सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उल्लेखनीय बात कही है। महाराष्ट्र स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण दिए जाने के मामले में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि 2011 में किया गया एसईएसएस सर्वे ओबीसी सर्वे नहीं था। यह त्रुटिपूर्ण था और इसके आंकड़े विश्वसनीय नहीं था। इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।

सरकारें ओबीसी के आंकड़े से डर रही हैं। वे यह जानती हैं कि यदि ये आंकड़े एक बार सामने आ गए तो सुप्रीम कोर्ट और देश की अन्य अदालतों में वे ओबीसी के हितों का विरोध नहीं कर सकेंगे क्योंकि तब उनके पास ओबीसी का क्वांटिफिडेबुल डाटा मौजूद होगा, जिसके नहीं रहने के कारण आज ओबीसी के हितों को खारिज कर दिया जा रहा है।
