श्वेता गुप्ता ने अपने जीवन की पारी की शुरुआत शिक्षिका के रूप में की। शुरू में वे लखनऊ में पढ़ाती थीं लेकिन शादी के बाद जमशेदपुर आने के बाद घर-गृहस्थी में लग गईं। बावजूद इसके वे बच्चों की शिक्षा को अपना मुख्य सरोकार मानती हैं। फिलहाल वे घर पर ही छोटे बच्चों को पढ़ाती हैं और उनकी बहुत प्रिय अध्यापिका हैं। कोरोनाकाल में जब स्कूल बंद हो गए थे तब भी बच्चों ने छुट्टी मनाने और ऑनलाइन पढ़ने की जगह अपने माँ-बाप पर दबाव बनाया कि वे श्वेता मैडम के यहाँ जाकर पढ़ेंगे। दरअसल श्वेता गुप्ता बाल-मनोविज्ञान को बहुत बारीकी से समझती हैं और अधिकतम नंबर लाने के आतंक की जगह बच्चों की नैसर्गिक रुचियों के विकास पर ज़ोर देती हैं। पूजा से बातचीत में उन्होंने बच्चों की शिक्षा से जुड़ी भ्रांतियों और कुंठाओं के बढ़ते प्रकोप पर प्रकाश डाला है।
SHOW LESS
AllRelatedLiveRecently uploadedWatched