Saturday, October 25, 2025
Saturday, October 25, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

साहित्य

मूँदहु आंख भूख कहुं नाहीं

अब गरज तो विश्व गुरु कहलाने से है, भूख बढ़ाने में विश्व गुरु कहलाए तो और भूख मिटाने में विश्व गुरु कहलाए तो। उसके ऊपर से 111 की संख्या तो वैसे भी हमारे यहां शुभ मानी जाती है। भारत चाहता तो पिछली बार की तरह, भूख सूचकांक पर 107वें नंबर पर तो इस बार भी रह ही सकता था। पर जब 111 का शुभ अंक उपलब्ध था, तो भला हम 107 पर ही क्यों अटके रहते? कम से कम 111 शुभ तो है। भूख न भी कम हो, शुभ तो ज्यादा होगा।

विश्वगुरु की सीख का अपमान ना करे गैर गोदी मीडिया

इन पत्रकारों की नस्ल वाकई कुत्तों वाली है। देसी हों तो और विदेशी हों तो, रहेंगे तो कुत्ते...

तुम्हारी लिखी कविता का छंद पाप है

मणिपुर हिंसा पर केन्द्रित कवितायें  हम यहाँ ख्यातिलब्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी की कुछ कवितायें प्रकाशित कर रहे हैं।...

हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में  हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर संगोष्ठी का...

व्याकरण के प्रकांड विद्वान थे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और आरसी प्रसाद सिंह की मनाई गई जयंती दरभंगा। आज विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल.ना....

पितृसत्तात्मक गुलामी में छटपटाती औरत की कहानी है धरती भर आकाश

तसनीम पटेल की आत्मकथा धरती भर आकाश, उन औरतों की त्रासदपूर्ण जिंदगी की ऐसी कहानी है जिसमें साहित्य के नए और अनूठे आयाम गढ़े...

साहित्यिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए लेखकों को मिला सम्मान

उत्तर प्रदेश। सहारनपुर मेें हिंदी दिवस के अवसर पर साहित्यिक संस्था 'साहित्य चेतना मंच', ने अपने द्वितीय "ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान" के लिए...

मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी -3

अगर इस कहानी में सिर्फ़ इतना ही होता कि बम गिराकर क्लॉड ईथरली को इतना पछतावा होता है कि वो अपने को सज़ा दिलाने...

जातिवादी समाज ने चिड़ियों की भी जाति बना दी है

नवंबर 2018 किसी दोपहर को मैं अपने गाँववाले घर के बरामदे में बैठकर निठल्ले चिंतन में मशगूल था कि सामने निगाह पड़ी और बरबस...

मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी – 2

आपके ज़माने में एक ऐसा तक़्क़ीपसंद नज़रिया भी राइज था, जिसमें इतनी भी ‘सहूलियत’ बर्दाश्त नहीं की जा पाती थी, जैसा कि नैरेटर बर्दाश्त...

मुक्तिबोध को एक ग़ज़लकार की चिट्ठी-1

मोहतरम मुक्तिबोध जी ! कुल मिलाकर आपने जादू तो मुझपर यही कर रक्खा है कि आप कभी कोई कमज़ोर चीज़ रच ही नहीं सकते ।...
Bollywood Lifestyle and Entertainment