समंदर को गुस्से में कहना कोई छायावादी प्रतीक नहीं है, बल्कि जिस तरह से पिछले 10 सालों में समुद्र में चक्रवात की संख्या बढ़ रही है, उससे कहा जा सकता है कि समंदर गुस्से में है। इस गुस्से के पीछे निसंदेह सबसे बड़ी वजह है “ग्लोबल वार्मिंग”। धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिससे एक जैविक असंतुलन की स्थिति बनती जा रही है। इस असन्तुलन को समुद्री तूफ़ान कुछ हद तक संतुलित बनाने की कोशिश करते हैं। एक बार फिर अरब सागर के पानी पर चक्रवात का भयावह नृत्य देखने को मिल रहा है। इस तूफ़ान के कल सुबह तक भारत की जमीन से टकराने का अंदेशा जताया जा रहा है। बीपर जॉय नाम का यह तूफ़ान जिस तरह से लगातार अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा है, उससे भारत के गुजरात में यह बड़ी तबाही भी ला सकता है। गुजरात के तटवर्ती क्षेत्र से टकराने के बाद तूफ़ान किस रफ़्तार से आगे बढ़ेगा इसका अभी कोई सटीक आकलन नहीं किया जा सकता है।
चक्रवाती तूफान बिपर जॉय का भारत में गहरा असर दिखने लगा है। मुंबई, गुजरात और केरल में समुद्र किनारे लगातार ऊंची लहरें उठ रही हैं। इस तूफ़ान के मद्देनजर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सौराष्ट्र और कच्छ तटों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम वैज्ञानिक “बिपर जॉय” के सतत बदलते स्वरूप को असामान्य और खतरनाक बता रहे हैं।
संयुक्त तूफान चेतावनी केंद्र (जेटीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, 6-7 जून के बीच बिपर जॉय की हवा की गति 84 किमी प्रति घंटे बढ़कर 55 किमी प्रति घंटे से 139 किमी प्रति घंटे हो गई और 9-10 जून के बीच इसकी हवा की गति 75 किमी प्रति घंटे बढ़कर 120 किमी प्रति घंटे से 195 किमी प्रति घंटे हो गई। गुरुवार दोपहर तक जखाऊ बंदरगाह (गुजरात) के पास मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच सौराष्ट्र, कच्छ और उससे सटे पाकिस्तान के तटों को पार करने की उम्मीद है। यह तूफ़ान जिस रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रहा है, उससे यह तो तय है कि अरब सागर भयावह और असामान्य रूप से गर्म हो चुका है। यही वजह है कि सामान्य दबाव की हवा के साथ शुरू हुआ यह तूफ़ान पहले भले ही धीमी गति से बढ़ा पर अब इसकी रफ़्तार काफी तेज हो चुकी है।
6 जून को अरब सागर में उठा यह चक्रवाती तूफ़ान इतनी धीमी गति (8किमी/घंटा) से बढ़ रहा था कि इसकी दिशा और भयावहता को समझना मुश्किल था। आगे बढ़ने के साथ इसकी दिशा करांची की ओर थी, पर बाद में इसकी दिशा गुजरात की ओर हो गई।
14-15 जून की रात्रि यह तूफ़ान गुजरात के तटीय क्षेत्र से टकरा सकता है। चूंकि हवा की तेज रफ़्तार के बावजूद इस तूफ़ान की आगे बढ़ने की गति धीमी है, इसलिए तटीय इलाके से टकराने के बावजूद इसके ख़त्म होने में 12 घंटे तक समय लग सकता है।
इस चक्रवाती तूफान को ये नाम यानी बिपर जॉय बांग्लादेश ने दिया। बांग्ला में इस नाम का मतलब होता है डिजास्टर यानी आपदा। तूफानों को नाम देने में भी हमेशा पैटर्न यूज किया जाता रहा है। पहले संतों के नाम पर तूफ़ान का नाम रखा जाता था बाद में स्त्रियों के नाम पर रखा जाने लगा। अरब सागर में जो तूफान बन रहे हैं, मानसून से पहले उनके बनने की गति, समय और तीव्रता सभी में 40 फीसदी इजाफा हुआ है जबकि 20 फीसदी बढ़ोतरी मानसून के बाद ऐसे तूफानों के बनने में आई है। पहले यहां उतने खतरनाक तूफान नहीं बनते थे, जितने अब बनने लगे हैं।
राहुल यादव गाँव के लोग डॉट कॉम से सम्बद्ध हैं।