साथियों!
नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह चुनावी सभाओं में मंगलसूत्र तथा महिलाओं के सम्मान व मातृशक्ति की बातें कर रहे हैं।
आज के इंडियन एक्सप्रेस के प्रथम पृष्ठ पर, 3 मई को मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई घटना के एक साल होने पर एक खबर छपी है, जिसमें इंडियन एक्सप्रेस ने इस घटना की सीबीआई द्वारा गुवाहाटी के स्पेशल कोर्ट में पेश होने का आरोप पत्र विस्तार से दिया है।
3 मई, 2023 के दिन मणिपुर में फैले सांप्रदायिक दंगों के दौरान कुकी समाज की महिलाओं को चुराचंद्रपूर जिले में निर्वस्त्र करके घुमाने का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें ये महिलाएं रास्ते में खड़ी पुलिस जिप्सी गाड़ी में बड़ी मुश्किल से बैठने में कामयाब हुई थीं और ड्राइवर ने गाड़ी की चाबी न होने की बात कहते हुए चलाने से मना कर दिया था। लेकिन कुछ ही देर बाद ड्राइवर ने उसी गाड़ी को जोर से चलाते हुए हजारों की संख्या में उत्तेजित अवस्था में जमा भीड़ के पास जाकर रोका। गाड़ी में पहले से बैठे पीड़ित पुरुषों को को चुप रहने के लिए कहा गया। मॉब के सामने जिप्सी खड़ी करके ड्राइवर और पुलिस वहाँ से भाग गए। मॉब ने उन पीड़ित पुरुष और महिलाओं को जिप्सी के बाहर खींचकर निकाल उन्हें प्रताड़ित किया। यह तथ्य एक अन्य पीडित महिला ने अपने बयान में सीबीआई से कही। सीबीआई ने अपने तरफ से जांच करने के बाद, जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें यह तथ्य सामने आया है और अक्तूबर के महीने में इस घटना में शामिल छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र, स्पेशल कोर्ट गुवाहाटी में दर्ज किया गया है। यह अत्याचार कौन-सी मातृशक्ति का परिचायक है?
मैं भाजपा से और उनके लोगों से यह पूछना चाहता हूँ कि गुजरात में, आज से 22 वर्ष पहले नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में गोधरा दंगों में औरतों के साथ क्या किया गया था? पूरी दुनिया ने देखा कि गोधरा में बिल्किस बानो के साथ बलात्कारियों को आजादी के पचहत्तर साल के अमृत महोत्सव में गुजरात सरकार ने जेल से रिहाई का निर्णय लिया। जेल से बाहर आते ही, उनका स्वागत-सत्कार समारोह करते हुए मिठाई बांटी गई। आखिर में बिल्किस बानो को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें दोबारा जेल भेजा। यह गुजरात सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के लिए, झन्नाटेदार तमाचा था। इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री ने मौन धारण कर लिया। वैसे तो आपको बोलना बहुत अच्छा लगता है लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय, दलितों और आदिवासी महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर नहीं। आपसे यह सवाल है कि यह अत्याचार कौन-सी मातृशक्ति का परिचायक है?
संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विश्वास लायक नहीं हैं संघ और मोदी
वैसे ही हाथरस जिले के एक दलित परिवार की बीस साल की महिला के साथ हुए बलात्कार के बाद, मामले को रफा-दफा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिले के सर्वोच्च अधिकारियों की उपस्थिति में पीड़ित महिला के परिवार वालों को डरा-धमकाकर शव को अल सुबह जलाकर सबूतों को नष्ट कर दिया गया। घटना की जांच करने के लिए पहुँचने से पहले ही मीडिया के कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
भाजपा का ही बलात्कारी विधायक कुलदीप सेंगर उन्नाव में एक दलित लड़की से बलात्कार किया। जब परिवार वालों ने मामले को कोर्ट में पेश किया तब वकील के साथ पूरे परिवार के सदस्यों की गाड़ी को तथाकथित रोड एक्सिडेंट में एक ट्रक द्वारा कुचल कर मार डाला।
नॉर्थ-ईस्ट हो या तथाकथित रेड बेल्ट या फिर जम्मू-कश्मीर में तैनात मिलिटरी या पॅरा मिलिटरी, यह लोग स्थानीय लोगों के साथ अत्याचार करते हैं। अन्याय व अमानवीय व्यवहार करते हैं। इस वजह से इन फोर्सेज को लेकर गुस्सा है? यह पूरा इलाका जो भारत का एक चौथाई से भी अधिक हिस्सा है, पचास वर्षों से अधिक समय से उसमें रहने वाले लोग केंद्र सरकार से नाराज चल रहे हैं। यहाँ आर्थिक वृद्धि को छोड़ दीजिये, लोग यहाँ सुरक्षित नहीं हैं और सम्मानपूर्वक रहने का माहौल भी नहीं है।
आयुष्मान भारत योजना : वाराणसी मंडल का 15 करोड़ का भुगतान रद्द
कुछ समय पहले असम रेजिमेंट के मुख्यालय के बाहर, कुछ महिलाओं ने खुद निर्वस्त्र कर हाथों में ‘हमसे बलात्कार करो’ का बैनर लेकर प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन को पूरी दुनिया ने देखा। इसका क्या असर हुआ होगा यह आप हम अच्छी तरह जानते हैं। हमारे देश और देश की रक्षा के लिए बनाए गए, विभिन्न फोर्सेज अपने ही देश के सर्वहारा वर्ग को नफरत का सामना करना पड़ रहा।
जुलाई 2023 में एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। जिसमें एक बीस साल और दूसरी चालीस साल की महिलाओं को निर्वस्त्र करके मॉब ने अपने हाथों में काठिया लेते हुए उन्हें मारते हुए, सड़क पर चलने के लिए मजबूर किया। मणिपुर सरकार की कार्य तत्परता देखिए कि उस घटना में शामिल अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, मालूम नहीं। लेकिन इस वीडियो को वायरल करने वाले लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और देश के विभिन्न क्षेत्रों के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को मणिपुर में आने से रोक दिया गया।
इसी तरह पश्चिम बंगाल की संदेशखाली की घटना को लेकर, प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल तथा केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारियों ने कोहराम मचाया, उसका आधा भी मणिपुर के लिए किया होता तो लगता उनके साथ संवेदना है। इसी तरह संदेशखाली की महिलाओं के साथ हुए अत्याचार से लेकर कर्नाटक के ताजा सेक्स स्कैंडल में पीड़ित महिलाओं से लेकर वूलगढ़ी बलरामपुर तथा बिल्किस बानो के साथ हुई अब तक हुई सभी घटनाओं को लेकर उतने ही दुखी या शर्मिंदा हैं, जितना की विश्व के कोने में किसी भी महिला के साथ होने वाले अत्याचार से होते हैं, देश के लोग आप लोगों जैसे सिलेक्टिव्ह नहीं है।
डेढ़गावाँ गाजीपुर : लाखों की लागत से बने शौचालय पर तीन साल से ताला और अस्पताल से अनुपस्थित डॉक्टर
छत्रपति शिवाजी महाराज और वसई के पेशवा चिमाजी अप्पा बळवंत द्वारा युद्ध में जीती हुई शत्रुओं की महिलाओं का सम्मान करते हुए, परिजनों के पास सुरक्षित रुप से पहुंचाने की व्यवस्था की थी, तब सावरकर ने शिवाजी महाराज और चिमाजी अप्पा की घोर आलोचना करते हुए, कहा कि ‘शत्रुओं की महिला भले ही वृद्ध हो या बालिका उन्हें भ्रष्ट करना चाहिए।‘ सावरकर के ऐसे विचारों को पढ़ने के बाद कैसा स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में तैयार होगा और वह स्वयंसेवक भाजपा के नेतृत्व में जाने के बाद महिलाओं के सशक्तिकरण पर कौन सा बल प्रयोग करेगा? इससे सब वाकिफ हैं।
अभी हाल में ही कर्नाटक के प्रज्वल गौड़ा के वासना कांड की पेनड्राइव की बात करें, जिसमें 2978 वीडियो हैं। यह पेन ड्राइव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के नजर में दिसंबर के महीने में ही अन्य भाजपा सदस्यों द्वारा सामने लाया गया था। लेकिन सत्ता की वासना में चूर, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस बात की अनदेखी करते हुए देवेगौड़ा के साथ गठबंधन किया । प्रज्वल को अपने दादाजी पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की पारंपरिक सीट हासन से लोकसभा के लिए टिकट भी दिया लेकिन इन वीडियो के सामने आने पर राजनैतिक दलों के दबाव और लोकसभा चुनाव में पड़ने वाले असर को देखते हुए जनता दल सेक्युलर ने प्रज्वल को पार्टी से निष्कासित कर दिया लेकिन अमित शाह गुवाहाटी में चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं, कि ‘भाजपा हमेशा हमारे देश की मातृशक्ति के साथ हैं।’
मैं अमित शाह से पूछना चाहता हूँ कि, ‘मणिपुर, वुलगढी या गुजरात दंगों में प्रताड़ित महिलाओं में हमारे देश की मातृशक्तियां शामिल नहीं हैं? कौन-सी मातृशक्ति की बात आप और प्रधानमंत्री कर रह हैं? या सिर्फ चुनाव प्रचार में बोलने के जुमले है? और वास्तविकता कुछ और है? (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नाम खुला पत्र)