Tuesday, July 15, 2025
Tuesday, July 15, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविचारराजदंड बिना सब सून...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

राजदंड बिना सब सून…

विपक्ष वालों‚ ऐसी भी क्या तंग-दिली। संसद की नई बिल्डिंग बनवाने के लिए न सही‚ नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने तक का सारा बोझ अकेले ही उठाने के लिए भी न सही‚ पर कम-से-कम नये इंडिया को उसके 75 साल से खोए राजदंड से दोबारा मिलाने के लिए तो थैंक यू मोदी जी बनता ही […]

विपक्ष वालों‚ ऐसी भी क्या तंग-दिली। संसद की नई बिल्डिंग बनवाने के लिए न सही‚ नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने तक का सारा बोझ अकेले ही उठाने के लिए भी न सही‚ पर कम-से-कम नये इंडिया को उसके 75 साल से खोए राजदंड से दोबारा मिलाने के लिए तो थैंक यू मोदी जी बनता ही है। थैंक यू भी बड्ड़ा वाला। कोरोना के टीके वाले‚ पांच किलो मुफ्त अनाज के फोटोयुक्त थैले वाले‚ थैंक यू से भी बड्डा वाला थैंक यू। थैंक यू मोदीजी‚ कम से कम लोक सभा वाली संसद को डंडायुक्त कराने के लिए!

देखा‚ इस मामले में भी गलती नेहरूजी की ही निकली। राजदंड तक संभाल कर नहीं रख पाए। सुना है कि घर पर रखकर ही भूल गए। इत्ती लापरवाहीॽ अब मोदी जी कुछ बोलेंगे, तो विरोधी बोलेंगे कि नेहरूजी के खिलाफ बोलता है। अरे! जब राजदंड संभालने की कुवत ही नहीं थी‚ तो उचक कर कुर्सी पर बैठने की क्या ज़रूरत थी। नहीं बैठते। सरदार पटेल को बैठ जाने देते, फिर देश भी देखता कि राजदंड को संभालना क्या होता है! शुरू से ही राज का दंड चलता रहता, तो राष्ट्र को भी आदत बनी रहती। राज गोरों वाले की जगह भूरों वाला हो जाता‚ पर दंड भी वही रहता और उसका प्रहार झेलने वाली पीठ भी। मोदीजी को कम से कम राजदंड की 75 साल पुरानी परंपरा खोजकर पुनर्जीवित करने की मेहनत तो नहीं करनी पड़ती। वैसे हमें तो शक है कि नेहरूजी वाकई राजदंड को रखकर यूं ही भूल गए होंगे। जरूर नेहरूजी ने जान–बूझकर राजदंड की उपेक्षा की होगी। सर्वोच्च दक्षिणी ब्राह्मणों के कंठों से निकले मंत्रों से सिंचित जो था। सनातन–विरोधी नेहरू ने लिया और माथे से लगाने की जगह‚ किसी कोने में डलवा दिया। वर्ना राजदंड जैसी राज के लिए जरूरी चीज को‚ अजायबघर में कौन डलवाता है‚ जी!

यह भी पढ़ें…

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में RTE के तहत निजी स्कूलों में आरक्षित सीटों पर हो रही सेंधमारी

वैसे मोदीजी के लिए‚ एक थैंक यू नये इंडिया का इतिहास काफी शॉर्ट कराने के लिए भी बनता है। राजदंड चोल राजाओं के पास था। उनसे अंग्रेजों के पास आया और अब मोदीजी के पास। मुगलों के पास कभी राजदंड तो था ही नहीं। यानी मुगल राज तो फेक न्यूज थी‚ जिसे अब इतिहास की किताबों से हटवाया जा रहा है। और नेहरू का राज!

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।
1 COMMENT
  1. बिलकुल सही

    बहुत ही शानदार और उपयुक्त तथ्य

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment