सिद्धारमैया नीत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2015 में सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे की शुरुआत की थी। इसके परिणाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को इसके तत्कालीन अध्यक्ष कांथाराजू के नेतृत्व में जाति जनगणना की रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था। सर्वेक्षण का काम 2018 में पूरा कर लिया गया था। इसी साल सिद्धरमैया का पहला कार्यकाल समाप्त हुआ और रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया या सार्वजनिक नहीं किया गया।
कर्नाटक की वर्तमान कांग्रेस सरकार पर कुछ वर्गों से सर्वेक्षण को सार्वजनिक करने का दबाव है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि उन्हें रिपोर्ट मिलने के बाद निर्णय लिया जाएगा।हालांकि, कर्नाटक के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत ने सर्वेक्षण को नामंजूर करते हुए इसे अवैज्ञानिक कहा है और मांग की है कि इसे खारिज किया जाए और नये सिरे से सर्वेक्षण कराया जाए।
बेंगलुरु (भाषा)। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष एच कांथाराज ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण या जाति आधारित जनगणना की कवायद पूरी तरह वैज्ञानिक थी। उन्होंने कहा कि सभी को सर्वेक्षण पर अपनी राय रखने का हक है लेकिन उसका अध्ययन करने से पहले ही टिप्पणी करना सही नहीं है कांथाराजू ने कहा, ‘सर्वेक्षण वैज्ञानिक है या अवैज्ञानिक है, इसका सत्यापन करके ही फैसला करना चाहिए। मैं तो कहूंगा कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक रिपोर्ट है क्योंकि हमने इस पर काम किया है, प्रक्रिया देखी है और हर घर तक पहुंचने का प्रयास किया है। इसे अवैज्ञानिक कहना सही नहीं है।’