशान होकर धान को जलाने की कोशिश तक की थी।

 

यह सर्वज्ञात है कि धान की सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार से हुई कमाई में नीचे से लेकर ऊपर तक सबकी हिस्सेदारी रहती है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जहां धान/गेहूं की खरीदारी में कई सौ करोड़ का भ्रष्टाचार होता है। यदि इस मामले की न्यायिक जांच करा ली जाए तो सारा सच सामने आ जाएगा। अजय राय ने कहा कि जिस धान की सरकारी खरीद 1940 रू प्रति क्विंटल होनी चाहिए, किसान उसे 1400-1500 रू में बेचता है जिससे वह न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से वंचित हो जाता है। खाद, बीज तथा दवाईयों की कीमत में भारी वृद्धि के कारण धान की प्रति क्विंटल लागत हजार रुपए से अधिक है, व्यक्तिगत और पारिवारिक मजदूरी अलग है। इतना ही नहीं, धान क्रय केंद्र पर टोकन समय से नहीं मिलता है। सुचारू रूप से नियमित खरीद न होने से किसानों की धान की प्रति किवंटल 5Kg धान की कटौती हो रही है। धान सरकारी रेट पर न बिकने से किसानों का बहुत बड़ा नुक़सान हो रहा है, किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता है। महंगाई चरम पर है। ऐसी परिस्थितियों में खेती के बल पर किसानों का जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है।
अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट मांग करता है कि धान/गेहूं की खरीद में हो रहे भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच कराई जाए। वर्तमान में धान खरीददारी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जाए और सरकार किसानों से सरकारी रेट पर खरीदारी सुनिश्चित करे। साथ ही आईपीएफ सभी किसान संगठनों से भी अपील कर है कि वे धान की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार का विरोध करें, ताकि किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी मूल्य मिल सके।
गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here