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मध्यप्रदेश : लोकसभा चुनाव के लिए सामने आया नागरिक समाज, राजधानी में गठित हुआ मप्र लोकतांत्रिक मंच

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए मध्य प्रदेश में नागरिक समाज आया सामने, भोपाल में गठित हुआ मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक मंच।

भोपाल। कर्नाटक चुनाव में भाजपा को शिकस्त दिलाने के बाद अब देशभर में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए नागरिक समाज सामने आया है। उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बुधवार को राजधानी भोपाल में कर्नाटक से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए। बैठक के दौरान विचार विर्मश के बाद आम सहमति से मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक मंच का गठन किया गया है, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश में व्यापक स्तर पर लामबंदी करेगा।

मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक मंच को-आर्डिनेशन कमेटी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि राजधानी भोपाल में इडेलु कर्नाटक समूह से आए डॉ स्वाति और सलमान, दिल्ली से आए लईक अहमद और साज़िद अली ने अपने विधानसभा चुनाव के अनुभव साझा किए। ये वही समूह है, जिसने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान 224 में से 136 क्षेत्रों का चयन किया था। इसमें से 73 सीटों पर नागरिक समाज भाजपा को हराने में कामयाब रहा था। इडेलु कर्नाटक अभियान के चलते विपक्ष के साढ़े सात से साढ़े नौ प्रतिशत वोट बढ़े थे। साथ ही 31 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत में इडेलु कार्यकर्ताओं की विशेष भूमिका रही थी। इसमें तमाम स्वयंसेवी संगठन और नागरिक समाज के लोग शामिल थे।

डॉ स्वाति

डॉ स्वाति ने बताया कि किस तरह कर्नाटक चुनाव के पहले अलग-अलग समुदाय के नागरिकों के बीच एक साझा समझ बनी कि लोकतंत्र बचाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। इसके बाद दलित आंदोलन, सामाजिक न्याय आंदोलन, किसान आंदोलन, युवा, अल्पसंख्यक, महिला, आदिवासी, दलित आंदोलन भी जुड़ते गए। साहित्यकारों और कलाकारों ने इसमें विशिष्ट योगदान किया। खास रणनीति के तहत सभी ने मिलकर काम किया, इसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा के वे तमाम मुद्दे जनता के बीच कारगर नहीं हो सके, जिनके आधार पर वे ध्रुवीकरण करने में सफल होते थे। कर्नाटक में मतदाता पंजीयन, मतदाता सूची तैयार करने से लेकर बूथ स्तर तक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी भूमिका निभाई।

बैठक में कर्नाटक चुनाव के पैटर्न से लेकर देशभर में हुए पिछले चुनावों के आंकड़ें भी पेश किए गए। आंकड़ों के माध्यम से यह जानकारी भी दी गई कि मध्य प्रदेश में पांच लोकसभा क्षेत्र में यदि विधानसभा क्षेत्र के वोटों को जोड़ा जाए तो कांग्रेस ने जीत हासिल की थी तथा चार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच 1-2 प्रतिशत का अंतर रहा। राष्ट्रीय स्तर पर यह तथ्य सामने आया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 81.45 करोड़ मतदाता थे। जिनमें 17.15 करोड़ ने भाजपा को वोट दिया। इसी तरह 2019 के चुनाव में 91.20 करोड़ मतदाताओं में से 22.91 करोड़ मतदाताओं ने ही भाजपा को वोट दिया था। यानि बहुसंख्यक मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ वोट किया था।

बैठक में यह भी तय किया गया कि इस काम को मध्य प्रदेश में भी विस्तार दिया जाना चाहिए। इसीलिए मप्र लोकतांत्रिक मंच का गठन किया गया। इसके लिए शुरुआती दौर पर एक कोर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में डॉ सुनीलम, शैलेन्द्र कुमार शैली, हाजी मोहम्मद हारुन, फौज़ान, एड आराधना भार्गव, अनिल धीमान, भारत शर्मा, जैद पठान सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया।

इसके अलावा विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में उप समितियों का भी गठन किया गया। मंच की विस्तारित बैठक में कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। मंच की अगली बैठक में कार्ययोजना को विस्तार दिया जाएगा। साथ ही लोकसभा स्तर पर मंच के विस्तार की रणनीति बनाई जाएगी, जिससे जमीनी स्तर पर नागरिकों को भाजपा के खिलाफ लामबंद किया जा सके। (प्रेस विज्ञप्ति)

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